अस्पताल बचाओ आन्दोलन में डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल पर आज होगा धरना- अंतिम-आदमी की सुविधाओं की कीमत पर विकास का घोड़ा दौडाने का सरकार का प्रयास बेहद शर्मनाक:विजय कुमार पाण्डेय
क्या है मामला: डा.राम मनोहर लोहिया अस्पताल का विलय आयुर्विज्ञान संस्थान में किए जाने का फैसला बीजेपी सरकार द्वारा लिया गया है जिसके कारण अब रु.1/- के पर्चे पर होने वाले इलाज के लिए रु.250/- देना के बाद लगभग बाजार दर पर दवाईयों और अन्य सुविधाओं के लिए पैसा खर्च करना होगा जो कि उनके लिए संभव नहीं होगा ।
सड़क पर क्यों उतरे लोग: अंतिम-आदमी ने करीब एक हफ्ते के हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से सरकार को बताने का प्रयास किया कि सरकार अपने इस जनविरोधी निर्णय को वापस लेकर पहले से चल रही सुविधा की बहाली करे लेकिन सरकार ने उसकी मांगों पर कोई संज्ञान नहीं लिया।
अंतिम-आदमी को मिला समर्थन: एएफटी बार एसोसिएशन, अवध बार एसोसिएशन, लखनऊ बार एसोसिएशन, सेन्ट्रल बार एसोसिएशन, सरोजनी नगर बार एसोसिएशन, राष्ट्रवादी महिला ब्रिगेड, कांग्रेस विधि विभाग, सिविल सोसाईटी, महिला स्वाभिमान संघ, राष्ट्रीय नर्सेस संघ के अशोक कुमार, चिकित्सा कर्मचारी मोर्चा के के.के.सचान, एवं लोहिया नर्सेस संघ की श्रीमती मंजू सहित कई अन्य संगठनों ने समर्थन दिया जिसमें अशोक कुमार, के.के.सचान, श्रीमती मंजू, समाजसेवी एम्. एल. गुप्ता, टी.डी. गर्ल्स इंटर कालेज के चेयरमैन एम्.पी. यादव सहित तमाम नागरिक एवं अधिवक्ता शामिल हैं ।
किसने क्या कहा: आन्दोलन के संयोजक विजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि अंतिम-आदमी को मिलने वाली सुविधाओं की कीमत पर विकास का घोड़ा दौडाने का सरकार का प्रयास बेहद शर्मनाक है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि इससे पूरे प्रदेश के गरीब, बेसहारा, बुजुर्ग, महिलायें और बच्चे बुरी तरह प्रभावित होंगें, उच्चस्तरीय अस्पताल सरकार कहीं और खोल सकती है लेकिन वह ऐसा नहीं कर रही है, डी.एस. तिवारी नें कहा कि अंतिम आदमीं को चिकित्सा मुहैया कराना सरकार का काम है उसे करनें के बजाये जो अस्पताल गरीबों का इलाज लगभग मुफ्त में कर रहे हैं उसका भी विलय करना अत्यंत निंदनीय है, वही लीगल सेल चेयरमैन श्री गंगासिंह नें बताया कि मूलभूत सुविधाओं से अंतिम-आदमी को वंचित करने का यह कृत्य गरीब नहीं गरीबों को मिटाने जैसा है, सामाजिक चिन्तक प्रताप चन्द्रा नें कहा कि विलय की इस योजना से करोडो रुपए रुपए के घोटाले की बू आ रही है और सरकार का निर्णय अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है, युवा चर्चित अधिवक्ता एवं आन्दोलन के सूत्रधार अमित सचान नें बताया कि ईलाज पाना नागरिक की मूलभूत अधिकार है जिसे सरकार को सुनिश्चित करना होगा अन्यथा बजरिए अदालत सुनिश्चित कराया जायेगा यह संघर्ष अधिवक्ता समाज का है और अंतिम आदमी के हक़ के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे, अमित सचान ने कहा कि हमारी यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक की सरकार यह निर्णय वापस नहीं ले लेती, शमशाद आलम ने कहा की अफ़सोस है कि लोहिया के पैरोकार आज अपने आवास की लड़ाई में व्यस्त हैं आदेश कुमार यादव, आर चंद्रा, आलोक त्रिपाठी, रोहित कुमार, किरन बाजपेयी, एस.के.अवस्थी, रमेश चन्द्र श्रीवास्तव, औसाफ अहमद खान, जहीर अहमद खान, श्याम सुन्दर दूबे, कुलदीप मिश्रा, श्रीमती शीला मिश्रा, राम सनेही जी, अमरेन्द्र कुमार, आर चन्द्रा, शैलेश त्रिपाठी, अरुणेद्र कुमार, राजेंद्र कुमार सोनकर, महेंद्र कुमार, अभिषेक यादव, सालिक चंद, आर.के.जय किशन, शुभम गुप्ता, रावेन्द्र कुमार सिंह चौहान, कविता मिश्रा, नवीन कुमार, अरुण कुमार, अरविन्द कुमार गौतम, अनस खान, के.के.एस.बिष्ट इत्यादि अधिवक्ता मौजूद थे ।