देश भर में अचानक एटीएम के सामने फिर लाइन लग गयी है कुछ लोग कहते हैं कि बैंक में भी बड़ी धनराशि निकालने में दिक्कत आ रही है। नोटबंदी के समय जैसी किल्लत तो नहीं है लेकिन लोगों को वे दिन याद आने लगे हैं। बैंक और उनके एटीएम जन सामान्य से भी जुड़े हैं। एटीएम की व्यवस्था ही इसीलिए की गयी थी कि रात-बिरात जब भी जरूरत पड़े तो एटीएम से जाकर रुपये निकाल लाइए लेकिन एटीएम को लेकर विश्वास टूट रहा है। इस समस्या को सरकार ने भी गंभीरता से लिया है और पांच सौ के नोटों की छपायी बढ़ा दी गयी है ताकि नकदी का संकट खत्म हो सके। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी आश्वासन दिया है कि देश में पर्याप्त से ज्यादा मुद्रा चलन में है और यह बैंकों के पास भी उपलब्ध है लेकिन कुछ क्षेत्रों में असाधारण तरीके से अचानक बढ़ी मांग से मुद्रा की अस्थायी कमी हो गयी है इसे जल्द ही दुरुस्त कर लिया जाएगा। वित्तमंत्री का यह आश्वासन भी नये नोटों की छपायी पर निर्भर है लेकिन ऐसे हालात क्यों पैदा हुए हैं, इस पर विचार करने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में इन दिनों एटीएम खाली हैं। इसका एक कारण सहालग अर्थात् शादी-व्याह का मौसम बताया जा रहा है क्योंकि इन कार्यक्रमों में नकदी ही चलती है। दूसरा कारण कर्नाटक समेत आगामी महीनों में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव भी हैं।
इन दिनों देश भर में कई राज्यों एटीएम खाली हैं। सबसे ज्यादा समस्या बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और तेलंगाना में है। कर्नाटक, जहां 12 मई को मतदान होना है, वहां इस प्रकार का संकट नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक देश भर में हर महीने 30 हजार करोड़ रुपये के नोटों की मांग रहती है लेकिन लगभग एक पखवारे से यह मांग अचानक बढ़ गयी है और इतने दिनों में ही 45 हजार करोड़ की करेंसी की खपत हो चुकी है। यह खपत अचानक कैसे बढ़ी, इसके पीछे एक कारण सहालग का है लेकिन विधानसभा चुनावों की बात जब सामने आती है तो निश्चित रूप से चुनाव की शुचिता को प्रभावित करने का यह कुप्रयास है। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चन्द्र गर्ग ने इस मामले में अफवाह का भी जिक्र किया है। वे कहते हैं कि कुछ लोग अफवाह का शिकार होकर जल्दबाजी मंे पैसे निकाल रहे हैं। यह अफवाह 2 हजार के नोट बंद होने की है लेकिन दो हजार के नोट ही प्रचलन में कम हो रहे हैं। बहरहाल सरकार ने पांच सौ के नोटों की छापायी बढ़ाकर उम्मीद जतायी है कि तीन दिन में संकट दूर हो जाएगा।
नोटबंदी के करीब डेढ़ साल बाद एक साथ कई राज्यों में खाली पड़े एटीएम नोटबंदी के दिनों की याद दिला रहे हैं. देश के कई हिस्सों जैसे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, मध्य प्रदेश में लोगों को कैश की कमी से जूझना पड़ रहा है। हालांकि, सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डैमेज कंट्रोल मोड में आ गए हैं। लोग कैश क्रंच की वजह जानना चाहते हैं और सरकार का कहना है कि नोटों की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि से समस्या आई है। हालांकि, अब तक सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है. कई बैंक अधिकारियों का कहना है कि 2000 के नोट बैंकों में वापस नहीं आ रहे हैं। यह भी अफवाह है कि कर्नाटक चुनावों में कैश होर्डिंग से संकट खड़ा हुआ है। एक थ्योरी और चल रही है, जिसके चर्चे खासकर सोशल मीडिया पर हैं. कहा जा रहा है कि राजनीतिक दल और उनके समर्थक अगले महीने कर्नाटक चुनावों के लिए कैश की होर्डिंग कर रहे हैं। दो हजार रुपए के नोटों की सप्लाई घटने, चुनाव से पहले कर्नाटक में कैश की डिमांड बढ़ने और कैश क्रंच को लेकर सोशल मीडिया पर अटकलों का बाजार गर्म होने के कारण सामान्य से ज्यादा निकासी से देश के कई हिस्सों में एटीएम सूख गए हैं।
देश में नकदी संकट पर बैंकिंग एक्सपर्ट का मानना है कि नोट की छपाई और सप्लाई को लेकर कुछ दिक्कते हैं, लेकिन यह इतना बड़ा कारण नहीं दिखता, जिससे कैश की किल्लत अचानक इतनी बढ़ जाए। सूत्रों की मानें तो अगले कुछ महीनों में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। इसके अलावा 2019 में देश का आम चुनाव है। ऐसे में चुनाव की तैयारी में लोग बड़े पैमाने पर कैश जमा कर रहे हैं। चुनाव में बड़े पैमाने पर कैश का इस्तेमाल होता है। ऐसे यह तर्क काफी मजबूत लगता है कि चुनावी साल में राजनीतिक दल और नेता चुनाव में खर्च के लिए कैश का इंतजाम कर रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि चुनावी साल में कैश की छपाई और सप्लाई को लेकर कुछ दिक्कतें हो सकती हैं। लेकिन, कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए कैश का सर्कुलेशन कम करने का तर्क सही नहीं लगता है। ऐसे में चुनाव के लिए पहले से कैश की होडिंग की जा रही है। एक्सपर्ट्स की मानें तो पिछले कुछ समय से या यूं कहें नोटबंदी के बाद हर कोई इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के रडार पर है। चुनावी चंदे से लेकर चुनाव में होने वाले खर्च पर भी आईटी विभाग नजर रखता है। ऐसे में चुनाव के समय इतने बड़े पैमाने पर कैश का इंतजाम करना आसान नहीं होगा। इसलिए एक बार में पैसों का इंतजाम करने के बजाए पहले से थोड़ा-थोड़ा जमा करके इसकी तैयारी चल रही है। थोड़ी-थोड़ी जमाखोरी से जांच एजेंसियों को ऐसे लोगों को ट्रैक करना आसान नहीं होगा। आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग ने कबूल किया कि इस वक्त 2000 रुपए का नोट गायब हैं. हालांकि, उन्होंने काला धन जमा होने की आशंका को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, अभी सिस्टम में 2000 रुपए के 6 लाख 70 हजार करोड़ नोट हैं. यह संख्या पर्याप्त से ज्यादा है। हमें भी पता है कि 2000 रुपए के नोट सर्कुलेशन में घटे हैं। इसकी कोई जांच तो नहीं कराई है, लेकिन अनुमान यह है कि बड़े नोट जमा करने में आसानी होती है। इसलिए लोग बचत की रकम 2000 रुपए के नोटों में ही जमा कर रहे हैं। एससी गर्ग के मुताबिक, एटीएम में हम 2000 रुपये के जितने भी नोट डालते हैं, वे निकल जाते हैं, लेकिन फिर काउंटर पर नहीं लौटते। लिहाजा 2000 रुपये का स्टॉक कम होने के साथ एटीएम में कैसेट खाली चल रहे हैं। इसकी क्षमता करीब 50 लाख रुपए की होती है, जो अब ब्लॉक हो गई है। एटीएम में चार कैसेटों में करीब 65 लाख रुपए भरे जा सकते हैं। एक कैसेट में 2000 रुपए के नोट, दो में 500 रुपए और एक में 100 रुपए के नोट भरे जाते हैं। बैंकरों का दावा है कि 2000 रुपए के नोटों की तंगी के कारण एटीएम की 45 पर्सेंट क्षमता का उपयोग ही नहीं हो पा रहा है। कैश की किल्लत के बीच रिजर्व बैंक ने बयान जारी करते हुए साफ किया कि कैश की कोई कमी नहीं है और आरबीआई के करंसी चेस्ट्स में पर्याप्त नकदी मौजूद है। आरबीआई ने बताया कि नोटों को छापने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है। हालांकि, कुछ इलाकों में कैश को पहुंचाने में आने वाली दिक्कतों के कारण नकदी संकट से निपटने में कुछ दिन लग सकते हैं। (हिफी)