राष्ट्रीय कैडेट कोर विश्व का सबसे बड़ा और वर्दीधारी युवा संगठन है। राष्ट्रीय कैडेट कोर दिवस प्रत्येक वर्ष नवम्बर माह के चौथे रविवार को मनाया जाता है।एन.सी.सी. सबसे पहले जर्मनी में 1666 में शुरू किया गया था। एन.सी.सी. की उत्पत्ति ‘विश्वविद्यालय कोर’ में हुई, जो ‘भारतीय रक्षा अधिनियम, 1917’ के तहत सेना की कमी को पूरा करने के उद्देश्य के साथ था। 1920 में, जब ‘भारतीय प्रादेशिक अधिनियम पारित’ हुआ था, ‘विश्वविद्यालय कोर’ को यू.टी.सी. के नाम से बदल दिया गया। 1942 में यू.टी.सी. को यू.ओ.टी.सी के रूप में पुनः नामकरण किया गया। युवा लड़के और लड़कियों को प्रशिक्षित करने, सुरक्षा बल सहित जीवन के सभी क्षेत्र में बेहतर नागरिक बनाने और देश के लिए भविष्य के बेहतर नेता बनाने के लिए, राष्ट्रीय स्तर पर युवा संगठन बनाने की ज़रूरत महसूस की गयी थी । प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के आदेश पर 1946 में पंडित एच. एन. कुंजरू के अधीन समिति स्थापित हुई। ‘राष्ट्रीय कैडेट कोर’ 16 जुलाई, 1948 को ‘रक्षा मंत्रालय’ के अंतर्गत 1948 में एन.सी.सी. के XXXI एक्ट के तहत अस्तित्व में आया।
एन.सी.सी. के माध्यम से विद्यार्थियों को कई प्रकार की सहुलियतें मिलती हैं,- राज्य और केंद्र सरकार की नियुक्तियों में एन.सी.सी. कैडेट को प्राथमिकता दी जाती है। एन.सी.सी. का ‘सी’ सर्टिफिकेट प्राप्त कैडेट्स के लिए ‘इंडियन मिलेट्री एकेडमी’ (आई.एम.ए.) में 64 सीटें रिजर्व होती हैं। एन.सी.सी. ‘बी’ या ‘सी’ सर्टिफिकेट प्राप्त कैडेट्स को ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ में ‘सीडीएस’ की लिखित परीक्षा नहीं देनी पड़ती। कई कॉर्पोरेट कंपनियां एन.सी.सी. के सर्टिफिकेट धारी को अपने यहाँ होने वाली नियुक्तियों में प्राथमिकता देती हैं। सशस्त्र बलों और पैरामिलेट्री फोर्सेस में एन.सी.सी. ‘सी’ सर्टिफिकेट धारी को विशेष छूट दी जाती है। कुछ सीटें उनके लिए रिजर्व होती हैं। नौसेना के हर कोर्स में छ: नियुक्तियाँ और वायु सेना में 10 फीसदी की छूट हर कोर्स में होती है। हर वर्ष एन.सी.सी. यूथ एक्चेंज प्रोग्राम के तहत चुनिंदा कैडेट्स को विदेश भेजा जाता है। इससे कैडेट्स को वहाँ की संस्कृति और सभ्यता को समझने का मौका मिलता है। कैडेट्स कई तरह की प्रतियोगिता में भी हिस्सा लेते हैं। ‘गणतंत्र दिवस’ पर हर साल निकलने वाली परेड के लिए भी एन.सी.सी. कैडेट्स का चयन किया जाता है।
एन.सी.सी. के प्रशिक्षण शिविरों के दौरान कैडेटों को फुटबाल, वॉलीबॉल, कबड्डी और फ़ायरिंग के गुण भी सिखाए जाते हैं। जो कैडेट अच्छा प्रदर्शन करता है, वह राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनाने के बाद राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग कर बुलंदियों को छू सकता है।
राष्ट्रीय कैडेट कोर के जरिए विशेष भर्ती योजना के तहत स्नातक उत्तीर्ण वे विद्यार्थी जो एन.सी.सी. का ‘बी’ या ‘सी’ प्रमाणपत्र प्राप्त कर लेते हैं, वे देश की सुरक्षा से सम्बंधित होने वाली भर्तियों में आवेदन कर सकते हैं। उन्हें इन भर्तियों में अतिरिक्त अंक भी प्रदान किये जाते हैं। एन.सी.सी. कैडेट ‘सी’ सर्टिफिकेट में ‘ए’ या ‘बी’ ग्रेड मिलने के बाद कई प्रकार की छूट के अधिकारी हो जाते हैं। इस सर्टिफिकेट के बाद कैडेट भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए लिखित परीक्षा दिए बिना ही सीधे एस.एस.बी. इंटरव्यू दे सकते हैं। एन.सी.सी. का कैडेट तय मानकों के बाद भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना की भर्ती के लिए आवेदन कर सकता है।
राष्ट्रीय कैडेट कोर के जरिए कैरियर बनाने के लिए कॉलेज सबसे उत्तम मंच है। स्कूल में इस सर्टिफिकेट की पढ़ाई कराई जाती है, लेकिन उसका फायदा उच्च शिक्षा में दाखिले को लेकर तो मिलता है, पर नौकरी में नहीं मिल पाता। स्नातक प्रथम वर्ष में ‘बी’ सर्टिफिकेट और द्वितीय वर्ष में जाने के बाद छात्र ‘सी’ सर्टिफिकेट के लिए एन.सी.सी. में दाखिल होते हैं। साल भर के प्रशिक्षण के बाद अगर प्रथम वर्ष में एक कैम्प में हिस्सेदारी की है तो ‘बी’ सर्टिफिकेट के लिए होने वाली परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। यह परीक्षा एन.सी.सी. की यूनिट कराती है। अगर स्नातक दूसरे साल में ‘नेशनल इंटीग्रेशन कैम्प’ में बैठे हों तो ‘सी’ सर्टिफिकेट के लिए यूनिट की ओर से आयोजित परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। यह परीक्षा तीन घंटे की होती है। इसके अलावा प्रैक्टिकल परीक्षा से भी छात्र को गुजरना होता है। कॉलेज में उन छात्रों के लिए एन.सी.सी. के दरवाजे खुले हैं, जो फिटनेस पर खरे उतरते हैं और इसमें रुचि भी दिखाते हैं।
एन.सी.सी. में शामिल होने पर साल भर के अंदर कॉलेज में इसके लिए अलग से कक्षाएँ होती हैं। एक सप्ताह में 40 मिनट की छ: कक्षाएँ होती हैं। वर्ष में 120 पीरियड करने होते हैं। एन.सी.सी. में शामिल होने के लिए छात्र को मेडिकल स्तर पर फिट होना चाहिए। के.एम.सी. में एन.सी.सी. विभाग के प्रभारी के अनुसार एन.सी.सी. में छात्रों को कक्षा के दौरान ड्रिल कराई जाती है। इसमें उन्हें सावधान, विश्राम, दाएं और बाएं मुड़ जैसे अभ्यास से गुजरना होता है। उन्हें फील्ड क्राफ्ट जैसे समाज सेवा, मैन मैनेजमेंट, मैप रीडिंग, राइफल खोलना, जोड़ना व उसके कलपुर्जों के बारे में अवगत कराया जाता है। इस तरह की ड्रिल करा कर उनमें नेतृत्व का गुण भी पैदा किया जाता है। दूसरे साल में छात्रों की पढ़ाई में गंभीरता और अभ्यास में गहनता आ जाती है। स्कूल स्तर पर इससे जुडे़ जो भी कार्य कराए जाते हैं, वे मोटिवेशनल होते हैं। उनका कैरियर के लिहाज से कोई फायदा नहीं है। हाँ, ये लाभ अवश्य है कि अगर स्कूल में एन.सी.सी. में सक्रिय रहें या ‘ए’ सर्टिफिकेट धारक हैं तो उच्च शिक्षा के लिए कुछ संस्थानों में दाखिले के दौरान अलग से कोटा होता है, जिसके तहत प्राथमिकता मिलती है, जैसे- ‘जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय’ में इन्हें तवज्जो दी जाती है। दाखिले के दौरान स्नातक में इंजीनियरिंग कोर्स को छोड़ कर अन्य सभी कोर्स में 5 फीसदी रियायत दी जाती है। अगर किसी कोर्स में 50 फीसदी पर दाखिला हो रहा है तो वहां ऐसे छात्रों को 45 फीसदी पर दाखिला मिलता है। ‘बी’ और ‘सी’ सर्टिफिकेट वालों को पोस्ट ग्रेजुएशन में रियायत मिलती है। साभार