स्वप्निल संसार। पद्मजा नायडू सरोजिनी नायडू की सुपुत्री थीं। उन्होने अपनी माँ की तरह देश के हितों के लिए खुद को समर्पित कर दिया था। केवल इक्कीस वर्ष की उम्र में वे राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश कर कई थीं, जब उन्हें भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की हैदराबाद इकाई का संयुक्त संस्थापक बनाया गया। उन्होने विदेशी सामानों के बहिष्कार करने और खादी को अपनाने हेतु लोगों को प्रेरित करने का संदेश दिया और समर्पित अभियान में शामिल हुई। वे 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल भी गई। स्वतन्त्रता के पश्चात वे पश्चिम बंगाल की पहली महिला राज्यपाल बनीं। उन्होने आधी सदी से भी ज्यादा सार्वजनिक जीवन जिया, इस दौरान वे रेड क्रॉस से भी जुड़ीं और 1971 से 1972 तक वे इसकी अध्यक्ष भी रहीं।
पद्मजा नायडू का जन्म 17 नवंबर 1900 को हैदराबाद में हुआ था। 21 वर्ष की आयु में निजाम शासित हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की संयुक्त संस्थापिका बनीं। भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में वे जेल गईं और 1950 में पहली बार सांसद बनीं 1962 में उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया । 1971 से 1972 तक रेडक्रास की अध्यक्ष रहीं। दो मई 1975 को उनके देहावसान हो गया। उनके नाम पर दार्जिलिंग में पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान है।