सर्वेश अस्थाना- लखनऊ। 1775 से मेंहदीगंज में शीतला देवी मंदिर पर ऐतिहसिक आठों का मेला 2021 में नहीं लगा। इस मेले में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण बीते यह परंपरा 2021 में टूट गयी । कोरोना महामारी के कारण पुलिस प्रशासन व मेला कमेटी ने यह निर्णय लिया की शीतला देवी मंदिर में दर्शन व पूजा तो होगी लेकिन मेला नहीं आयोजित होगा। होली के आठवें दिन शीतलाष्टमी पूजन के साथ होलिकोत्सव खत्म हो जाएगा। शीतलाष्टमी पर चूंकि बासी खाने का भोग लगाया जाता है इसलिए इसे बसोड़ा भी कहा जाता है। राजा टिकैतराय ने 1775 में शीतला देवी मंदिर का जीर्णोद्धार करके नवाबी काल की कला का उत्कृष्ट नमूना पेश किया था।
कायस्थों का प्रमुख केंद्र लखनऊ
अवध के जिलों के गजेटियर से स्पष्ट हो जाता है कि इस क्षेत्र में कायस्थ न सिर्फ पढ़े लिखे थे बल्कि प्रभावशाली पदों पर तैनात थे। इन कायस्थों का प्रमुख केंद्र लखनऊ ही रहा है। नवाबी दौर में सआदत अली खां बुरहानमुल्क के अंत:पुर के दरोगा राय केशव राम श्रीवास्तव कायस्थ थे। सआदतअली के दीवान राजा अमृतलाल भी कायस्थ ही थे। नवाब सफदरजंग के सबसे विश्वास पात्र सहयोगी महाराजा नवल राय सक्सेना कायस्थ थे। लखनऊ मोहान रोड पर नवल गंज कस्बा इन्हीं के नाम पर है, उसको इन्होंने ही बसाया। अवध के तीसरे नवाब शुजाउद्दौला की सेना में उच्च अधिकारी राजा सिताबराय श्रीवास्तव थे। नवाब आसिफुद्दौला के प्रधानमंत्री राजा टिकैत राय भी कायस्थ थे। इन्होंने ही अकाल के समय लोगों की मदद का नायाब तरीका आसिफुद्दौला को सुझाया जिसका परिणाम लखनऊ की शान बड़ा इमामबाड़ा है। राजा टिकैतराय ने ही लखनऊ को संवारने और सुविधा संपन्न बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई और खुद भी बहुत काम किया। लखनऊ में सैकड़ों तालाब और बावलियों का निर्माण कराया। टिकैतगंज मुहल्ला बसाया और वहां पक्के तालाब बनवाए। यह तालाब आज भी लखनऊ की धरोहर है। शीतला मंदिर का पुनरोद्धार कर मेला प्रारंभ कराया। चौक के पास एक बाजार स्थापित कराई जो आज राजा बाजार के नाम से प्रसिद्ध मुहल्ला है। अवध क्षेत्र में राजा टिकैत राय जैसा समाज सेवी और दानी कायस्थ दूसरा नहीं था। राज टिकैत राय ने लखनऊ सहित अवध क्षेत्र में सौ से अधिक शिवमंदिर बनवाए। रायबरेली के डलमऊ में गंगा पर सारे घाट और मंदिर राजा टिकैत राय के बनावाए हुए ही हैं। लखनऊ मलिहाबाद के बीच बेहठा नदी पर पुल भी राजा टिकैत राय ने ही बनवाया जिसमें अस्सी के दशक में जुनून फिल्म के महत्वपूर्ण दृश्य भी शूट किए गए थे। राजा टिकैत राय के नाम पर लखनऊ में टिकैतगंज कदीम, कण्डहा टिकैतगंज, बाराबंकी के टिकैत नगर और टिकैतगंज, रायबरेली और बदायूं में टिकैत नगर बसाए। राजा टिकैत राय के मुकुट में दो मछलियों वाला राजचिह्न अंकित था। आसिफद्दौला के दरबार में धनपतराय, दुलास राय इनके भाई थे। इसी दरबार में राजा झाऊ लाल को वजीर-ए-खास बनाया गया। झाऊलाल सक्सेना कायस्थ थे। लाला झाऊलाल ने महबूबगंज, तोपदरवाजा, खयालीगंज और झाऊलाल का पुल नामक मोहल्ले बसाये। आसिफुद्दौला के दरबारी शायर दौलत राय व मुंशी साहब राय भी कायस्थ ही थे। गाजिउद्दीन हैदर के वजीर राजा दयाकृष्ण और दीवान गुलाब राय और सिताब राय भी श्रीवास्तव थे। नसीरुद्दीन हैदर के दीवान मुंशी भोलानाथ और मुंशी रामदयाल, नवाब मुहम्मद अलीशाह के दीवान त्रिलोक चंद्र बक्शी और प्रधानमंत्री राजा जियालाल, नवाब अमजद अलीशाह के मुंशी ज्वाला प्रसाद, नवाब वाजिद अली शाह के वित्तमंत्री महाराजा बाल कृष्ण, दीवान, राजा बिहारी व तेजकृष्ण भी कायस्थ थे। तेजी खेड़ा मुहल्ला इन्हीं के नाम पर है।फ़ाइल फोटो