स्मृति शेष
एजेंसी। भारत में मुसलमानों की स्थिति पर बनाई गई जस्टिस सच्चर कमेटी काफी चर्चा में रही थी। उनका जन्म 22 दिसम्बर 1923 को हुआ था। राजेंद्र सच्चर ने 1952 में वकालत से अपने करियर की शुरुआत की थी। 8 दिसंबर 1960 में सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की थी। 12 फरवरी 1970 को दो साल के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने थे। 5 जुलाई 1972 को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट के अलावा जस्टिस सच्चर सिक्किम, राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस रह चुके हैं।
तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2005 को देश के मुसलमानों के तथाकथित सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन से जुड़े मुद्दों की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी (भविष्य में एचएलसी के रूप में निर्दिष्ट) गठित की थी।
इस कमेटी को मुसलमानों की आर्थिक गतिविधियों के भौगोलिक स्वरूप, उनकी संपत्ति एवं आय का ज़रिया, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर, बैंकों से मिलने वाली आर्थिक सहायता और सरकार द्वारा प्रदत्त अन्य सुविधाओं की जांच-पड़ताल के लिए कहा गया था। इस कमेटी को सच्चर कमेटी के नाम से जाना गया था।
देश में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक दशा जानने के लिए यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में दिल्ली हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। 403 पेज की रिपोर्ट को 30 नवंबर, 2006 को लोकसभा में पेश किया गया था। पहली बार मालूम हुआ कि भारतीय मुसलमानों की स्थिति अनुसूचित जाति-जनजाति से भी खराब है। मानवाधिकार को लेकर जस्टिस सच्चर ने काफी काम किया था।
पूर्व चीफ जस्टिस राजेंद्र सच्चर का निधन 20 अप्रैल 2018 को हो गया था । जस्टिस राजेंद्र सच्चर 94 साल के थे। जस्टिस सच्चर काफी समय से बीमार थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।