श्री रविशंकर आध्यात्मिक गुरु और शांति के राजदूत है।गुरुदेव को, कोलम्बिया, मंगोलिया और पराग्वे का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार सहित कई सम्मान दिए गये है। वह पद्म विभूषण के प्राप्तकर्ता है, भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार और दुनिया भर के पंद्रह मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किए गये है।गुरुदेव श्री विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और गुणवत्ता नियंत्रण के भारत योग प्रमाणीकरण समिति के अध्यक्ष है। आप अमरनाथ तीर्थ बोर्ड (जम्मू और कश्मीर सरकार के द्वारा नियुक्त ) के एक सदस्य भी है । 500 वीं वर्षगांठ समारोह में कृष्ण देव राय के राज्याभिषेक में गुरुदेव स्वागत समिति के अध्यक्ष थे (कर्नाटक सरकार) ।
आध्यात्मिक गुरु रविशंकर का जन्म तमिलनाडु में 13 मई 1956 को हुआ। उनके पिता का नाम व वेंकट रत्नम् था जो भाषाकोविद् थे। उनकी माता श्रीमती विशालाक्षी धार्मिक महिला थीं। आदि शंकराचार्य से प्रेरणा लेते हुए उनके पिता ने उनका नाम ‘रविशंकर’ रखा। रविशंकर बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। महज चार साल की उम्र में वे श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ कर लेते थे। बचपन में ही उन्होंने ध्यान करना शुरू कर दिया था। उनके शिष्य बताते हैं कि भौतिक विज्ञान में अग्रिम डिग्री उन्होंने 17 वर्ष की आयु में ही ले ली थी।उनके पिता ने उन्हें महेश योगी को सौंप दिया था। अपनी विद्वता के कारण रविशंकर महेश योगी के प्रिय शिष्य बन गये।भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित शहर शिमोगा में श्री श्री रवि शंकर १० दिन के लिए मौन में चले गए| उसके उपरांत जन्म हुआ सुदर्शन क्रिया का, जो एक शक्तिशाली श्वास प्रणाली है| समय के साथ सुदर्शन क्रिया आर्ट ऑफ़ लिविंग की मुख्य केंद्र बिंदु बन गयी| श्री श्री रवि शंकर ने आर्ट ऑफ़ लिविंग की स्थापना एक अंतर्राष्ट्रीय, लाभ निरपेक्ष, शैक्षिक एवं मानवतावादी के तौर पर की| इसके शिक्षात्मक और आत्मविकास सम्बन्धी कार्यक्रम तनाव मिटाने और कुशल मंगल की भावना उत्पन्न करने के शक्तिशाली साधन प्रदान करते हैं| ये प्रणालियाँ केवल किसी ख़ास जन समुदाय को ही नहीं आकर्षित करतीं, बल्कि, ये विश्वव्यापी रूप से, समाज के हर स्तर पर प्रभावशाली सिद्ध हुई हैं|
सन 1997 में उन्होंने आई ए एच वी – मानवी मूल्यों की अंतर्राष्ट्रीय समिति – स्थापित की, आर्ट ऑफ़ लिविंग के साथ मिल कर चिरस्थायी विकास योजनाओं को समन्वित करने, मानवीय मूल्यों को विकसित करने और द्वंद्व समाधान करने के लिए| भारत, अफ्रीका, और दक्षिण अमेरिका के ग्रामीण समुदायों में में इन दोनों संस्थाओं के स्वयंसेवक संपोषणीय प्रगति की अगवाई कर रहे हैं, और 40212 गाँव तक पहुँच चुके हैं|2004 में श्री श्री द्भावना मिशन के साथ पाकिस्तान गये थे जहा उन्होंने इस्लामाबाद और कराची में Art of Living केन्द्रों का उद्घाटन किया था | 2014 में उनके इस्लम सेण्टर को हथियारबंद लोगों ने जला दिया था | 2007 में वो इराक के दौरे के दौरान विश्व शांति के भ्रमण के लिए निकले थे | उन्होंने कई मुस्लिम देशो में अपने Art of Living केन्द्र बनाये थे और उन्हें विश्व के धार्मिक नेताओ के बोर्ड में भी शामिल किया गया है | 1992 में उन्होंने जेल कार्यक्रम चलाकर कैदियों को आर्ट ऑफ़ीस लिविंग के उपदेश दिए थे | वैसे उनके अधिकतर कार्यक्रम भारत से ज्यादा विदेशो में आयोजित किये जाते है |श्री श्री रविशंकर जी चाहते है कि सभी व्यक्ति आपस एम् प्रेम से रहे | वो लोगो को एक दुसरे को स्वीकार करने और आदर करने का परामर्श देते है |वो परस्पर भाईचारे के लिए भी आग्रह करते है | उन्होंने गुर्जर आन्दोलन में भी दोनों पक्षों को किसी समझौते तक पहुचने में मदद की थी | 1986 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति ने “योग शीरोमणि” नाम से नवाजा था | 1997 में श्री रविशंकर को महाराष्ट्र सरकार ने “सुरु म्हात्म्त्य अवार्ड ” दिया था | 2009 में फ़ोर्ब्स पत्रिका में उन्हें भारत के पांचवे सबसे प्रभावशाली व्यक्ति की सूची में रखा गया था| उनके इससे कार्यो के कारण 2016 में भारत में पद्म विभूष्णसे सम्मानित किया गया था |