मौलाना डॉक्टर कल्बे सादिक और स्वामी चिदानन्द सरस्वती की हुई भेंटवार्ता-स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने शिया पी जी काॅलेज का भ्रमण किया साथ ही सम्पन्न किया समसरता एवं सद्भाव का प्रतीक वृक्षारोपण कार्यक्रम-शिक्षा के साथ स्वच्छता का पाठ भी है अनिवार्य-स्वच्छता बने संस्कृति और संस्कार -स्वामी चिदानन्द सरस्वती
लखनऊ। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने शिया पी जी काॅलेज, लखनऊ का भ्रमण किया और वहां के प्रोफेसर और हजारों की संख्या में उपस्थित छात्र-छात्राओं को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का महत्व बताते हुये स्वच्छ भारत मिशन में सहयोग हेतु प्रेरित किया तथा शिया पी जी काॅलेज परिसर में वृक्षारोपण किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि मौलाना डॉक्टर कल्बे सादिक साहब भारत ही नहीं बल्कि पूरे शिया जगत में सम्मान के पात्र है, इस समय मौलाना साहब का स्वास्थ ठीक नहीं था लेकिन उनका मन, दिल और दिमाग अभी भी भारत की एकता, अमन और भारत को चमन बनाये रखने के लिये ही क्रियाशील है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने स्वच्छ भारत मिशन को स्कूल, काॅलेजों के छात्रों और जन समुदाय का अभिन्न अंग बनाने की बात पर जोर देते हुये कहा कि हमारे देश में पर्व, त्योहारों एवं उत्सव के अवसरों पर घरों और दुकानों की तो साफ-सफाई की जाती है परन्तु वहां से निकला सारा कचरा गलियों में डाल दिया जाता है। हमें यही सोच को बदलना है। हर व्यक्ति को अपने सामने और आस-पास की गलियों की जिम्मेदारी लेनी होगी। हमें अपने घर और गलियों से बाहर निकल कर अपने गांवों; शहरों और पूरे देश की स्वच्छता के लिये आगे आना होगा। स्वामी जी ने कहा कि अपने घर से हमें थोड़ा आगे के बारे में सोचना होगा, थोड़ा आगे बढ़ना होगा ताकि स्वच्छता एक संस्कृति और संस्कार बने।
शिया पी जी काॅलेज के प्राचार्य श्री शमशेर ने काॅलेज के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि यह काॅलेज विश्वविद्यालय बनने के मापदंड़ों पर आधारित है सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। स्वामी जी ने कहा कि यहां पर छात्रों का ज्ञानवर्द्धन कराने के ही बिना किसी भेदभाव के सभी समुदायों के बच्चों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। यह काॅलेज धर्मनिरपेक्षता के साथ देश भक्ति की शिक्षा और संस्कारों भी अपने छात्रों को प्रदान करता है। स्वामी जी महाराज ने कहा कि शिया काॅलेज के इन हजारों की संख्या में उपस्थित छात्र-छात्राओं की फौज को एक नई दिशा प्रदान की जा सकती है। छात्रों में स्वच्छता के संस्कारों का रोपण करने के लिये शार्ट फिल्म, प्रेरक उद्बोधन और दृष्टांतों के माध्यम से उनके विचारों में, सोच में परिवर्तन लाया जा सकता है।
बच्चों में स्वच्छता के संस्कारों को विकसित करने को लेकर इरान की घटना का जिक्र करते हुये मौलाना डॉक्टर कल्बे सादिक ने कहा कि इरान के शहरों में मोहल्लों को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी वहां के लोगों की ही होती है। अपने मोहल्लो को स्वच्छ रखना उस मोहल्ले के लोगों की ही जिम्मेदारी है अब वहां की हर सड़के और परिसर चमकते रहते है। जब स्वतः ही स्वच्छता के संस्कार विकसित हो जाते है तो जिम्मेदारी का अहसास भी होने लगता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने शिया पी जी काॅलेज के छात्र-छात्राओं को स्वच्छता एव पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया। स्वामी जी ने काॅलेज प्रबंधन से वादा किया की यहां के लगभग 20,000 छात्रों और दूसरी शाखा की 6000 छात्राओं के साथ स्वच्छता, समरसता और सद्भाव का विशाल कार्यक्रम सम्पन्न करगे जिसमें स्वामी स्वयं सहभाग करेंगे।