शाहजहां का जन्म 5 जनवरी 1592 को लाहौर में हुआ था । उनकी माता मानवती {जगतगुसाई] थी, जो राजपूत राजकुमारी थीं । जोधपुर के मोटाराज उदयसिंह की पुत्री थीं । शाहजहां के बचपन का नाम खुर्रम था और पिता का नाम जहांगीर उर्फ सलीम था । खुसरो और परवेज शाहजहां के बड़े भाई थे । जहांगीर के जन्म के समय ज्योतिषियों ने उसके स्वर्णिम भविष्य की भविष्यवाणी कर दी थी ।
शाहजहाँ 8 वर्ष तक आगरा के क़िले के शाहबुर्ज में क़ैद रहे थे । उनका अंतिम समय बड़े दु:ख और मानसिक क्लेश में बीता था। उस समय उनकी प्रिय पुत्री जहाँआरा सेवा के लिए साथ रही थी। शाहजहाँ ने उन वर्षों को अपने वैभवपूर्ण जीवन का स्मरण करते और ताजमहल को अश्रुपूरित नेत्रों से देखते हुए बिताये थे। अंत में 22 जनवरी, 1666 में उनका देहांत हो गया था, उस समय उनकी आयु 74 वर्ष की थी। उन्हें उनकी प्रिय बेगम के पार्श्व में ताजमहल में ही दफ़नाया गया था।
वह कुशाग्र बुद्धि, साहसी और शौक़ीन बादशाह थे । वह कला प्रेमी, विशेषकर स्थापत्य कला के प्रेमी थे । उनका विवाह 20 वर्ष की आयु में नूरजहाँ के भाई आसफ़ ख़ाँ की पुत्री ‘आरज़ुमन्द बानो’ से 1611 में हुआ था। वही बाद में ‘मुमताज़ महल’ के नाम से उनकी प्रियतमा बेगम हुई। 20 वर्ष की आयु में ही शाहजहाँ, को जहाँगीर शासन का शक्तिशाली स्तंभ समझा जाता था। फिर ‘आरज़ुमन्द बानो’ से विवाह से उनकी शक्ति और भी बढ़ गई थी। नूरजहाँ, आसफ़ ख़ाँ और उनका पिता मिर्ज़ा गियासबेग़ जो जहाँगीर शासन के कर्त्ता-धर्त्ता थे, शाहजहाँ के विश्वसनीय समर्थक हो गये थे। शाहजहाँ के शासन−काल में मुग़ल साम्राज्य की समृद्धि, शान−शौक़त और ख्याति चरम सीमा पर थी। दरबार में देश−विदेश के अनेक प्रतिष्ठित व्यक्ति आते थे। वे शाहजहाँ के वैभव और ठाट−बाट को देख कर चकित रह जाते थे। उनके शासन का अधिकांश समय सुख−शांति से बीता था; उसके राज्य में ख़ुशहाली रही थी। उसके शासन की सब से बड़ी देन उसके द्वारा निर्मित सुंदर, विशाल और भव्य भवन हैं। उनके राजकोष में अपार धन था। सम्राट शाहजहाँ को सब सुविधाएँ प्राप्त थीं।शाहजहाँ ने 1648 में आगरा की बजाय दिल्ली को राजधानी बनाया; किंतु आगरा की कभी उपेक्षा नहीं की।एजेंसी।