पी. वी. सिंधु/ पुसरला वेंकट सिंधु प्रसिद्ध बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। सिंधु ने 2016 में ब्राजील में खेले गए रियो ओलम्पिक खेलों में एकल बैडमिंटन प्रतियोगिता में रजत पदक जीता। साथ ही सिंधु ओलम्पिक खेलों में रजत पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं। पी. वी. सिंधु वर्तमान में भारत की राष्ट्रीय चैम्पियन हैं। 2012 में उन्होंने ‘बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन’ की टॉप 20 में जगह बनाई थी। 10 अगस्त, 2013 में पी. वी. सिंधु ऐसी पहली भारतीय महिला बनीं, जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीता था। पी. वी. सिंधु हैदराबाद में ‘गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी’ में ट्रेनिंग लेती हैं और उन्हें ‘ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट’ नाम की एक नॉन-प्रोफिट संस्था सपोर्ट करती है।
पी. वी. सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 को हैदराबाद, में हुआ । इनके पिता का नाम पी. वी. रमण और माता का नाम पी. विजया है। सिंधु के माता-पिता दोनों ही पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं। इनके पिता पी. वी. रमण को बॉलीबॉल के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए 2002 में भारत सरकार के प्रतिष्ठित ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है।
माता-पिता दोनों ही पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी थे, किन्तु पी. वी. सिंधु ने 2001 के ‘ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन’ बने पुलेला गोपीचंद से प्रभावित होकर बैडमिंटन को अपना कॅरियर चुना और महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। सिंधु ने सबसे पहले सिकंदराबाद में ‘इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग’ और दूर संचार के बैडमिंटन कोर्ट में महबूब अली के मार्गदर्शन में बैडमिंटन की बुनियादी बातों को सीखा। इसके बाद वे पुलेला गोपीचंद के ‘गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी’ में शामिल हो गईं। आगे चलकर मेहदीपट्टनम से इंटर्मेडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की।
पी. वी. सिंधु ने ब्राजील की मेजबानी में खेले गये रियो ओलंपिक खेलों में 18 अगस्त, 2016 को महिला एकल वर्ग के फ़ाइनल में प्रवेश किया था। रियोसेंटर पवेलियन-4 में खेले गए सेमीफ़ाइनल मुकाबले में सिंधु ने छठी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी जापान की निजोमी ओकुहारा को सीधे गेमों में 21-19, 21-10 से हराकर फ़ाइनल का टिकट पक्का किया था। सेमीफ़ाइनल में पी. वी. सिंधु ने ओकुहारा को हराकर 21-10 से सेमीफ़ाइनल जीत लिया।
फ़ाइनल मैच रियोसेंटर पवेलियन के कोर्ट 1 पर खेला गया। महिला एकल के इस फ़ाइनल मैच में सिंधु को विश्व की नंबर एक शटलर स्पेन की कैरोलिना मरीन से 21-19, 12-21, 15-21 से शिकस्त झेलनी पड़ी।
पी. वी. सिंधु भले ही स्वर्ण नहीं जीत सकीं, किंतु उनका रजत पदक भी काफ़ी अहम है। वे ओलम्पिक खेलों में बैडमिंटन में पदक जीतने वाली भारत की प्रथम तथा सबसे युवा एथलीट हैं। उन्होंने रजक पदक जीतकर इतिहास रच दिया और देश का सम्मान बढ़ाया।
पी. वी. सिंधु के माता-पिता बॉलीवॉल के खिलाड़ी रह चुके हैं। उनके पिता को बॉलीवॉल में ‘अर्जुन पुरस्कार’ भी मिल चुका है।नामचीन बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद की पी. वी. सिंधु जबर्दस्त फैन हैं। 2001 में जब गोपीचंद ने ऑल इंग्लैंड ओपेन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीता तो सिंधु ने भी बैडमिंटन में ही कॅरियर बनाने का फैसला कर लिया था।
पी. वी. सिंधु ने बैडमिंटन की शुरुआती ट्रेनिंग सिकंदराबाद में महबूब अली से ली और फिर बाद में ‘पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी’ में प्रवेश लिया। गोपीचंद ही सिंधु के कोच हैं।
2012 में ही निंग चाइना मास्टर सुपर सीरीज में लंदन ओलंपिक की गोल्ड मेडलिस्ट ली झूरी को हराकर तहलका मचा दिया। पिछले तीन साल से 21 साल की सिंधु सुबह 4:15 बजे ही उठ जाती हैं और बैडमिंटन की प्रैक्टिस शुरू कर देती हैं। शुरुआत में सिंधू हर दिन घर से 56 किलोमीटर की दूरी तय कर बैडमिंटन कैंप में ट्रेनिंग के लिए जाती थीं।
उपलब्धियाँ
विजेता- कोरिया ओपन सुपर सीरीज़ 2017 रजत पदक- बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप 2017 विजेता- इंडिया ओपन सुपर सीरीज़ 2017
विजेता- चाइना ओपन सुपर सीरीज़ 2016 रजत पदक- 2016 में रियो ओलम्पिक एकल बैडमिंटन। कांस्य पदक- 2009 में एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप।
विजेता- 2010 में ईरान में उन्होंने फेजर इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज का खिताब। विजेता- 2012 में एशिया यूथ अंडर-19 चैंपियनशिप खिताब।
कांस्य पदक- 2013 में बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप। विजेता- 2013 में मलेशियन ओपेन। कांस्य पदक- 2014 में उबेर कप।
सम्मान और पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार (2016) पद्मश्री (2015)अर्जुन पुरस्कार (2013)