स्वप्निल संसार। एजेंसी। 21 दिसम्बर 1991 में 11 गणतंत्रों ने अल्मा-अता में मिलकर घोषित किया कि स्वतन्त्र राज्यों का राष्ट्रमंडल बनने से सोवियत संघ जिसका औपचारिक नाम सोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघथा, यूरेशिया के बड़े भूभाग पर देश था जो 1922 से 1991 तक अस्तित्व में रहा। यह अपनी स्थापना से 1990 तक साम्यवादी पार्टी द्वारा शासित रहा। संवैधानिक रूप से सोवियत संघ 15 स्वशासित गणतंत्रों का संघ था लेकिन वास्तव में पूरे देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केन्द्रीय सरकार का कड़ा नियंत्रण रहा। रूसी सोवियत संघीय समाजवादी गणतंत्र इस देश का सबसे बड़ा गणतंत्र और राजनैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र था, इसलिए पूरे देश का गहरा रूसीकरण हुआ। यही कारण रहा कि विदेश में भी सोवियत संघ को अक्सर गलती से ‘रूस’ बोल दिया जाता था।
सोवियत संघ की स्थापना की प्रक्रिया 1917 की रूसी क्रान्ति के साथ शुरू हुई जिसमें रूसी साम्राज्य के ज़ार को सत्ता से हटा दिया गया। व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया लेकिन फ़ौरन ही वह बोल्शेविक-विरोधी श्वेत मोर्चे के साथ गृह युद्ध में फँस गई। बोल्शेविकों की लाल सेना ने गृह युद्ध के दौरान ऐसे भी कई राज्यों पर क़ब्ज़ा कर लिया जिन्होनें ज़ार के पतन का फ़ायदा उठाकर रूस से स्वतंत्रता घोषित कर दी थी। दिसम्बर 1922 में बोल्शेविकों की पूर्ण जीत हुई और उन्होंने रूस, युक्रेन, बेलारूस और कॉकस क्षेत्र को मिलकर सोवियत संघ की स्थापना का ऐलान कर दिया।
1917 की बोल्शेविक क्रांति की सफलता के साथ ही रूस में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई जिसने विश्व में सर्वा हारा क्रांति का नारा दिया और पूंजीवाद की समाप्ति की बात की अंतः जन्म से ही पूंजीवादी राष्ट्रों ने इसे अपना शत्रु माना इस तरह सोवियत संघ आरंभ से ही अनेक शत्रुओं से गिर गया स्टालिन के शासन में तनुश्री का कठोर एवं उग्र रूप दिखाई पड़ा जिसके तहत साम्यवाद विरोधियों का दमन किया गया और नागरिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया लोगों के आवागमन समाचार पत्रों एवं लेखकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया इस तरह सोवियत संघ की पहचान जनतंत्र का आनंद करने वाले शासक के रूप में हुई शासन प्रणाली ने लोग भावना पर लोग आवरण डाल दिया इतना ही नहीं साम्यवादी शासन की स्थापना के समय यह कहा गया कि सर्वहारा की तानाशाही स्थापित होगी किंतु व्यवहारिक स्तर पर सर्वहारा पर तानाशाही स्थापित हुई सोवियत संघ ने एक दल और सरकार में बैठे लोगों की तानाशाही स्थापित हुई दाल और सरकार में कोई अंतर नहीं रह गया ब दल एवं शासन प्रणाली जनसमर्थन खोने लगा स्टालिन के शासनकाल में स्थापित कठोर तंत्र साम्यवादी शासन की कमजोरियों को उद्घाटित करने लगा वस्तुतः पूर्वी यूरोपीय देशों में जहां साम्यवादी शासन मौजूद था वहां पर भी जनता अपने राजनीतिक आर्थिक संरचना से असंतुष्ट थी और जब सोवियत संघ में साम्यवादी शासन की कठोरता के प्रति विरोध बढ़ने लगा तो पूर्वी यूरोप के देशों में भी साम्यवादी शासन के प्रति अविश्वास बढ़ने लगा और जन विद्रोह हुआ सोवियत संघ की आर्थिक कमजोरी भी उसके भी बटन का कारण बनी वस्तु दयनीय वह बढ़ने कमजोर देशों को आर्थिक सहायता देने एवं शीत युद्ध में शक्ति प्रदर्शन के कारण सोवियत संघ की आर्थिक दिशा कमजोर हो गई दरअसल आधारभूत ढांचे के विकास नवीनीकरण के स्थान पर सोवियत धनराशि शीत युद्ध के साधनों पर खर्च की जाने लगी आता 1980 तक आते-आते इसकी आर्थिक वृद्धि दर में भारी गिरावट आई प्रतिस्पर्धा रहित आर्थिक संरचना के कारण उत्पादन में कमी उपभोक्ता वस्तुओं का अभाव मूल्य वृद्धि जैसी समस्याएं बड़ी पलटा जो संतोष बढ़ने लगा इसी दौर में gurvyachavने शासन संभाला और सुधारवादी नीतियों की घोषणा की जिसका परिणाम सोवियत संघ के विघटन के रूप में सामने आया
अफ्गानिस्तान में सोवियत नियंत्रण के विरुद्ध उपद्रव और गृह युद्ध लगातार जारी रहे और अन्ततः 1989 में सोवियत सेनाएँ वहाँ से बिना अपना लक्ष्य पूरा किये लौट आईं। देश में आर्थिक कठिनाइयाँ बनी रहीं और विदेशी संबधों में भी पेचीदगियाँ रहीं। अंतिम सोवियत नेता मिख़ाइल गोरबाचोफ़ ने देश में ग्लास्नोस्त राजनैतिक खुलेपन की नई नीति और पेरेस्त्रोइका आर्थिक ढाँचे को बदलने की नीति के अंतर्गत सुधार करने की कोशिश की लेकिन विफल रहे। दिसम्बर 1991 में उनकी विचारधारा के विरुद्ध राज्यविप्लव की कोशिश हुई लेकिन वह कुचली गई। इस घटना के बाद सोवियत संघ टूट गया और उसके 15 गणतंत्र सभी स्वतन्त्र देशों के रूप में उभरे। अंतर्राष्ट्रीय संधियों में रूस को सोवियत संघ के उत्तराधिकारी देश की मान्यता दी गई।