सुन्दरलाल बहुगुणा प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और ‘चिपको आन्दोलन के प्रमुख नेता थे। इन्हें 1984 के राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सुन्दरलाल बहुगुणा का जन्म 9 जनवरी,1927 कोसंयुक्त प्रान्त अब उत्तराखण्ड के सिलयारा पर हुआ था। प्राथमिक शिक्षा के बाद वे लाहौर चले गए और वहीं से उन्होंने कला स्नातक किया था। अपनी पत्नी श्रीमती विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिलयारा में ही ‘पर्वतीय नवजीवन मण्डल की स्थापना भी की थी ।
1949 में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए तथा उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना भी की। दलितों को मंदिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया। सिलयारा में ही ‘पर्वतीय नवजीवन मण्डल की स्थापना की । 1971 में सुन्दरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन किया। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए ।
सुन्दरलाल बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर संस्था ने 1980 में इनको पुरस्कृत किया। इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया । पर्यावरण को स्थाई सम्पति मानने वाला यह महापुरुष ‘पर्यावरण गाँधी बन गया। अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता के रूप में 1981 में स्टाकहोम का वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार मिला। सुन्दरलाल बहुगुणा को 1981 में पद्मश्री पुरस्कार दिया गया जिसे उन्होंने यह कह कर स्वीकार नहीं किया कि जब तक पेड़ों की कटाई जारी है, मैं अपने को इस सम्मान के योग्य नहीं समझता हूँ।
1985 में जमनालाल बजाज पुरस्कार। रचनात्मक कार्य के लिए 1986 में जमनालाल बजाज पुरस्कार, राइट लाइवलीहुड पुरस्कार चिपको आंदोलन,में शेर-ए-कश्मीर पुरस्कार 1987 में सरस्वती सम्मान 1989 सामाजिक विज्ञान के डॉक्टर की मानद उपाधि आईआईटी रुड़की द्वारा 1998 में पहल सम्मान 1999 में गाँधी सेवा सम्मान 2000 में सांसदों के फोरम द्वारा सत्यपाल मित्तल एवार्ड 2001 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 21 मई 2021 को सुंदरलाल बहुगुणा की मृत्यु अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में हो गई थी । एजेन्सी।