मुबारक साल गिरह।
स्वप्निल संसार। 9 अगस्त 1969 को नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश) में जन्मे विवेक मुशरान के फ़िल्मी कैरियर का आगाज़ 1991 में सुभाष घई की फिल्म “सौदागर” के साथ हुआ था विवेक मुशरान भी बॉलीवुड के लिए ‘वन फिल्म वंडर’ ही साबित हुए. सौदागर बड़े बजट की फिल्म थी, इसमें दिलीप कुमार और राजकुमार महानायक काम कर रहे थे. “सौदागर”1991 की सबसे बड़ी हिट साबित हुई और विवेक मुशरान भी राहुल रॉय और कुमार गौरव की तरह ही रातों-रात स्टार बन गए।
फिल्म सौदागर के बाद विवेक मुशरान के पास फिल्मों की झड़ी सी लग गई। महज एक साल में विवेक दो-दो, तीन-तीन फिल्में करने लगे। लेकिन जैसी कामयाबी उन्हें अपनी पहली फिल्म में मिली उतनी कामयाबी उन्हें बाकी की फिल्मों में नहीं मिल सकी।
सौदागर के बाद 1991 से लेकर 1996 तक विवेक मुशरान ने सांतवा आसमान, बेवफा से वफा और रामजाने जैसी कई फिल्मों में काम किया। विवेक के साथ उस दौर की कई बड़ी अभिनत्रियों ने काम किया, लेकिन लगातार फिल्मों में मिलती नाकामी के चलते विवेक धीरे-धीरे फिल्मी दुनिया से दूर होते चले गए। उन्हें आखिरी बार 2000 में आई फिल्म ‘अनजाने’ में देखा गया था इसके बाद वो 2015 में आई फिल्म ‘तमाशा’ में छोटे से रोल में नजर आए थे।
रातों-रात स्टार बननेवाले विवेक की किस्मत ने ऐसी पलटी मारी कि उन्हें फिल्मों में लीड रोल मिलना तो दूर काम भी मिलना मुश्किल हो गया। इस दौरान विवेक मुशरान के सिर के बाल भी झड़ने शुरू हो गए और वो पहले से मोटे भी हो चुके हैं।
लेकिन फिर वहीं कहानी, बाद की उनकी फिल्में एक के बाद एक पिट गई। नतीजतन राम जाने, फस्र्ट लव लेटर, अंजाने जैसी कुछ भुला देने लायक फिल्मों में काम करने के बाद विवेक मुशरान को भी इंडस्ट्री से रूखसत होना पड़ा। कई सालों की गुमनामी के बाद आजकल वे छोटे परदे पर नजर आने लगे हैं। विवेक मुशरान ने अपनी पढाई नैनीताल के शेरवुड से पूरी की थी।