क्यों है खास 1 दिसम्बर ? जयंती पर विशेष
काका कालेलकर 1 दिसम्बर, 1885-21 अगस्त, 1981- प्रसिद्ध गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, पत्रकार और लेखक थे। काका कालेलकर देश की मुक्ति के लिए सशस्त्र संघर्ष के पक्षपाती थे। 1915 में गाँधी जी से मिलने के बाद ही इन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन गाँधी जी के कार्यों को समर्पित कर दिया। गुजराती भाषा पर भी इनका अच्छा ज्ञान था। 1922 में ये गुजराती पत्र ‘नवजीवन’ के सम्पादक भी रहे थे।
राजा महेन्द्र प्रताप
1 दिसम्बर, 1886, मुरसान- 29 अप्रैल, 1979- क्रान्तिकारी, पत्रकार और समाज सुधारक थे। ये ‘आर्यन पेशवा’ के नाम से प्रसिद्ध थे।
मेजर शैतान सिंह
1 दिसम्बर, 1924- 18 नवम्बर, 1962- परमवीर चक्र सम्मानित हैं। इन्हें यह सम्मान 1962 में मरणोपरांत मिला।
अनंता सिंह
– 1 दिसम्बर, 1903- 25 जनवरी, 1969- प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे। वे अपने साथी क्रांतिकारियों में बम तथा बन्दूक की गोलियाँ आदि बनाने में कुशल थे। ‘चटगाँव कांड’ के फलस्वरूप अनंता सिंह के कई साथियों को पुलिस द्वारा गिरफ़्तार कर लिया गया था। जब उन्हें इस घटना का पता चला तो वे स्वयं पुलिस के समक्ष उपस्थित हो गये। आजीवन कारावास के तहत उन्हें 1932 में अंडमान की जेल भेज दिया गया, जहाँ से वे 1946 में रिहा हुए।
मुबारक साल गिरह
मेधा पाटकर
1 दिसम्बर, 1954- मुंबई- प्रसिद्ध समाज सेविका के रूप में जानी जाती हैं। उन्हें ‘नर्मदा घाटी की आवाज़’ के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है। गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित मेधा पाटकर ने ‘सरदार सरोवर परियोजना’ से प्रभावित होने वाले लगभग 37 हज़ार गाँवों के लोगों को अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ी है। उन्होंने महेश्वर बांध के विस्थापितों के आंदोलन का भी नेतृत्व किया। अरूंधती रॉय लेखिका उनकी निकट सहयोगी रही हैं।
गुरुकुमार बालचंद्र पारुलकर
– 1 दिसम्बर, 1931, मुम्बई,- प्रसिद्ध चिकित्सक हैं। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में उनके द्वारा दिये गये विशेष योगदान के लिए 1998 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था।
राकेश बेदी
1 दिसम्बर, 1954, नई दिल्ली- फ़िल्म अभिनेता, मंच कलाकार हैं। वह हिंदी फ़िल्मों में अपने कॉमिक अंदाज के लिए जाने जाते हैं। फ़िल्म इंडस्ट्री में राकेश बेदी ने करीब 175 फ़िल्में (हिंदी, पंजाबी व अन्य भाषाओं) में काम किया। 50 से अधिक टीवी शो में उन्होंने देश-विदेश में अपनी अदाकारी के बलबूते पर अपना जलवा बिखेरा। यही नहीं उन्होंने देश-विदेश में 200 से अधिक प्रसिद्ध नाटकों में अपनी एक्टिंग से जमकर तालियां बटोरीं। वर्तमान में वह अक्सर लोकप्रिय टेलिविज़न धारावाहिक ‘भाभी जी घर पर है’ में दिखाई देते हैं।
पुण्य तिथि पर विशेष
सुचेता कृपलानी
– 25 जून, 1908, अम्बाला- 1 दिसंबर, 1974- प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ थीं। ये उत्तर प्रदेश की चौथी और भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थीं।
विजयलक्ष्मी पण्डित
– 18 अगस्त, 1900, इलाहाबाद, 1 दिसम्बर, 1990- पण्डित जवाहरलाल नेहरू की बहन थीं। भारत के लिए ‘नेहरू परिवार’ ने जो महान् बलिदान और योगदान किया है, राष्ट्र उसे हमेशा याद रखेगा। विजयलक्ष्मी पण्डित ने भी देश की स्वतंत्रता में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ में भाग लेने के कारण उन्हें जेल में बंद किया गया था। विजयलक्ष्मी एक पढ़ी-लिखी और प्रबुद्ध महिला थीं और विदेशों में आयोजित विभिन्न सम्मेलनों में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। भारत के राजनीतिक इतिहास में वह पहली महिला मंत्री थीं। संयुक्त राष्ट्र की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष भी वही थीं। विजयलक्ष्मी पण्डित स्वतंत्र भारत की पहली महिला राजदूत थीं, जिन्होंने मॉस्को, लंदन और वॉशिंगटन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
शंकर त्रिम्बक धर्माधिकारी
18 जून, 1899, बैतूल – 1 दिसम्बर, 1985- प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, लेखक और गाँधीवादी चिंतक थे। ये ‘गाँधी सेवा संघ’ के सक्रिय कार्यकर्ताओं में से एक थे। आप ‘दादा धर्माधिकारी’ के नाम से अधिक जाने जाते थे। दादा धर्माधिकारी ने अपना अधिकांश समय दलितों और महिलाओं के उत्थान में लगाया। हिन्दी, संस्कृत, मराठी, बंगला, गुजराती और अंग्रेज़ी भाषाओं का इन्हें अच्छा ज्ञान था। एक लेखक के रूप में इनकी दो दर्जन से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई थीं। एजेंसी