– वीर विनोद छाबड़ा पचास का दशक था वो। आठ-दस साल के रहे होंगे हम। लखनऊ के आलमबाग की चंदर नगर मार्किट के ऊपर रहते थे। सामने से गुज़रती कानपुर रोड की दूरी अधिक से अधिक पचास-साठ की मीटर रही होगी। वहां से जितने भी वीआईपी गुज़रते थे, उन्हें हम आसानी से देख सकते थे। [... Read more