टिकट बांटने में वीरभद्र की मर्जी
शिमला। कांग्रेस ने 22 अक्टूबर को बची नौ सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को शिमला ग्रामीण से टिकट के लिए आखिरी सूची का इंतजार करना पड़ा। कांग्रेस ने दो सूचियां जारी कीं। दूसरी सूची में सात नए प्रत्याशी घोषित किए जबकि एक का टिकट बदला गया। अंतिम सूची शाम सात बजे घोषित हुई, जिसमें विक्रमादित्य के साथ स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह की बेटी चंपा ठाकुर (मंडी) को टिकट दिया गया।
पहली सूची में कांग्रेस ने 18 अक्टूबर को 59 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए थे। कांग्रेस की अंतिम दो सूचियों में परिवारवाद हावी रहा व नेताओं के पुत्र-पुत्रियों को टिकट मिले। युकां के र्पदेशाध्यक्ष विक्रमादित्य विधानसभा का चुनाव पहली बार लड़ेंगे। उन्हें टिकट देने की पैरवी पिता वीरभद्र ने की थी। इसीलिए उन्होंने शिमला ग्रामीण सीट बेटे के लिए छोड़ अर्की को चुना था। परिवारवाद के कारण उनके टिकट पर अंतिम समय तक पेंच फंसा रहा। वहीं चंपा ठाकुर को भी पिता स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह की वजह से टिकट मिला है। चंपा अभी जिला परिषद मंडी की अध्यक्ष हैं। अनिल शर्मा के भाजपा में शामिल होने से मंडी सीट से उनकी दावेदारी पुख्ता हो गई। राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की स्वीकृति के बाद केंद्रीय चुनाव समिति के प्रभारी आस्कर फर्नाडीज ने प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी की। इसमें विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल के बेटे आशीष को पालमपुर से उतारा गया है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रामनाथ शर्मा के बेटे विवेक को कुटलैहड़ से चुनाव मैदान में उतारा है। (हिफी)
भाजपा पर बरसे राहुल
अहमदाबाद। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा पर जमकर वार किया। उनके मुताबिक, गुजरात अनमोल है। इसे कभी न तो खरीदा गया है और न ही खरीदा जा सकेगा। उधर, पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़े दो पाटीदार नेता नरेन्द्र पटेल व निखिल सवाणी ने भाजपा में शामिल होने के कुछ समय बाद ही पार्टी पर खरीद फरोख्त का आरोप लगाते हुए भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। नरेन्र्द पटेल ने उन्हें एक करोड़ का ऑफर देकर एडवांस में 10 लाख रुपये देने का दावा करते हुए भाजपा से पेशगी में मिले दस लाख रुपये मीडिया को दिखाए।
दो पाटीदार नेताओं के इस तरह भाजपा से इस्तीफे व खरीद फरोख्त के आरोपों ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। खुद हार्दिक पटेल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से सोमवार को गांधीनगर में मिलने से इनकार करते हुए दस दिन के लिए चुनावी रैली पर निकल गए। सोमवार को वे उत्तर गुजरात के मांडल में आक्रोश रैली में शिरकत करेंगे। हार्दिक ने पहले ही भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस के समर्थन का ऐलान कर दिया है- लेकिन वे राहुल से फेस टू फेस मुलाकात कर खुद पर कांग्रेसी होने व किसी राजनीतिक दल का करीबी होने का ठप्पा नहीं लगाना चाहते इसलिए राहुल से मुलाकात के बजाए वे अकेले अपने चुनावी अभियान पर निकल गए। (हिफी)
वसुंधरा ने दिया जजों को अभयदान
जयपुर। राजस्थान सरकार ने अपने लोकसेवकों, जिला जजों और मजिस्ट्रेट आदि को ऐसा अभयदान दे दिया है, जिससे न सिर्फ उनके खिलाफ कोर्ट में परिवाद दायर करना मुश्किल हो गया है, बल्कि किसी ने परिवाद दायर किया है तो सरकारी मंजूरी के बिना उसे प्रकाशित करना तक अपराध बन गया है। ऐसे मामले र्पकाशित करने पर दो साल तक की सजा हो सकती है। हां, थाने में दर्ज एफआईआर कोर्ट के समक्ष आती है तो उस स्थिति में कोर्ट को सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
राजस्थान सरकार ने हाल में एक अध्यादेश जारी किया है। इसमें भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन किए हैं, जो राजस्थान में ही लागू होंगे। इस अध्यादेश के मुताबिक ड्यूटी के दौरान किसी वर्तमान या पूर्व लोकसेवक, जिला जज या मजिस्ट्रेट की कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट में परिवाद दायर किया जाता है तो कोर्ट उस पर तब तक जांच के आदेश नहीं दे सकता, जब तक कि सरकार की स्वीकृति न मिल जाए। परिवाद पर जांच की स्वीकृति के लिए 180 दिन की मियाद तय की गई है। इस अवधि में स्वीकृति प्राप्त नहीं होती है तो यह माना जाएगा कि सरकार ने स्वीकृति दे दी है। (हिफी)
डैमेज कंट्रोल में जुटे अखिलेश
लखनऊ। यादव परिवार में चल रही कलह दीपावली पर खत्म होती दिखाई पड़ी। इसके बाद समाजवादी पार्टी अब संगठन को हुए नुकसान की भरपाई में जुट गई है। इसके लिए निकाय चुनाव में युवाओं को अधिक तरजीह दिए जाने संकेत अखिलेश यादव ने दिये हैं।
वहीं, अब तक हाशिये पर चल रहे पार्टी के कुछ पुराने नेताओं को भी संगठन की मुख्य धारा में लाया जा सकता है। हाल ही में नियुक्त किए गए जिलों के प्रभारियों की रिपोर्ट मिलने के बाद पार्टी योजनाबद्ध ढंग से इस काम को अंजाम देने की तैयारी में है। समाजवादी परिवार में एकता की उम्मीदें आगरा में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद ही दिखने लगी थीं। इस बीच शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच की तल्खी भी कम हुई थी, फिर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई थी लेकिन, इस दीपावली पर सैफई में पूरे परिवार के जमावड़े के बाद यह साफ हो गया कि पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की कोशिशें रंग ला चुकी हैं। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव की नरमी ने इस बात के संकेत भी दे दिए हैं कि भले ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी में चाचा शिवपाल को जगह नहीं दी जा सकी है, लेकिन उनके समर्थकों के लिए रास्ते खुल सकते हैं। (हिफी)