नई दिल्ली। लखनऊ। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी का निधन हो गया है। उन्होंने दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। एनडी तिवारी का निधन उनके जन्मदिन के दिन हुआ है।उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री तथा आन्ध्र प्रदेश के पूर्व राज्यपाल नारायण दत्त तिवारी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है।
राज्यपाल ने अपने शोक सन्देश में कहा है कि स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी लोकप्रिय नेता रहे हैं, उनका व्यवहार सभी लोगों के साथ स्नहेपूर्ण था। आम आदमी के साथ उनका गहरा लगाव था, उनके पास जो भी व्यक्ति जाता था उसकी वह अवश्य मदद करते थे।
राम नाईक ने कहा कि स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी ने दीर्घकाल तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया। वह तीन बार उत्तर प्रदेश के तथा एक बार उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रहे। इसके साथ ही उन्होंने आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवाएं प्रदान कीं। राज्यपाल ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए शोकाकुल परिजनों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एनडी तिवारी के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट किया, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त करता हूं। ईश्वर से उनकी दिवंगत आत्मा की शांति व परिजनों को दु:ख सहने की प्रार्थना करता हूं। श्री रावत ने कहा, एनडी तिवारी का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। विरोधी दल में होने के बावजूद उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर रहकर सदैव अपना स्नेह बनाए रखा। तिवारी के जाने से भारत की राजनीति में जो शून्य उभरा है, उसकी भरपाई कर पाना मुश्किल है। श्री तिवारी देश के वित्तमंत्री, उद्योग मंत्री और विदेश मंत्री अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं।
नारायण दत्त तिवारी को तबीयत बिगडऩे के बाद दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। एनडी तिवारी के बेटे रोहित शेखर तिवारी ने ट्वीट कर अपने पिता एनडी तिवारी की हालत गंभीर होने की बात कही थी
नारायण दत्त तिवारी का निधन हो गया है वे यहाँ भी इतिहास बना गए.उनका नाम भी उस रिकार्ड में दर्ज हो गया जहाँ जन्म दिन के दिन ही लोगों ने अपने प्राण त्यागे। नारायण दत्त तिवारी उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के भूतपूर्व मुख्यमन्त्री थे। एन. डी. तिवारी उत्तर प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रहे और उत्तरांचल प्रदेश बनने के बाद वहाँ के तीसरे मुख्यमंत्री बने। नारायण दत्त तिवारी का जन्म 1925 में नैनीताल जिले के बलूती गांव में हुआ था। तब न उत्तर प्रदेश का गठन भी नहीं हुआ था। ये हिस्सा 1937 के बाद से यूनाइटेड प्रोविंस के तौर पर जाना गया और आजादी के बाद संविधान लागू होने पर इसे उत्तर प्रदेश का नाम मिला। उनके पिता पूरन चंद तिवारी भी स्वतंत्रता सेनानी थे। देशभक्ति की भावना से प्रेरित तिवारी जी विद्यार्थी जीवन में ही आंदोलन में सम्मिलित हो गये। और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में गिरफ्तार कर लिए गये। जेल से छूटने पर उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की। तभी उन्हें देश के प्रमुख नेताओं जवाहरलाल नेहरू, महामना मदनमोहन मालवीय, आचार्य नरेंद्र देव आदि के आने का अवसर मिला और वे समाजवादी बन गए। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन कुमाऊं के श्रमिक संघों के संगठन में लगकर आरम्भ किया।
1952 के प्रथम आम निर्वाचन में समाजवादी पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये। 1957 में वे पुन विधान सभा पहुँचे। परंतु 1962 और 1967 में उन्हें सफलता नहीं मिली। इस बीच 1965 में वे कांग्रेस में सम्मिलित हो गये थे। 1969 के मध्याविधि चुनाव में विजयी होने पर तिवाजी जी उत्तर प्रदेश में मंत्री बने। इसके बाद क्रमश 1976 में,1984 में, 1985 में और 1988 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला। वे केंद्र में योजना मंत्री, उद्योग मंत्री, पेट्रोलियम और विदेश मंत्री के पद पर काम कर चुके हैं। वे कुछ समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। 1993 और 1997 के संसदीय चुनाव में असफल रहने के बाद वे 1999 में फिर सांसद चुने गये। 2002 में उत्तरांचल में कांग्रेस को बहुमत मिलने पर उन्हें वहाँ का मुख्यमंत्री बनाया गया।
1990 में एक वक्त ऐसा भी था जब राजीव गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी दावेदारी की चर्चा भी हुई। पर आखिरकार कांग्रेस के भीतर पीवी नरसिंह राव के नाम पर मुहर लग गई। बाद में श्री तिवारी आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बनाए गए लेकिन यहां उनका कार्यकाल बेहद विवादास्पद रहा।
नारायण दत्त तिवारी को झटका लगा, जब दिल्ली हाईकोर्ट में उनके रक्त के नमूने संबंधी डीएनए रिपोर्ट सार्वजनिक किया गया और उस रिपोर्ट के अनुसार पितृत्च वाद दायर करने वाले रोहित शेखर तिवारी ही एनडी तिवारी के बेटे हैं। दिल्ली में रहने वाले 32 साल के रोहित शेखर तिवारी का दावा है कि एनडी तिवारी ही उसके जैविक पिता हैं और इसी दावे को सच साबित करने के लिए रोहित और उसकी मां उज्ज्वला तिवारी ने 2008 में अदालत में एन डी तिवारी के खिलाफ पितृत्व का केस दाखिल किया था। संजोग वॉल्टर। एजेंसी।(हिफी)