राकेश अचल-प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 17 सितम्बर को जन्मदिन है.कल वे अपने जीवन के 72 वर्ष पूर्ण कर लेंगे. 17 सितंबर 1950 को बड़नगर में जन्मे मोदी जी अपना जन्मदिन मनाने मध्यप्रदेश आ रहे हैं. इस मौके पर उन्हें तोहफे के रूप में कूनो अभ्यारण्य में अफ्रीकी चीतों के साथ दिन बिताने का मौका दिया जाएगा,लेकिन मोदी जी को जन्मदिन का सबसे बड़ा तोहफा उनके गृहराज्य गुजरात से दिया जा रहा है. गुजरात के अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ने मणिनगर में स्थित मेडिकल कॉलेज का नाम प्र्धानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नाम पर रखने के फैसला लिया है. यह फैसला निगम की स्थायी समिति की बैठक में किया गया. यह मेडिकल कॉलेज मेडिकल एजुकेशन ट्रस्ट की ओर से चलाया जाता है. यह कॉलज एलजी हॉस्पिटल के कंपाउंड में है.
मोदी इक्कीसवीं सदी के जाज्व्लयमान नेता हैं. सियासत के आकाश में ध्रुव तारे की तरह चमक रहे हैं.उन्होंने आपने आठ साल के कार्यकाल में देश के लिए जो किया है वो उनसे पहले कोई प्रधानमंत्री नहीं कर पाया.[इसका लेखा-जोखा अभी नहीं ] इसलिए उनके योगदान को रेखांकित किया जाना आवश्यक है ताकि देश जान सके कि जवाहरलाल नेहरू,इंदिरा गाँधी और दूसरे तमाम प्रधानमंत्रियों के साथ ही देश में एक ऐसा भी प्रधानमंत्री हुआ जिसने अपना इतिहास खुद लिखा.
प्रधानमंत्री जी व्यक्तिपूजा और वंशवाद के खिलाफ हमेशा से रहे हैं.लेकिन वे जिन व्यक्तियों को पूजते हैं वे अपवाद हैं .वे जिस वंशवाद के साथ खड़े होते हैं वो भी अपवाद ही है,लेकिन उनकी पार्टी शायद अब उनके कहे में नहीं है ,इसीलिए पहले उनके नाम से एक स्टेडियम स्थापित किया गया और अब एक मेडिकल कालेज उनके नाम किया जाएगा.अतीत में अमर होने के लिए ये काम नेहरू,गांधी परिवार ने खूब किया.देश के हर दूसरे,तीसरे संसथान इन्हीं लोगों के नाम पर बनाये गए हैं,लेकिन इन लोगों के नाम से कभी जीते जी कोई संस्थान नहीं बना.
मोदी जी से पहले ये करिश्मा अटल जी के कार्यकाल में हुआ था.ग्वालियर में उनके नाम से एक राष्ट्रीय तकनीकी,प्रबंधन संस्थान की स्थापना की गयी थी.तबके मानव संसाधन मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी इस नामकरण समारोह के लिए ग्वालियर आये थे.मोदी जी के नाम से भी अब यही सब हो रहा है, होना चाहिए,इसका विरोध भी अनुचित है ,क्योंकि कोई भी काम हम अपने अतीत से सीखते हैं.भाजपा कांग्रेस से ही तो सब सीख रही है. कुछ काम उसने कांग्रेस से ज्यादा सीख लिए हैं.जन-प्रतिनिधियों की खरीद-फरोख्त और व्यक्तिपूजा में भाजपा कांग्रेस से मीलों आगे निकल चुकी है.
मोदी जी के जन्मदिन का तोहफा इससे बड़ा भी हो सकता था.लेकिन किसी ने इस बारे में नहीं सोचा. मोदी जी को जन्मदिन पर कोई एक ऐसी योजना शुरू करना थी जो मनरेगा की तरह देश की जनता को दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाती .वे ऐसी कोई परियोजना के पात्र भी थे जो शिक्षा,स्वास्थ्य,के क्षेत्र में सबसे अलग होती ,लेकिन जो नहीं हुआ उसके लिए क्या रोना ? गुजरात के अहमादाबाद ने अपनी हैसियत के अनुरूप काम किया और मध्यप्रदेश की सरकार ने अपनी हैसियत के अनुरूप.
मोदी जी को जन्मदिन की शुभकामनायें देने के सौ तरीके हो सकते थे,लेकिन नहीं हुए. वे बिना स्टेडियम या मेडिकल कालेज के भी इस सदी के इतिहास में अजर-अमर रहने वाले हैं .उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकेगा,करना भी नहीं चाहेगा.क्योंकि मोदी जी की उपलब्धियों में जो शामिल है उसकी मीमांसा होना अभी शेष है. वे न महात्मा गाँधी हैं, न जवाहर लाल नेहरू.वे न इंदिरा गाँधी हैं और न अटल बिहारी बाजपेयी. वे नरेंद्र भाई मोदी हैं और सबसे अलग हैं ..हमारे ग्वालियर के प्रसिद्ध गीतकार वीरेंद्र मिश्र ने शायद मोदी के लिए ही लिखा था कि -‘ अपनी टक्कर अपने से है ,या फिर शाहजहां से है ‘.
मोदी जी भविष्य के लिए जितने कटिबद्ध हैं उतने ही अतीत से भी टकरा रहे हैं. उनकी टक्कर मुगलों से भी है और उनकी निशानियों से भी . अंग्रेजों से भी है और उनकी निशानियों से भी है.वे एक के बाद एक मुगलों की निशानियां बदलने में लगे हैं, इस हड़बड़ी में वे आजाद भारत में किंग्स वे से राजपथ बनाये गए रास्ते का नाम भी बदल बैठे .ऐसा होता है. इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए.अपने अतीत से टकराना भी एक बड़े पुरषार्थ का काम है.भविष्य को गढ़ने से बड़ा पुरषार्थ होता है ये,मोदी से पहले आप ही बताइये की कौन अपने अतीत से लड़ा ?
मोदी जी के जन्मदिन पर हमारी भी शुभकामना है कि वे शतायु हों और लालकृष्ण आडवाणी की तरह कभी भावी नेतृत्व द्वारा मार्गदर्शक मंडल में न फेंके जाएँ.वे अनंतकाल तक देश के प्रधानमंत्री रहें,ताकि देश में जो अच्छेदिन आने से बिदक रहे हैं ,वे वापस आ सकें.उनका प्रधानमंत्री बने रहना देश से ज्यादा भाजपा के लिए जरूरी है ,क्योंकि जैसे ही वे पदच्युत होंगे भाजपा का भी वो ही हाल होने की आशंका है जो आज कांग्रेस की हो रही है .मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा को आप नए युग की कांग्रेस कह या मान सकते हैं.क्योंकि मोदी जी ने देश में कबाड़ से सरदार पटेल की ही विशाल प्रतिमा खड़ी नहीं की बल्कि कांग्रेस के कबाड़ से,जुगाड़ से भाजपा की भी एक नई छवि गढ़ी है.
मेरी बदनसीबी है कि मै मोदी जी से कभी मिला नहीं. जब-जब मिलने के मौके आये मुझे स्थानीय प्रशासन ने जानबूझकर उस सूची से पृथक कर दिया जो उनसे मिलने वालों की बनाई जाती है .कल 17 सितंबर को भी मै चाहते हुए भी उनसे मिलकर उन्हें शुभकामनायें नहीं दे सकूंगा .लेकिन इससे न मोदी जी को कोई फर्क पड़ने वाला है और न मुझे.मोदी जी मोदी जी हैं और मै तो अचल हूँ ही.मोदी जी बार-बार मध्य्रदेश आएं,ग्वालियर आएं उनका सदैव स्वागत है.वे शतायु भी हों और निरोगी भी रहें मोदी जी से देश को कम भक्तमंडल को बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं.