मुबारक साल गिरह-अंजू बॉबी जार्ज प्रसिद्ध महिला एथलीट हैं। अंजू का जन्म 19 अप्रैल 1977 को केरल में चंगनाश्शेरी के कोचूपरम्बिल परिवार में के.टी.मारकोस के घर हुआ। अंजू बॉबी जॉर्ज ने 2003 में पेरिस में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लंबी कूद में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रचा था। और ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय एथलीट बनी थीं। अंजू ने पाँच वर्ष की उम्र में एथलेटिक्स स्पर्धाओं में भाग लेना शुरू कर दिया था। इनकी माँ ग्रेसी तथा पिता के. टी. मार्कोस ने अपनी बेटी के एथलेटिक्स की दिशा में बढ़ते कदमों में रुचि लेकर उसे आगे बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित किया। इनके पिता का फर्नीचर का व्यवसाय है। अंजू के स्कूल ने उसके लिए कूद थ्रो और दौड़ने के लिए अलग से कार्यक्रम बनाकर उसे अभ्यास के लिए पर्याप्त मौका दिया। इसके बाद अंजू सी. के. केश्वरन स्मारक हाई स्कूल कोरूथोडू चली गईं। वहाँ सर थॉमस ने उसकी कला को चमकाया और तब अंजू ने स्कूल को लगातार 13वें साल ओवरऑल खिताब दिलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ अंजू ने ऊँची कूद, लम्बी कूद, 100 मी. दौड़ और हैप्थलॉन आदि सभी खेलों की प्रैक्टिस की।
अंजू की आदर्श पी. टी. उषा थीं।20 साल की उम्र में अंजू ने ट्रिपल जंप में नेशनल रिकॉर्ड बना दिया. 1999 में नेपाल में हुए साउथ एशियन फेडरेशन कप में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता. ये उनके अब तक के करियर की सबसे बड़ी जीत थी. लेकिन इसके साथ ही कुछ ऐसा हुआ जिसके कारण वो 2 साल तक खेलों से दूर रहीं. इस मैच में उनके एंकल में गहरी चोट आई थी. इसी चोट के चलते वो 2000 में हुए सिडनी ओलंपिक में भी हिस्सा नहीं ले पाई थीं.अंजू हार मानने वालों में से बिलकुल भी नहीं थीं. 2001 में वो अपनी चोट से उभरीं और लंबी कूद में 6.74 मीटर का रिकॉर्ड कायम किया. इसके बाद अंजू ने भारत के ट्रिपल जंप के राष्ट्रीय चैंपियन राबर्ट बॉबी जॉर्ज से अपना खेल और बेहतर करने करने के लिए मदद ली. आगे चल कर अंजू ने उन्हीं के साथ शादी भी करी.अंजू ने मैनचेस्टर के राष्ट्रमंडल खेलों में सिल्वर मेडल जीतकर अपनी पहचान बनाई . ये मेडल जीतने वाली वह भारत की पहली महिला एथलीट थीं. यहां उन्होंने 6.49 मीटर लम्बी छलांग लगाई थी. इसके वाद बुसान एशियाई खेलों में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता. यहां उन्होंने 6.53 मीटर की छलांग, 1.8 मीटर प्रति सेकंड की स्पीड से लगाई थी. इसके बाद अंजू ने दुनिया के जाने-माने एथलीट माइक पावेल से ट्रेनिंग ली. उन्होंने अंजू को अमेरिका में कड़ी ट्रेनिंग दी.2003 में उन्होंने वो कर दिखाया जो तब तक किसी खिलाड़ी ने नहीं किया था. जहां 1960 में मिल्खा सिंह ने रोम ओलंपिक में रेस में वर्ल्ड रिकार्ड बनाया फिर भी मेडल पाने से चूक गए. साथ ही 1984 में एंजिल्स में पी.टी. उषा 0.6 सेकेंड्स से मेडल जीतने से चूक गई थीं. वहीं 2003 में विश्व-स्तर के कॉम्पिटिशन में मेडल जीतने वाली पहली इंडियन बनीं अंजू. ये कमाल उन्होंने सितम्बर 2003 में पेरिस में हुई वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कर दिखाया था. ये जीत उन्होंने 6.7 मीटर की जंप लगा कर अपने नाम दर्ज की थी.13 अगस्त, 2004 को हुए एथेंस ओलंपिक में भारतीय झंडा लेकर चलने का सम्मान अंजू जॉर्ज को दिया गया था. इसमें कर्णम मल्लेश्वरी, लिएंडर पेस, धनराज पिल्लै और अंजलि भागवत का नाम भी सामने आया था. लेकिन आखिर में भारतीय टीम के नेतृत्व का सम्मान अंजू बॉबी जॉर्ज को दिया गया था. इस चैंपियनशिप में अंजू से सारे भारतवासियों की काफी उम्मीदें थीं. लॉन्ग जंप में अंजू ने 6.69 मीटर की लम्बी छलांग लगाकर फाइनल में एंट्री तो की लेकिन कोई मेडल नहीं जीत पाईं.21 सितम्बर, 2004 में ही उन्हें देश के सर्वोच्च खेल सम्मान ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ अवार्ड से नवाजा गया. इसमें उनके कोच पति रॉबर्ट बॉबी जॉर्ज को द्रोणाचार्य अवार्ड दिया गया था. अंजू कस्टम विभाग में कार्यरत है। वह बेंगलौर में रहती हैं और वह प्रशिक्षण भी वही से प्राप्त करती हैं। उनकी खेल उपलब्धियों को देखते हुए चेन्नई कस्टम्स हाउस ने बिना बारी के उनको पदोन्नति दी। दो बार की ओलिम्पियन अंजू को सीमा शुल्क विभाग में अधीक्षक स्तर पर पदोन्नति दी गई।
उपलब्धियाँ
अंजू विश्व एथलेटिक्स में पदक जीतने वाली प्रथम भरतीय महिला एथलीट हैं। उन्होंने वर्ष 2003 में पेरिस में ‘विश्व एथलेटिक्स’ चैंपियनशिप में कास्य पदक जीता।1999 में अंजू ने दक्षिण एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। 2001 में अंजू ने लम्बी कूद रिकार्ड कायम किया, उन्होंने 6.74 मीटर लम्बी छलांग लगाई। अंजू की दुनिया में 13वीं रैंकिंग रही है। विश्व चैंपियनशिप के लिए सातवीं रैंकिंग भी मिल चुकी है। अंजू ने मानचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता। 2002 में बुसान एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता। एथेंस ओलंपिक में 2004 में, अंजू को ध्वजवाहक का सम्मान प्राप्त हुआ। 2004 में अंजू बॉबी जार्ज को ‘राजीव गाँधी खेल रत्न’ सम्मान प्राप्त हुआ। 2008 में तीसरी दक्षिण एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।