एजेंसी। स्वप्निल संसार। ‘गीतमाला’ प्रोग्राम के जरिए सुनी गई अमीन सयानी की आवाज़ ‘बहनों और भाइयो’ आम लोगों को आज भी गुदगुदाती है। 46 साल तक रेडियो सीलोन के जरिए सयानी की प्रस्तुति और बाद में विविध भारती पर इसके प्रसारण को लोग आज भी याद करते हैं।
अमीन सयानी का जन्म ब्रिटिशकालीन भारत में 21 दिसम्बर, 1932 को बम्बई अब मुम्बई में हुआ था। कभी ‘रेडियो का दूसरा नाम’ कहे जाने वाले अमीन सयानी आज भी उसी रुमानियत और जोश से भरे हैं। वही बोलने का अंदाज़, वही मीठी और अपनेपन वाली आवाज़।
अमीन सयानी का सफ़र इतना आसान नहीं था। कभी वे गायक बनना चाहते थे, लेकिन बाद में जाने-माने ब्रॉडकास्टर बन गए। वे मानते हैं कि अच्छी हिन्दी बोलने के लिए थोड़ा-सा उर्दू का ज्ञान ज़रूरी है। अमीन सयानी रेडियो सिलोन पर 1952-1994 तक ‘बिनाका गीत माला’ के सफल और लोकप्रिय प्रस्तोता रहे।
अमिताभ से मिलने का समय नहीं था
बॉलीवुड में किस्मत आजमाने से पहले अमिताभ बच्चन रेडियो एनाउंसर बनना चाहते थे और इसके लिए वह ऑल इंडिया रेडियो के बम्बई अब मुंबई स्टूडियो में ऑडिशन देने भी गए थे। अमिताभ बच्चन ने वॉयस ऑडिशन के लिए पहले से समय नहीं लिया था। अमीन सयानी ने साक्षात्कार में कहा, ”यह 1960 के दशक के आखिर में कभी हुआ था, जब मैं एक हफ्ते में 20 कार्यक्रम करता था… हर दिन मेरा अधिकतर समय साउंड स्टूडियो में गुजरता था, क्योंकि मैं रेडियो प्रोग्रामिंग की हर प्रक्रिया में शामिल रहता था… एक दिन अमिताभ बच्चन नाम का एक युवक बिना समय लिए वॉयस ऑडिशन देने आया…” अमीन सयानी ने कहा, ”मेरे पास उस पतले-दुबले व्यक्ति के लिए बिल्कुल समय नहीं था… उसने इंतजार किया और लौट गया, इसके बाद भी वह कई बार आया, लेकिन मैं उससे नहीं मिल पाया और रिसेप्शनिस्ट के माध्यम से यह कहता रहा कि वह पहले समय ले, फिर आए…” अमीन सयानी को बाद में पता चला कि वह अमिताभ बच्चन थे, जो ऑडिशन के लिए उनके कार्यालय आया करते थे। जब अमीन सयानी ने ‘आनंद’ फिल्म (1971) का ट्रॉयल शो देखा तो वह अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व और आवाज़ से प्रभावित हुए और तब उन्हें पता नहीं था कि वह अमिताभ ही थे, जो ऑडिशन के लिए आए थे।
अमीन सयानी ने कहा, “अमिताभ अवार्ड समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आए थे और उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए तीन बार ऑडिशन के लिए रेडियो स्टेशन जाने की बात कही और कहा कि उन्हें ऑडिशन में बैठने भी नहीं दिया गया… मैं सुनकर चौंक गया… बाद में जब मैंने उनका साक्षात्कार किया तो हमने इस पर लंबी चर्चा की और हंसे…” लेकिन इतना सब होने के बावजूद अमीन सयानी का मानना है कि जो हुआ, वह अच्छे के लिए हुआ। उन्होंने कहा, “हालांकि आज मुझे इसे लेकर खेद भी होता है, लेकिन मुझे लगता है, जो हुआ, वह हम दोनों के लिए अच्छा हुआ… मैं सड़क पर होता और उन्हें रेडियो पर इतना काम मिलता कि भारतीय सिनेमा अपने सबसे बड़े सितारे से वंचित रह जाता…”।
आवाज़ के जादूगर और भारत के पहले रेडियो जॉकी अमीन सयानी को फिक्की ने ‘लिविंग लीजेंड अवॉर्ड’ से सम्मानित किया है। इंडियन रेडियो इंडस्ट्री में बड़ा योगदान करने वालों को सम्मानित करने के लिए फिक्की ने ‘इंडियन रेडियो फोरम’ के साथ मिलकर इस अवॉर्ड की स्थापना की है। ‘गीतमाला’ प्रोग्राम के जरिए सुनी गई अमीन सयानी की आवाज ‘बहनों और भाइयो’ आमलोगों को आज भी गुदगुदाती है। ‘गीतमाला’ के अलावा अमीन सयानी ने करीब 54 हज़ार रेडियो प्रोग्राम प्रस्तुत किए। अमीन सयानी को ‘पद्मश्री’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।