5 जनवरी 1965 जेसिका की बर्थ एनिवर्सरी है। एस्पायरिंग मॉडल रही जेसिका लाल अगर 29- 30 अप्रैल 1999 की रात टेमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट की पार्टी में नहीं गई होती, तो आज वो अपनी फैमिली के साथ 54वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रही होती। 29-30 अप्रैल 1999 के तड़के करीब 2 बजे की वो रात थी। जगह थी दक्षिणी दिल्ली में कुतुब मीनार से चंद फर्लांग की दूरी पर स्थित गैर-कानूनी रूप से चलने वाला टेमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट। गैर-कानूनी इसलिए क्योंकि जेसिका लाल के मर्डर वाली रात तक रेस्टोरेंट के पास शराब परोसने का लाइसेंस ही नहीं था। 1999 की गर्मी के दौरान, प्रमुख सोशलाइट बीना रमानी महरौली के क़ुतुब कालेनेड में कुतुब मीनार को देखती नवीकरण की गयी हवेली के भीतर अपने नए खुले “टैमरिंड कोर्ट” रेस्तरां में “थर्सडे स्पेशल नाइट्स” के नाम से विशेष आयोजन करती थीं। हालांकि रेस्तरां को अभी भी शराब का लाइसेंस प्राप्त करना था. सावधानी से चिह्नित किये गए ‘क्यूसी (QC)’ कूपन से पेय खरीदे जा सकते थे और उस रात को जेसिका लाल, बीना रमानी की बेटी मालिनी रमानी, दोस्त शायन मुंशी और दूसरों के साथ कई माडल और मित्र ‘वन्स अपोन ए टाइम’ बार में पेय परोस रहे थे। रात 12.30 तक जमकर शराब का दौर चला। उसके बाद रेस्टोरेंट के बार ने अल्कोहल परोसना बंद कर दिया। पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक रात के करीब दो बजे मनु शर्मा अपने दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट पहुंचा और उसने बार टेंडर जेसिका लाल से शराब की डिमांड की। जेसिका ने उसे शराब देने से मना कर दिया। पहले उसने कुछ रुपयों का लालच दिया, लेकिन जब बात नहीं बनी तो उसने गुस्से में जेसिका के सिर में गोली मार दी।उसका हत्यारा नहीं मनु शर्मा था हरियाणा के कद्दावर कांग्रेसी नेता विनोद शर्मा का बेटा है। मनु की चाचियों में से एक,पूर्व राष्ट्रपति, शंकर दयाल शर्मा की बेटी है। लिहाजा जेसिका लाल मर्डर केस में इंसाफ की राहें मुश्किल हो गईं। सात साल तक चले मुकदमे के बाद फरवरी 2006 में सभी आरोपी बरी हो गए।आरोपियों के बरी होने के बाद भी जेसिका का परिवार निराश नहीं हुआ। उसकी बहन ने नए सिरे से इस केस में जान फूंकने की कोशिश की। यह मामला मीडिया में उछला। उसके बाद तो जेसिका लाल मर्डर केस में इंसाफ के लिए दिल्ली क्या पूरा देश एक साथ आ गया। पूर्व मुख्य न्यायाधीश की तल्ख टिप्पणी और पब्लिक की विरोधी आवाज ने एक लम्हे में पूरे मामले को ही पलट दिया। 9 सितंबर 2006 को एक मशहूर मैगजीन ने गवाहों और मामले से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े कुछ लोगों का ‘स्टिंग- ऑपरेशन’ कर डाला। ऑपरेशन में साबित हो गया कि केस की मिट्टी पलीद कराने के लिए गवाहों की खरीद-फरोख्त की गई। इस भंडाफोड़ के चलते मुख्य आरोपी मास्टर माइंड मनु शर्मा के पिता को उस वक्त हरियाणा सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया.इस केस को दोबारा खोलना पड़ा। फास्टट्रैक कोर्ट में केस चला। उसके बाद जेसिका के हत्यारे मनु शर्मा को उम्र कैद की सजा सुनाई गई।मनु शर्मा को उम्र कैद की सजा मिलने के बाद पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई। लेकिन राजनीतिक रसूख की वजह से मनु शर्मा समय-समय पर जेल से बाहर आता रहा। इसकी दौरान उसने से शादी भी कर ली। वह ‘फरलो’ पर दो हफ्ते के लिए जेल से बाहर आया चंडीगढ़ में शादी रचा ली।मनु और उस लड़की के बीच 10 साल पुरानी जान-पहचान बताई गई। सजा की वजह से उसकी शादी टल गई थी।
केस पर बनी फिल्म ‘नो वन किल्ड जेसिका’
2011 में जेसिका लाल मर्डर केस से प्रभावित होकर फिल्म ‘नो वन किल्ड जेसिका’ बनाई गई। इसमें फिल्म अभिनेत्री रानी मुखर्जी और विद्या बालान प्रमुख भूमिका थे। सच्ची घटना पर आधारित फिल्म नो वन किल्ड जेसिका ने बॉक्स ऑफिस पर भी खूब धमाल मचाया था। इसके अलावा फिल्म हल्ला बोल की कहानी भी जेसिका मर्डर केस से प्रभावित थी. दोनों फिल्मों में आम आदमी और मीडिया की ताकत को दर्शाया गया था।
24 सितम्बर 2009 को, दिल्ली के उप राज्यपाल ने जेल से मनु शर्मा को इस आधार पर 30 दिन की पैरोल दे दी कि उसको उसकी बीमार मां को देखभाल करनी है और उसके पारिवारिक व्यवसाय को भी देखभाल की ज़रुरत है जो उसकी अनुपस्थिति में सही स्थिति में नहीं चल रहा था। कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया कि उसे अपनी दादी की मृत्यु के बाद के अनुष्ठान करने है। लेकिन, वे पूरी तरह झूठ साबित हुए क्योंकि शर्मा की दादी की मृत्यु 2008 में हो गयी थी। इस पैरोल को अगले 30 दिनों तक और बढ़ा दिया गया। मनु शर्मा इस दौरान नाईट क्लब में पार्टी मनाता देखा गया और उसकी माँ, जो बीमार थी परिवार द्वारा चंडीगढ़ में चलाये जा रहे पिकाडिली होटल में एक पत्रकार सम्मलेन को संबोधित करती दिखी।
10 नवम्बर 2009 को, मीडिया के हंगामा करने के कारण, दोषी द्वारा बताये गए कारणों की सही जांच के बिना पैरोल देने और बढाने के लिए आलोचना होने के कारण दिल्ली सरकार ने इस बात पर विचार करने का फैसला किया कि क्या पैरोल को रद्द कर दिया जाये, क्योकि शर्मा सप्ताहांत में दिल्ली के नाईट क्लब में गया था। लेकिन मनु शर्मा ने अगले ही दिन, अपने पैरोल के समाप्त होने के दो सप्ताह के पहले ही तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने जेसिका लाल की हत्या के मामले में हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया।मुख्य आरोपी मनु शर्मा ने 19 अप्रैल 2010 को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दी गयी आजीवन कारावास की सजा को चुनौती दी।
19 अप्रैल 2010 को उच्चतम न्यायालय द्वारा दोषी को आजीवन कारावास की सजा के लिए मंजूरी दे दी गयी। दो जजों की बेंच ने दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय को कायम रखते हुए कहा कि,”अभियोजन ने अपराध के स्थल पर मनु शर्मा की उपस्थिति को उचित संदेह से परे साबित कर दिया है”। मनु शर्मा उर्फ सिद्धार्थ वशिष्ठ के लिए उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने पैरवी करते हुए उच्च न्यायालय के इस फैसले पर ये कहते हुए हमला किया कि उसने निचली अदालत के दोषी को दोषमुक्त करने के फैसले को दरकिनार कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने शर्मा को दोषी बताने का अपना मन बना लिया था। सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ये कहा कि अपराध में उसकी भागीदारी के लिए मनु शर्मा के खिलाफ पर्याप्त सबूत था।एजेंसी।