पुण्य तिथि पर विशेष।
स्वप्निल संसार। एजेंसी। ललित नारायण मिश्र 1973 से 1975 तक रेलमंत्री थे। 3 जनवरी 1975 को समस्तीपुर बम-विस्फोट कांड में उनकी मृत्यु हो गयी थी। बिहार को राष्ट्रीय मुख्यधारा के समकक्ष लाने के लिए सदा कटिबद्ध रहे। उन्होंने अपनी कर्मभूमि मिथिलांचल की राष्ट्रीय पहचान बनाने के लिए पूरी तन्मयता से प्रयास किया। विदेश व्यापार मंत्री के रूप में उन्होंने बाढ़ नियंत्रण एवं कोशी योजना में पश्चिमी नहर के निर्माण के लिए नेपाल-भारत समझौता कराया। उन्होंने मिथिला चित्रकला को देश-विदेश में प्रचारित कर उसकी अलग पहचान बनाई। मिथिलांचल के विकास की कड़ी में ही ललित बाबू ने लखनऊ से असम तक लेटरल रोड की मंजूरी कराई थी, जो मुजफ्फरपुर और दरभंगा होते हुए फारबिसगंज तक की दूरी के लिए स्वीकृत हुई थी। रेल मंत्री के रूप में मिथिलांचल के पिछड़े क्षेत्रों में झंझारपुर-लौकहा रेललाइन, भपटियाही से फारबिसगंज रेललाइन 36 रेल योजनाओं के सर्वेक्षण की स्वीकृति उनकी कार्य क्षमता, दूरदर्शिता तथा विकासशीलता के ज्वलंत उदाहरण है।
वे 1952 में पहली बार दरभंगा-सहरसा सयुंक्त लोकसभा से सांसद चुने गए। इसी कार्यकाल में इन्होंने कोसी की विभीषिका से लोगों को त्राण दिलाने का पहला प्रयास किया, जिस कारण कोसी परियोजना को स्वीकृति मिली। 1954 से 56 तक कोसी परियोजना और भारत सेवक समाज के वे सर्वेसर्वा रहे। इसी दौरान इस परियोजना की आधारशिला रखवाने हेतु कोसी की धरती पर पंडित जवाहर लाल नेहरू एवं नेपाल के तत्कालीन महाराजधिराज महेंद्र वीर विक्रम शाहदेव को लाने का श्रेय उन्हीं को ही जाता है। वे पहली, दूसरी और पांचवी लोकसभा के सदस्य रहे। 1964 से 66 तक और 1966 से 1972 तक राज्यसभा में सदस्य भी रहे। इस दौरान इन्हें रेल मंत्रालय और विदेश मंत्रालय का भी कार्यभार संभालने का मौका मिला।
ललित नारायण मिश्र का जन्म 2 फ़रवरी 1923, को सहरसा में हुआ था। शिक्षा: पटना विश्वविद्यालय (1948) से पूरी की थी। बिहार के समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर 2 जनवरी, 1975 को समारोह के दौरान बम विस्फोट हुआ था. तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र विस्फोट में बुरी तरह जख्मी हो गए थे । इलाज के दौरान 3 जनवरी, 1975 को उनका निधन ही गया था ।
18 दिसंबर 2014 को दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र हत्याकांड में सभी चार आरोपियों को दोषी करार दिया था। तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा की हत्या कर दी गई थी। कोर्ट का यह फैसला 39 साल बाद आया था।