संजोग वॉल्टर । रेहाना सुल्तान शोहरत ,कामयाबी का दूसरा नाम था कभी। आज उनकी ज़िंदगी दूसरों की मदद की मोहताज़ है। रेहाना सुल्तान इन दिनों गुमनामी की जिंदगी जी रही हैं। 19 नवंबर, 1950 को इलाहाबाद (अब प्रयाग राज) के शाहगंज की पत्थर गली में बहाई परिवार में रेहाना सुल्तान जन्म हुआ था। रेहाना सुल्तान ने पुणे से एक्टिंग में ग्रैजुएट पूरा किया हैं। 1967 में एक्टिंग डिग्री मिलने के बाद उन्हें विश्वनाथ अयंगर की डिप्लोमा फिल्म शादी की पहली सालगिरह में काम करने का मौका मिला। इसके बाद निर्माता निर्देशक लेखक डायरेक्टर राजिंदर सिंह बेदी ने में उन्हें फिल्म दस्तक (1970) में नायिका का रोल दिया। रेहाना सुल्तान को फिल्म दस्तक के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के उर्वशी नेशनल अवॉर्ड भी मिला उन दिनों में यही नाम था महिला कलाकारों को दिए जाने वाले राष्ट्रीय पुरुस्कार का । दस्तक ने एक इतिहास और रचा था उस साल का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का भरत पुरुस्कार संजीव कुमार को मिला था। दस्तक के लिये सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का पुरुस्कार मदन मोहन को मिला था। दस्तक के लिए फिल्म फेयर का सर्वश्रेष्ठ सिनेफोटोग्रफी कमल बोस ने जीता था।
दस्तक चूँकि उस दौर के हिसाब से बेहद बोल्ड फिल्म थी मदन मोहन के लाजवाब संगीत से सजी दस्तक ने रेहाना सुल्तान की किस्मत को जगा दिया। इसके बाद रेहाना सुल्तान ने कुछ और फिल्में कीं, जिनमें हार-जीत, प्रेम पर्वत किस्सा कुर्सी का दिल की राहें सज्जो रानी एक लड़की बदनाम सी अलबेली आज की राधा ये सच है खोटे सिक्के एजेंट विनोद थी ।
फिल्म चेतना में सेक्स वर्कर बनीं रेहाना सुल्तान इसके एक डायलॉग से फेमस हो गई थीं। एक सीन में वो कहती हैं मैंने इतने नंगे मर्द देखे हैं कि मुझे अब कपड़े पहनने वाले मर्दों से नफरत होने लगी है। इस सीन में वह बेड पर लाल साड़ी में लिपटी नजर आती हैं। उनके हाथ में व्हिस्की की बोतल होती है और वो शरमाते हुए ग्राहक को बेड पर लाने की कोशिश करती हैं। उन दिनों फिल्म चेतना का पोस्टर भी काफी चर्चा में रहा था। रेहाना सुल्तान ने जितनी भी फ़िल्में की वो सब बोल्ड थी । रेहाना सुल्तान चाह कर भी बोल्ड अभिनेत्री का दाग छुड़वा नहीं सकी।1984 में विजय आनंद की हम रहे न हम जिसमें शबाना आज़मी भी थी। फिल्म कामयाब नहीं रही। इसके बाद रेहाना सुल्तान ने निर्माता निर्देशक बाबू राम इशारा से शादी कर ली । दोनों के कोई आस औलाद नहीं थी। 25 जुलाई 2012 को बाबू राम इशारा रेहाना सुल्तान को हमेशा के लिए अकेला छोड़ गए। बाबू राम इशारा को भी फिल्मों में काम मिलना बंद हो चुका था। बाबू राम इशारा के पास बैंक बैलेंस भी नहीं था। रेहाना सुलतान आर्थिक तंगी के चलते काम की तलाश में निकली। फिल्म डायरेक्टर सुधीर मिश्रा ने उन्हें फिल्म ‘इनकार'(2013) में एक रोल दिया था। उसके रेहाना सुलतान फिल्मों से दूर गुमनामी और गरीबी में जी रही है।