प्रधानमंत्री ने दिल्ली में टीबी उन्मूलन शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया
तपेदिक (टीबी) मुक्त भारत अभियान की शुरूआत
मुझे विश्वास है कि भारत 2025 तक तपेदिक मुक्त होगा : प्रधानमंत्री
by PIB Delhi-“भारत मिशन मोड में तपेदिक की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। मुझे विश्वास है कि भारत 2025 तक तपेदिक मुक्त होगा। ’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां तपेदिक उन्मूलन शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने तपेदिक मुक्त भारत अभियान की शुरूआत भी की।
शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल,डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेडरोस अधानोम घेबरीसस, स्टॉप टीबी पार्टनरशिप की पूर्व निदेशक सुश्री लुसिका डिफियू के अलावा 20 देशों के स्वास्थ्य मंत्री मौजूद थे। सम्मेलन का आयोजन संयुक्त रूप से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय (एसईएआरओ) तथा स्टॉप टीबी पार्टनरशिप द्वारा किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समारोह को तपेदिक उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में दुनिया में हमेशा जाना जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ दुनिया भर में तपेदिक को खत्म करने के लिए वर्ष 2030 तक का समय तय किया गया है, लेकिन आज मैं इस मंच से घोषणा कर रहा हूं कि भारत विश्व के लक्ष्य से 5 वर्ष पूर्व 2025 तक तपेदिक को खत्म करने का लक्ष्य हासिल कर लेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि तपेदिक मुख्य रूप से सबसे गरीब तबका प्रभावित होता है और इस बीमारी को समाप्त करने की दिशा में उठाया गया प्रत्येक कदम गरीबों का जीवन सुधारने की दिशा में एक कदम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तपेदिक उन्मूलन में राज्य सरकारें काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अत: सहकारी संघवाद की भावना को मजबूत करते हुए,मैंने व्यक्तिगत रूप से लिखकर राज्य सरकार से इस मिशन में शामिल होने को कहा है।’ उन्होंने कहा कि ऐसे लोग, जिन्होंने इस बीमारी से लड़ने में बेहद साहस दिखाया है,उनके साथ अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता भी तपेदिक उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, प्रधानमंत्री ने ऐसे लोगों के साहस की सराहना की।
मिशन इंद्रधनुष और स्वच्छ भारत का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले चार वर्षों में टीकाकरण और स्वच्छता का दायरा तेजी से बढ़ा है। अत: लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सही दृष्टिकोण की जरूरत है। ये स्वस्थ समाज के साथ महत्वपूर्ण रूप से जुड़े हैं।
प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत कार्यक्रम के रूप में स्वास्थ्य क्षेत्र की दो बड़ी पहलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 में भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की आधारशिला के रूप में स्वास्थ्य और तंदरूस्ती की कल्पना की गई है। इसके अंतर्गत 1.5 लाख केन्द्र विस्तृत प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को लोगों के घरों तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत के अंतर्गत दूसरे प्रमुख कार्यक्रम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य रक्षा योजना के अंतर्गत 10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों (करीब 50 करोड़ लाभार्थियों) को अस्पताल में इलाज के लिए प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रूपये तक का कवरेज प्रदान किया जाएगा। यह सरकारी सहायता से दिया जाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को सरलता से लागू करने के लिए पर्याप्त धन प्रदान किया जाएगा।
समारोह को संबोधित करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री का दृढ़ सहयोग हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहा है। श्री नड्डा ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री ने हमें इस महत्वाकांक्षी कार्य को हाथ में लेने के लिए प्रेरित किया ताकि हम अपने लक्ष्य में तेजी से आगे बढ़ें और अपने कार्य में तेजी ला सकें।
सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए श्री नड्डा ने कहा कि तपेदिक उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने नई ‘राष्ट्रीय रणनीतिक योजना शुरू की है ताकि 2025 तक भारत को तपेदिक मुक्त किया जा सके। तपेदिक से निपटने के लिए एक आदर्श योजना के रूप में वैश्विक समुदाय ने इसकी सराहना की है। श्री नड्डा ने कहा, ‘हम पोषण संबंधी सहायता, सार्वजनिक-निजी भागीदारी के मॉडल के विस्तार और एचआईवी/एड्स जैसी सफलता का अनुसरण करने के लिए अपनी रणनीतियों को पंक्तिबद्ध करने के लिए नई योजना शुरू कर रहे हैं। हम कार्यक्रम और इलाज के अनुपालन पर निगरानी रखने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। श्री नड्डा ने कहा कि समुदाय की प्रतिज्ञा हॉलमार्क है और यह भारत में तपेदिक उन्मूलन के लिए एक सामाजिक आंदोलन बन गया है।’
श्री नड्डा ने कहा कि स्वास्थ्य योजनाओं के लिए बजट कभी भी कोई मुद्दा नहीं होगा और इसकी झलक स्वास्थ्य के बजट में वृद्धि और आयुष्मान भारत के अंतर्गत दो जबर्दस्त पहलों की घोषणा के जरिए होती है, जो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को सम्पूर्ण रूप से दूर करेगी। उन्होंने कहा कि गरीबों पर खर्च का बोझ कम करने के लिए सरकार ने इलाज के लिए देश भर में सस्ती दवाओं और भरोसेमंद आरोपण (अमृत) फार्मेसियां शुरू की हैं और आम आदमी के लिए स्टेंट और घुटना प्रत्यारोपण को सस्ता किया है।
समारोह में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेडरोस अधानोम घेबरीसस ने कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए यह सही स्थान है और भारत की विश्व के लक्ष्य से 5 वर्ष पहले तपेदिक उन्मूलन का लक्ष्य हासिल करने की योजना उत्साहवर्धक, साहसपूर्ण और महत्वाकांक्षी है। डॉ. टेडरोस ने प्रधानमंत्री को उनकी व्यक्तिगत व राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि तपेदिक के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए इस प्रकार की प्रतिबद्धता की जरूरत है।
जे.पी. नड्डा और डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेडरोस अधानोम घेबरीसस ने ‘’ट्रेकिंग प्रोग्रेस ऑन दिल्ली कॉल टू एक्शन’’ विषय पर एक सत्र की अध्यक्षता भी की। श्री नड्डा ने भी राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों की एक बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने 2025 तक तपेदिक उन्मूलन का लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रचंड समीक्षा और नियमित निगरानी के जरिए राज्यों की सक्रिय भागीदारी का महत्व बताया।
भारत में तपेदिक प्रमुख संक्रामक रोग हैं, जिससे अनेक लोगों की मृत्यु होती है। वर्ष 2016 में तपेदिक के अनुमानत: 28 लाख नए मामलों सामने आए, जिसमें 4 लाख से अधिक लोगों की तपेदिक और एचआईवी से मृत्यु हो गई। नई राष्ट्रीय रणनीतिक योजना में एक बहुविध दृष्टिकोण अपनाया गया है, जिसका उद्देश्य तपेदिक के सभी मरीजों का पता लगाना है। इसमें तपेदिक के मरीजों और अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में मरीजों तक पहुंचने, मरीजों पर केन्द्रित दृष्टिकोण अपना कर सभी मरीजों का इलाज,अतिसंवेदनशील आबादी वाले समूहों में तपेदिक उभरने से रोकने और कार्यान्वयन को सरल और कारगर बनाने के लिए अधिकार प्राप्त संस्थानों और मानव संसाधन निर्मित करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
भारत तपेदिक उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना को लागू कर रहा है। इसके लिए अगले 3 वर्षों में 12,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि दी जाएगी ताकि तपेदिक के प्रत्येक मरीज तक गुणवत्तापूर्ण निदान, इलाज और सहायता की पहुंच सुनिश्चित हो सकें। प्रधानमंत्री की 2025 तक तपेदिक उन्मूलन की कल्पना ने एसडीजी के 5 वर्ष पहले संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक कार्यक्रम के प्रयासों को तेज कर दिया है, जिसके अस्तित्व में आने के बाद 2 करोड़ से अधिक टीबी रोगियों का इलाज किया जा चुका है। कार्यक्रम में राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और विश्व भर के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।