संजोग वॉल्टर।
हिंदी सिनेमा में शमशाद बेगम, सुधा मल्होत्रा, कमल बारोट,रुमागुहा ठाकुरता,जगजीत कौर,सुमन कल्याणपुर, शारदा, उषा मंगेशकर ने भी मंगेशकर बैरियर पार करने की कोशिश की पर इन सब को कामयाबी नहीं मिली। ऐसा ही एक नाम और है,उषा मंगेशकर का। उषा मंगेशकर जो “मंगेशकर सिस्टर ” होते हुए भी इस बैरियर को पार नहीं कर सकी।
उषा जी का जन्म 15 दिसम्बर 1935 को सेन्ट्रल प्रोविन्स अब मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। उनके पिता रंगमंच के कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से हृदयनाथ मंगेशकर और बहनें लता मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना। उषा जी का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश बम्बई अब मुंबई में हुई।
उषा मंगेशकर पंडित दीनानाथ मंगेशकर और शेवंती (शुधमती) की बेटी हैं। लता मंगेशकर, आशा भोसले और मीना खड़िकार और उनके संगीत निर्देशक भाई हृदयनाथ मंगेशकर की सबसे छोटी बहन हैं। कम बजट वाली फिल्म जय संतोषी मां (1975) ने उन्हें कामयाबी दिलवा दी। जय संतोषी मां के लिये फिल्मफेयर बेस्ट फिमेल प्लेबैक सिंगर पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। उन्होंने दूरदर्शन के लिए संगीत नाटक फूलवंती का भी निर्माण किया था। उषा मंगेशकर ने हिंदी,बंगाली मराठी,कन्नड़,नेपाली,भोजपुरी,गुजराती और असमिया भाषा में गाने गाये हैं।
पुरस्कार और नामांकन
जय संतोष मा (1975) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के लिए बीएफजेए अवॉर्ड्स । जय संतोष मा (1975) सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए मनोनीत । इंकार (1977) “मांगता है तो आजा” गीत के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए मनोनीत । इकरार (1980) “हमसे नज़र तो मिलाओ के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए मनोनीत ।
उषा मंगेशकर का सफ़र बहुत उतार चढ़ाव से भरा रहा।
https://www.youtube.com/watch?v=3WIW_3IDmSI
तुमको पिया दिल दिया कितनी नाज से ~ ‘शिकारी’ 1963 की फ़िल्म थी। ‘ईगल फ़िल्म्स’ के बैनर तले एफ़. सी. मेहरा ने इस फ़िल्म का निर्माण किया था, कहानी सुरिंदर मेहरा की थी, पटकथा ब्रजेन्द्र गौड़ का, और निर्देशन मोहम्मद हुसैन का। अजीत और रागिनी अभिनीत इस फ़िल्म को आज अगर याद किया जाता है तो केवल इसके गानों की वजह से। इस फ़िल्म में चार गाने लिखे फ़ारूख़ क़ैसर ने और दो गानें क़मर जलालाबदी ने भी लिखे। इस फ़िल्म का जो सब से मशहूर गीत है वह है लता मंगेशकर और उषा मंगेशकर की आवाज़ों में। हेलन और रागिनी पर फिल्माया हुआ दोनो ने बेहतरीन नृत्य किया । क़ैसर साहब के लिखे और जी एस कोहली का लाजवाब संगीत इस गीत का शुमार सर्वाधिक कामयाब ‘फ़ीमेल डुएट्स’ में होता है। “तुम को पिया दिल दिया कितने नाज़ से” गीत की कामयाबी का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इस गीत के बनने के 40 साल बाद, इस गीत का रीमिक्स बना और वह भी ख़ूब चला। लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि इस गीत के मूल संगीतकार को न तो इसका कोई श्रेय मिल सका और न ही उस समय उन्हें किसी फ़िल्मकार ने बड़ी बजट की कोई फ़िल्म दी। उषा जी को भी इस फिल्म से कोई फ़ायदा नहीं हुआ उनको कामयाबी के लिए 1975 तक इंतज़ार करना पड़ा था।