होली के त्योहार में जब पूरा भारत रंगों से सराबोर हो जाता है तो फिल्म नगरी कैसे अछूती रह सकती है। फिल्मों में होली के दृश्य डाले जाते हैं और अबीर उड़ाते, रंग खेलते नायक नायिका डांस करते हैं। फिल्मों के होली गीत काफी लोकप्रिय भी हुए हैं और आज भी होली खेलते हुए रंग बरसे भीगे चुनर वाली या शोले का होली गीत होली में सब दिल मिल जाते हैं आदि उमंग के साथ गाते हैं। इस प्राकर प्रकार प्यार, तकरार, साजिश हो या भावनाओं की उथल-पुथल की अभिव्यक्ति-हिंदी सिनेमा में फिल्म निर्माताओं ने रंगों के त्योहार होली को एक सटीक पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए हमेशा से उपयोग किया है। पांच दशक से भी ज्यादा समय से हिंदी फिल्मों में होली के गीत काफी प्रचलित हैं। 1950 के युग की रंगीन फिल्मों में यह त्यौहार निर्माताओं के लिए पर्दे पर रंग छिड़कने का एक मौका देता था। फिल्म मदर इंडिया का होली आई रे कन्हाई और नवरंग की अरे जा रे हट नटखट दिमाग में एकदम आ जाता है।
तब से यह सिनेमाई परंपरा अब तक छूटी नहीं है। इस प्रकिर्या में इस रंगीन त्योहार की पृष्ठभूमि पर्दे के किरदारों की भावनाओं को अभिव्यक्त करने और उत्र्पेरक के रूप में काम करती है। होली के इस रंगारंग जश्न के बीच में असल भावनाओं की अभिव्यक्ति को फिल्माया जाता रहा है।
होली कब है या बुरा न मानो होली है जैसे प्रचलित डायलॉग देने वाली फिल्म शोले में रामगढ़ पर खूंखार डकैतों के हमले से अनभिज्ञ गांव वालों की खुशी के रंग में भंग पडऩे के सीक्वंस को रमेश सिप्पी ने होली के गीत से फिल्माना उचित समझा। होली के दिन दिल खिल जाते हैं। इस गीत के साथ फिल्म के नायक-नायिकाएं धर्मेंर्द और हेमा झूमते-गाते और नाचते नजर आते हैं और पूरा गांव आने वाले उस खतरे को भूल जाता है।
इस फिल्म के बाद धर्मेन्द्र और हेमा सात सालों बाद राजपूत के भागी रे भागी रे भागी ब्रज बाला, कन्हैया ने पकड़ा रंग डाला– में फिर साथ नजर आए जिसमें उनका साथ विनोद खन्ना और रंजीता ने दिया। निर्देशक विजय आनंद ने इसके माध्यम से उपर्दवियों के बीच एक खुशमिजाज माहौल बनाया।
इससे पहले विजय आनंद ने गाइड में क्लासिक गीत पिया तो से नैना लागे रे के पहले स्ट्रेंजा में आई होली आई– से यादगार होली सीक्वंस पेश किया था। एक भव्य सेट और पिचकारियों की मदद से उन्होंने हीरोइन वहीदा रहमान को पेश किया। प्यार को पाने की खुशी और उमंग को इन रंगों के साथ परोसने का जतन उन्होंने किया।
सस्पेंस डालने की कोशिश में यश चोपड़ा ने उपनी फिल्मों में बार-बार होलीमोटिव का उपयोग किया है। 1984 ४ में मशाल के होली सीक्वंस होली आई होली आई देखो होली आई रे– में अनिल कपूर और रति अग्निहोत्री के प्रेम के रंग को निखारा और साथ ही दिलीप कुमार और वहीदा रहमान के बीच मौन संवाद पेश किया। डर में चोपड़ा ने अंग से अंग लगाना सजन मोहे ऐसे रंग लगाना के जरिए सस्पेंस डालने की कोशिश की। जूही चावला के साथ जुनूनी प्रेमी बने शाहरुख इन रंगों के बीच ही चोरी चुपके एक करीबी पल पाने में सफल हो जाते हैं। चोपड़ा ने मोहब्बतें में भी सोहनी सोहनी अंखियों वाली से कपल्स के बीच होली सीक्वंस फिल्माया।
मस्ती, छेड़खानी और शर्मिंदगी अमिताभ अपने होली गीतों के लिए भी पहचाने जाते हैं। उनका बागबां फिल्म का होली खेले रघुबीरा- हेमा मालिनी के साथ फिल्माया गया था। अमिताभ का सबसे लोकप्रिय होली नंबर तो बागबां के 20 साल पहले ही आ गया था जब यश चोपड़ा ने सिलसिला में उन्हें फिल्माया था। रंग बरसे- गीत में मस्ती, छेड़खानी और शर्मिंदगी के तत्व डाले गए जब पूर्व प्रेमी अमिताभ और रेखा भांग में डूबे रहते हैं जिन्हें जया और संजीव कुमार असहाय देखते रहते हैं।
इरादों का खुलासा : आखिर क्यों में स्मिता को अपने पति के इरादे का पता भी होली के साथ ही चलता है। उनके पति के किरदार में राकेश रोशन उनकी बहन टीना मुनीम के साथ सात रंग में खेल रही है दिलवालों की होली रे- गाते हुए खेलते है। स्मिता के पास इस निकटता को स्वीकारने के सिवा और कोई चारा नहीं था।
एक मौका देने की गुजारिश : होली की खुशी को जीवन में उदासी के विपरीत नियोजित किया गया है तो होली के रंग को भावनाओं को बदलने में भी इस्तेमाल किया गया है। हीरो चतुराई से विधवा नायिका को खुले आम स्वीकार करने का मौका नहीं छोड़ता। कटी पतंग में राजेश खन्ना उत्साह से आज ना छोड़ेंगे बस हमजोली खेलेंगे हम होली– आशा पारेख के लिए गाते हैं और वह रोते दिल से इस तरह जवाब देती है अपनी अपनी किस्मत देखो, कोई हंसे कोई रोए। धनवान में राजेश खन्ना मारो भर भर भर पिचकारी, गाते हुए रीना रॉय को एक और मौका देने की गुजारिश करते है।
फूल और पत्थर में लाई है हजारों रंग होली के साथ हीरो धर्मेंर्द का विधवा मीना कुमारी को लेकर लगाव मिश्रित भावनाओं को दिखाता है जिसमें समाज की र्पतिक्त्रिया का डर शामिल है।
मिलन और जुदाई की पीड़ा : हिंदी फिल्मी होली सीक्वंस में कई मूड नजर आते हैं। जख्मी में बदला लेने वाले सुनील दत्त दिल में होली जल रही है गाते हुए खलनायकों की तलाश में हैं। कामचोर का मल दे गुलाल मोहे– होली सीक्वंस एक खुशमिजाज जोड़े के विपरीत राकेश रोशन से बिछड़ कर जयार्पदा के दुख को चित्रित करता है। यह गाना मिलन और जुदाई दोनों को बताने के लिए है। सौतन में मेरी पहले ही तंग थी चोली राजेश खन्ना और टीना के बीच प्रेम को मजाकिया अंदाज में दिखाता है।
राजिंदर सिंह बेदी के तीखेपन से लिखे फागुन में वहीदा पिया संग खेलूं होली फागुन आयो रे गाते हुए एकदम रूक जाती है और पति धर्मेन्द्र एक कटु टिप्पणी के साथ उनकी महंगी साड़ी भिगो देता है। इस प्रकार होली के विविधरूप फिल्मों में दिखाई पड़ते हैं (हिफी)