अनवर जलालपुरी ‘यश भारती’ से सम्मानित उर्दू के मशहूर शायर थे। उन्होंने ‘श्रीमद्भागवत गीता’ का उर्दू शायरी में अनुवाद किया था। उर्दू दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार अनवर जलालपुरी मुशायरों की निजामत के बादशाह थे। मुशायरों की जान माने जाने वाले अनवर जलालपुरी ने ‘राहरौ से रहनुमा तक’, ‘उर्दू शायरी में गीतांजलि’ तथा भगवद्गीता के उर्दू संस्करण ‘उर्दू शायरी में गीता’ पुस्तकें लिखीं, जिन्हें बेहद सराहा गया। उन्होंने ‘अकबर द ग्रेट’ धारावाहिक के संवाद भी लिखे थे।तिथि पर विशेष। स्वप्निल संसार। एजेन्सी। अनवर जलालपुरी ‘यश भारती’ से सम्मानित उर्दू के मशहूर शायर थे। उन्होंने ‘श्रीमद्भागवत गीता’ का उर्दू शायरी में अनुवाद किया था। उर्दू दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार अनवर जलालपुरी मुशायरों की निजामत के बादशाह थे। मुशायरों की जान माने जाने वाले अनवर जलालपुरी ने ‘राहरौ से रहनुमा तक’, ‘उर्दू शायरी में गीतांजलि’ तथा भगवद्गीता के उर्दू संस्करण ‘उर्दू शायरी में गीता’ पुस्तकें लिखीं, जिन्हें बेहद सराहा गया। उन्होंने ‘अकबर द ग्रेट’ धारावाहिक के संवाद भी लिखे थे।
अनवर जलालपुरी का जन्म 6 जुलाई 1947 को जलालपुर, अम्बेडकर नगर, में हुआ था। उनका वास्तविक नाम ‘अनवर अहमद’ था। उन्होंने 1966 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद 1968 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में और 1978 में अवध विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में भी एम.ए. किया। अनवर जलालपुरी उर्दू, अरबी, फ़ारसी विश्वविधालय, नीरज शहरयार अवार्ड चयन कमेटी, यूपी राज्य उर्दू कमेटी से भी जुड़े रहे थे।
अनवर जलालपुरी का अहम कार्य ‘गीता’ को उर्दू शायरी में ढालने का है। ‘गीता’ के 701 श्लोकों को उन्होंने 1761 उर्दू अशआर में व्याख्यायित किया है। जलालपुरी जी कहते थे- “आज जब समाज में संवेदनाशीलता खत्म होती जा रही है, तब ‘गीता’ की शिक्षा बेहद प्रासंगिक है। मुझे लगता था कि शायरी के तौर पर इसे अवाम के सामने पेश करूँ तो एक नया पाठक वर्ग इसकी तालीम से फायदा उठा सकेगा।” इसकी बानगी कुछ इस प्रकार है-कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संङ्गोऽस्त्वकर्मणि।
अनवर जलालपुरी का कहना था कि- “पहले 1982 में ‘गीता’ पर पीएचडी का रजिस्ट्रेशन कराया था। जब अध्ययन करना शुरू किया तो लगा कि ये विषय बहुत बड़ा है। शायद मैं इसके साथ न्याय न कर सकूं। चूंकि मैं कवि था, इसलिए इसके श्लोकों का उर्दू में पद्य के रूप में अनुवाद करने की कोशिश करने लगा। पहले तो ये काम बहुत धीमी गति से चला, मगर पिछले 10 सालों में इसमें खासी तेज़ीआई और करीब तीन साल पहले ये काम मुकम्मल हो गया। इस ऊर्दू गीता को नामवर गायक अनूप जलोटा गा रहे हैं, जिसकी महज 20 प्रतिशत रिकॉर्डिंग ही शेष बची है। इसके बाद हमारा दुनिया के 20-22 इस्लामी देशों में ‘गीता’ का पैगाम पहुंचाने का मिशन है। पाकिस्तान में ‘गीता’ गाकर जलोटा जी ने इसकी शुरुआत कर दी है।”
उनका यह भी कहना था कि- “साहित्य, दर्शन और धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन करना शुरू से मेरी आदत में शुमार था। ‘गीता’ मुझे इसलिए अच्छी लगी क्योंकि इसमें दार्शनिक रोशनी के साथ साहित्यिक चाशनी भी है। इसकी तर्जुमानी के दौरान मैंने महसूस किया कि दुनिया की तमाम बड़ी किताबों में तकरीबन एक ही जैसा इंसानियत का पैगाम है। पूरी ‘गीता’ पढ़ने के बाद मैंने करीब 100 ऐसी बातें खोज निकालीं, जो क़ुरान और हदीस की हिदायतों से बहुत मिलती-जुलती हैं। मतलब साफ है कि अपने वक्त की आध्यात्मिक ऊंचाई पर रही शख्सियतों की सोच तकरीबन एक जैसी ही है। हम जिस मिले-जुले समाज में रह रहे हैं, उसमें एक-दूसरे को समझने की जरूरत है। मगर दिक्कत ये है कि हम समझाने की कोशिश तो करते हैं, मगर सामने वाले वो बात समझना नहीं चाहते हैं।”
उर्दू के प्रसिद्ध शायर अनवर जलालपुरी को पुरस्कार तथा मान-सम्मान आदि भी बहुत मिले- इफ्तेखार-ए-मीर सम्मान – गजल संग्रह पुरस्कार – 2011 उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान – 2012
साम्प्रदायिक एकता सम्मान –बिहार उर्दू अकादमी सम्मान – 2015 यश भारती – 2016
अनवर जलालपुरी की मृत्यु 2 जनवरी, 2018 को हुई। उनको 28 दिसंबर, 2017 को उनके घर में मस्तिष्क आघात के बाद लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था, जहां सुबह करीब सवा नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मृत्यु के समय उनकी आयु करीब 70 वर्ष थी। उनके परिवार में पत्नी और तीन बेटे हैं।
उनके साथ यही हुआ कि वह रोये नहीं और मर गए। अनवर जलालपुरी की मौत से जो सबसे बड़ा नुकसान हुआ है, वह ये कि मुशायरे का टीचर चला गया। एक टीचर के तौर पर वह हमेशा यही चाहते थे कि मुशायरे का स्तर ख़राब न होने पाए। मुशायरा सांप्रदायिकता या अश्लीलता की तरफ न जाये। वह एक संचालक के बतौर नहीं बल्कि एक टीचर की तरह मुशायरे को चलाते थे। कभी किसी ने ख़राब शेर पढ़ा, गलत वाक्य बोला, तो वह टोक दिया करते थे। एजेन्सी।