प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 26 मई को अपनी सरकार के चार साल पूरे कर लेंगे और एक साल बाद उन्हीं के नेतृत्व में भाजपा आम चुनाव लड़ेगी। अभी हाल में सम्पन्न हुए कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और जनता दल(एस) ने जिस तरह से गठबंधन करके सरकार बनायी और मुख्यमंत्री एच.डी. कुमार स्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में एक दर्जन विपक्षी दलों के नेताओं ने एक मंच से भाजपा को चुनौती देने का संकेत दिया, उसके बाद इन चार सालों की समीक्षा ज्यादा प्रासंगिक हो जाती है। सरकार की आलोचना के पूर्वाग्रह को अलग कर दें तो 2014 में जब से श्री मोदी की सरकार बनी, तब से देश के अंदर जोखिम से भरे सुधारवादी कदम और विदेशों में भारत की अच्छी छवि बनाने की चर्चा एक बार फिर से होने लगी है। पाकिस्तान की आतंकवादियों को प्रोत्साहन और प्रशिक्षण देने की कुत्सित नीति का करारा जवाब देने के लिए सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करके मोदी सरकार की साहसी नीति का परिचय दिया। इसके अलावा श्री मोदी की प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में इजरायल की यात्रा और अमेरिका, रूस, चीन, ईरान, जापान और नेपाल से विषम परिस्थितियों के बीच मधुर संबंध बनाना सफल विदेश नीति का परिचायक रहा है। 21 जून को विश्व योग दिवस मनाये जाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ही है। इसीलिए कुछ राजनीतिक समीक्षक कहने लगे कि विपक्षी दलों की एकजुटता भाजपा के विजय रथ को 2019 में भी रोक नहीं पाएगी। विपक्षी दल, विशेष रूप से कांग्रेस भी भाजपा सरकार की उपलब्धियों से घबड़ाई हुई है और 26 मई को इसीलिए उसने काला दिवस मनाने की घोषणा कर रखी है।
मोदी सरकार की कुछ प्रमुख उपलब्धियों पर नजर डाली जाए तो जब उन्हांेने सत्ता संभाली थी, उसी वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था। इस योजना को देश की जनता ने पसंद किया और इसका असर भी धीरे-धीरे देश भर में दिखाई पड़ रहा है। उस समय नीतीश कुमार भी विपक्ष के नेता हुआ करते थे और स्वच्छ भारत अभियान की उन्हांेने खुलकर तारीफ की थी। विदेशों में छिपे कालेधन को देश में लाने के लिए अन्तरराष्ट्रीय कानून भले ही बाधा बने लेकिन मोदी सरकार ने विदेशों में जमा कालेधन पर कानून बनाया है। इसके अलावा देश में छिपे कालेधन को बाहर लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी जैसा जोखिम भरा कदम उठाया था। इससे आम जनता को थोड़ी परेशानी भी हुई लेकिन विपक्षी दलों के बहकाने के बाद भी जनता ने सरकार के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया। लगभग डेढ़ लाख करोड़ का कालाधन नदियों और तालाबों में बहाया गया अथवा जला दिया गया। मोदी की सरकार ने गरीबों को बैंक से जोड़ने के लिए जनधन योजना शुरू की। इसके तहत देश भर में 15 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गये। जीवन बीमा और पेंशन वाले 10 करोड़ से अधिक के डेबिट कार्ड जारी हुए। इसके साथ ही रसोई गैस में नकद सब्सिडी हस्तांतरण योजना लागू हुई। गरीब महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त में गैस कनेक्शन दिया गया। मोदी की सरकार ने सम्पन्न लोगों से अपील की और कहा कि वे स्वेच्छा से अपनी सब्सिडी छोड़ दें, इससे गरीबों का भला किया जाएगा। सब्सिडी का नियमितीकरण होने और सम्पन्न लोगों द्वारा सब्सिडी छोड़ने से लगभग पांच अरब डालर की बचत सरकार को हुई है।
मोदी सरकार ने देश में युवाओं को रोजगार देने के लिए मेक इन इंडिया, डिजिटल भारत और कौशल भारत की पहल की। विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए कई आकर्षक कार्यक्रम बनाये गये। कोष जुटाने के लिए बैंकों को आईपीओ एफपीओ लाने की अनुमति दी गयी। रेल अवसंरचना मंे विदेशी निवेश को अनुमति मिली। रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 49 फीसदी कर दी गयी। उद्योगों की स्थापना में जटिल प्रक्रिया को सरल बनाया गया। देश के उद्यमियों को वित्तीय मदद देने के लिए मुद्रा बैंक कोष 20 हजार करोड़ रुपये से शुरू किया गया। यह कोष छोटे उद्यमियों को 50 हजार से 10 लाख रुपये तक ऋण प्रदान करता है। व्यापारियों को राज्य से लेकर केन्द्र सरकार तक को पचासों टैक्स देने पड़ते थे। इसके लिए सरकार ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के नाम से एक कर व्यवस्था बनायी। व्यापार की सुविधा के लिए 35 केन्द्रीय कानूनों को सिर्फ चार नए कानूनों में समाहित कर दिया गया।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सरकार बनाने के बाद से ही देश के किसानों का विकास अपनी प्राथमिकता पर रखा है। कृषि उत्पादों का भंडारण बढ़ाने के लिए पांच हजार करोड़ रुपये के भंडारण अवसंरचना कोष की स्थापना की गयी। श्री मोदी ने कहा कि किसान सिर्फ अपना पेट भरने के लिए अन्न का उत्पादन नहीं करता है बल्कि वह फसल इसलिए उगाता है कि देश में कोई भी भूखे पेट न सोये। इस सपने को साकार करने के लिए ही अनाज, सब्जी और फलों के भंडारण, प्रसंस्करण की व्यवस्था की गयी है। किसानों की उपज का उचित मूल्य मिले, इसके लिए सरकारी खरीद केन्द्र बनाये गये और आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पाद भी सरकार ने उचित मूल्य पर खरीदे। श्री मोदी ने किसानों की आय 2022 तक दो गुनी करने का लक्ष्य रखा है और चार साल के कार्यकाल में इसके लिए ठोस कार्यक्रम भी बनाये गये हैं।
इस प्रकार श्री मोदी ने 2014 में सरकार बनाते समय देश के विभिन्न वर्गों से जो वादे किये थे, उन पर अमल किया है। बेरोजगारी पूरी तरह से भले ही दूर नहीं हो पायी लेकिन लाखों युवाओं को नौकरी मिली और करोड़ों को रोजगार का अवसर मिला है। मोदी ने देश भर में 100 स्मार्ट शहर और अहमदाबाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा की थी। इन दोनों कार्यों पर अमल शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री ने अपने राजनीतिक ओर सामाजिक दायित्वों का निर्वाह भी अच्छी तरह किया है। उन्होंने जब से केन्द्र में सरकार बनायी, उसके बाद भाजपा ने कांग्रेस से 12 राज्य छीने हैं अर्थात् भाजपा ने 12 राज्यों मंे अपनी सरकार बनायी है। जनमानस में आज भी लोग श्री मोदी को ही देश का सबसे लोकप्रिय नेता मानते हैं। विदेशों में भी श्री मोदी ने भारत की अच्छी छवि बनायी और वही अमेरिका जो कभी श्री मोदी को वीजा देने से मना करता था, उसने उनके स्वागत मंे लाल कालीन बिछा दी। चीन के नेता शी चिनपिंग ने अपने सैनिकों को निर्देश दिलाया कि भारत की सीमा पर वे तनाव की स्थिति न पैदा होने दें। नेपाल में दुबारा प्रधानमंत्री बने केपी शर्मा ओली ने इस बार पहली विदेश यात्रा भारत में की है।
इस प्रकार देश और विदेश में नरेन्द्र मोदी की उपलब्धियों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। कर्नाटक में कुमार स्वामी के शपथ ग्रहण समारोहमें विपक्षी दलों की एकजुटता के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों का महागठबंधन मोदी के विजय रथ को रोकने में सफल होगा? इस पर राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि यह संभव नहीं दिखता है। एक तरफ मोदी की जनता में लोकप्रियता अभी बरकरार है तो दूसरी तरफ विपक्षी दलों की एकता के पीछे सिर्फ भाजपा को सत्ता से दूर करने की भावना दिखाई पड़तीै। विपक्षी दलों का प्रभाव कई राज्यों में बिखर जाएगा। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की मदद न तो ममता बनर्जी कर सकती हैं और न चंद्रबाबू नायडू। इस प्रकार विपक्षी एकता बालू के आधार पर खड़ी दिख रही है जबकि भाजपा के साथ श्री मोदी की सरकार के
चार सालों की ठोस उपलब्धियां भी हैं और जनता ने देखा है कि श्री मोदी जोखिम लेकर भी कदम उठाने में सक्षम हैं। (हिफी)