नरेश दीक्षित । उत्तर प्रदेश व्यूरोक्रेसी के 1987 बैच के 12 वरिष्ठ आई ए एस अफसरो में से 10 को अपर मुख्य सचिव के वेतन मान में पदोन्नति कर दी गई है। हेमंत राव व पी वी जगमोहन को पदोन्नति यह बता कर नही दी गई है कि उनकी पत्रावली पूण॔ नही है ।
प्रदेश की यह विडंबना देखिये कि देश के अधिकांश राज्यो में 1988 -89 वैच तक के आई ए एस, आई पी एस, आई एफ एस अधिकारियों को पदोन्नति देकर अपर मुख्य सचिव के स्तर के वेतन मान में शामिल कर लिया गया है लेकिन उत्तर प्रदेश में 1988 बैच के आईएएस अधिकारियों को क्यो महरूम रखा जा रहा है ?
आई ए एस अधिकारियो की पदोन्नति के बाद 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे मुख्य सचिव राजीव कुमार का स्थान लेने के लिए कई वरिष्ठ अधिकारियों ने जोड़ – तोड़ शुरू कर दी है वैसे च॔चा श्री राजीव कुमार को 6 माह का काय॔ काल बढाने की भी हो रही है यदि सूत्रों की माने तो यह कोरी अफवाह है ।
मुख्य सचिव के पद के लिए यदि नियमानुसार चयन किया जाता है तो सबसे वरिष्ठ आई ए एस के क्रम में प्रवीर कुमार का नाम आता है यह पिछली सरकार में कुछ समय के लिए काय॔वाहक मुख्य सचिव भी रहे थे लेकिन तत्कालीन सरकार की पसंद न होने के कारण उन्हे हटाकर श्री दीपक सिंघल को बैठाल दिया गया था लेकिन वह भी अपना काय॔ काल पुरा न कर सके और राहुल भटनागर को बैठाल दिया गया था । योगी सरकार यदि नियमानुसार चयन करती है तो प्रवीर कुमार का नाम इस पद के लिए सबसे ऊपर है ।
देखा जाए तो 1982, 83, 84 बैंच के कई ए एस अधिकारी मुख्य सचिव की कुर्सी दौड़ में शामिल है जिसमें मुख्यता डा अनुप चन्द्र पाण्डेय,संजय अग्रवाल,चंचल कुमार तिवारी. दुर्गा शंकर मिश्रा अनन्त कुमार सिंह प्रमुख है लेकिन अंतिम फैसला योगी एवं केन्द्र सरकार को लेना है कि इस पद पर नियुक्त वरिष्ठता क्रम से की जाए या अपनी मनपसंद का अधिकारी बैठाल दिया जाए या फिर योगी जी के सुझाव को दरकिनार करते हुए केंद्रीय नेतृत्व इन नामों के अतिरिक्त अपनी पसंद का अधिकारी बैठाल दें जैसा श्री राजीव कुमार को बैठाल कर हुआ था । फिलहाल इस पद पर किसे लाया जाता है यह 30 जून के बाद ही पता चलेगा और 2019 के चुनाव की कसौटी पर कौन मुख्य सचिव खरा उतरेगा यह देखने वाली बात होगी ? /