शारदीय नवरात्रि का पर्व अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक चलता है, दशमी तिथि पर माता रानी की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता. दशहरे पर देवी अपने लोक लौट जाती है.
शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन 24 अक्टूबर 2023 को किया जाएगा. इस दिन दशहरा यानि विजयादशमी मनाई जाती है. जो लोग नवरात्रि के 9 दिन तक व्रत रखते हैं वह माता को विदाई देने के बाद ही व्रत का पारण करते हैं.
पंचांग के अनुसार अश्विन शुक्ल दशमी तिति 23 अक्टूबर 2023 को शाम 05 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी. दुर्गा विसर्जन एक निश्चित शुभःकाल में किया जाता है. दशमी तिथि के विद्यमान रहते हुए दोपहर या फिर प्रात:काल के समय किया जाता है.
दुर्गा विसर्जन मुहूर्त – सुबह 06.27 – सुबह 08.42 (24 अक्टूबर 2023) अवधि – 2 घंटे 15 मिनट श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ – 22 अक्टूबर 2023, शाम 06:44 श्रवण नक्षत्र समाप्त – 23 अक्टूबर 2023, शाम 05:14
नवरात्रि के पहले दिन ढोल, नगाड़ों के साथ मां दुर्गा की प्रतिमा का पंडालों में विराजमान किया जाता है. 9 दिन तक मां भवानी को प्रसन्न करने के लिए भक्त अपना पूरा ध्यान शक्ति साधना में लगा देते हैं. कहते हैं जैसे हम माता की स्थापना करते है उसी हर्षोल्लास के साथ उन्हें विदा करना चाहिए. विदाई से पहले माता की विधि वत पूजा करें. फिर नदी किनारे देवी के समक्ष अपनी गलती की माफी मांगे. गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि। पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।। ये मंत्र बोलते हुए प्रतिमा को धीरे-धीरे नदी में प्रवाहित करें. घटस्थापना में बोए जवारे दुर्गा विसर्जन के दिन परिवार में बांटने चाहिए. कहते हैं नौ दिन तक नौ दिन तक इन जवारों में शक्ति व्याप्त होती है इसे घर में रखने से सुख-समृद्धि का वास रहता है.