पाब्लो पिकासो महान चित्रकार थे । वो बीसवी सदी के सबसे अधिक चर्चित ,विवादास्पद और समृद्ध कलाकार थे । उन्होंने तीक्ष्ण रेखाओ का प्रयोग करके घनवाद को जन्म दिया था। पिकासो की कलाकृति मानव वेदना का जीवित दस्तावेज है । पाब्लो पिकासो का जन्म 25 अक्टूबर 1881 को स्पेन के मलागा शहर में हुआ था । बचपन से वो अपने साथियो को अलग अलग प्रकार की आकृतिया बनाकर अचरज में डाल देते थे । पिकासो के पिता कला के अध्यापक थे , इसलिए कला की प्रारम्भिक शिक्षा उन्हें अपने पिता से मिली थी । लेकिन 14-15 वर्ष की आयु में वो इतने उत्कृष्ट चित्र बनाने लगे थे कि उनके पिता ने चित्रकारी का अपना सारा सामान उन्हें देकर भविष्य में कभी कूची ना उठाने का संकल्प ले लिया । चित्रकारी में उच्च शिक्षा के लिए पिकासो को मेड्रिड अकादमी में भेजा गया लेकिन पिकासो वहा के वातावरण से जल्दी उब गये और उन्होंने पढाई छोड़ दी । 1900 में कुछ समय के लिए वो पेरिस गये । पेरिस तब कला का केंद्र समझा जाता था । पेरिस में पिकासो अनेक समकालीन कलाकारों के सम्पर्क में आये । उनकी कला पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। फिर स्पेन लौटकर उन्होंने उन्मुक्त होकर चित्र बनाने शुरू कर दिए ।
उनके उस काल में चित्रों में नीले रंग और गुलाब के फूलो की बहुतायत है । इनमे से अधिकांश की कथावस्तु पद दलित मानवता और समाज से उपेक्षित एवं शोषित वर्गो से संबधित है । 1904 में उनकी कला में दूसरा मोड आया । इस काल में उन्होंने कलाबाजो , मसखरो ,सितार्वदो के चित्र बनाये । 1906 में उन्होंने अपनी सुप्रसिद्ध कलाकृति “एविनगन की महिलाये ” बनानी शुरू की । उन्होंने उस चित्र को लगभग एक वर्ष में पूरा किया |पिकासो ने कला के क्षेत्र में “घनवाद ” का प्रवर्तन किया | उनकी यह शैली 60-65 वर्षो तक आलोचना का विषय रही है | विश्व के सभी देशो में इसने युवा कलाकारों को प्रभावित किया । इन चित्रों में हर जगह रंगो और रेखाओ का प्रयोग हुआ है । लगभग इसी समय उन्होंने इन्ग्रेस की कलाकृतियों में रूचि ली और महिलाओं के अनेक चित्र बनाये | इन चित्रों की तुलना प्राचीन यूनानी मूर्तियों से की जाती है ।
पिकासो किसी रूप में अत्याचार और अन्याय को स्वीकार नही कर सकते थे । जब नाजी बम वर्षको ने स्पेन की रिपब्लिकन फौजों पर बमबारी की तो उन्होंने नाजी हमलावरों के विरुद्ध अपना रोष जताने के लिए दिन रात मेहनत करके विशालकाय चित्र “गुएनिर्का ” बनाया। इसके बाद उन्होंने स्वेच्छा से देश निकाला स्वीकार किया। पिकासो ने चित्रकारी से अथाह दौलत कमाई | जहा वह निजी व्यक्तियों से अपने चित्रों का अधिक से अधिक मूल्य वसूला करते थे , वही उन्होंने अनेक संग्रहालयो को अपने चित्र निशुल्क भेंट दिए। पिकासो का देहांत 91 वर्ष की उम्र में 8 अप्रैल 1973 को हो गया लेकिन उसकी चित्रकारी आज भी जीवित है। सोशल मिडिया से।