कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की तारीख 12 मई जैसे जैसे नजदीक आ रही है, राज्य में सरकार बनाने के कयास भी लगाये जाने लगे हैं। राज्य से तीनों प्रमुख दल-भाजपा, कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं लेकिन राजनीतिक विश्लेषक घटनाक्रमों और बदलते समीकरणों के आधार पर आकलन करते हैं। इन विश्लेषकों के आकलन बता रहे हैं कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा राज्य की 150 सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं तो पार्टी इसके नजदीक पहुंचती दिखाई भी पड़ती है। इसका कारण रोज बरोज भाजपा के पक्ष में घटनाक्रम हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लंदन में टेम्स नदी के तट पर स्थित अल्बर्ट एम बैकमेंट गार्डेन्स में 12वीं सदी के लिंगायत दार्शनिक एवं समाज सुधारक बसवेश्वर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किये। इन फूलों की खुशबू कर्नाटक तक पहुंच गयी है। कर्नाटक में लिंगायत और बीर शैव समुदाय के मतदाताओं को तो यह खबर निश्चित रूप से कर्णप्रिय लगी होगी। कर्नाटक की आबादी में 17 फीसद आबादी लिंगायतों एवं बीरशैवों की है। भाजपा का यह परम्परागत वोट भी रहा है लेकिन कांग्रेस ने इस बार इस वोट में सेंध मारने की कोशिश की है। लिंगायतों में समाज सुधारक बसवेश्वर का निर्विवाद रूप से सम्मान किया जाता है। लिंगायत समुदाय में भले ही कांग्रेस सरकार द्वारा विशेष धर्म का दर्जा देने से वैचारिक भिन्नता है लेकिन समाज सुधारक बसवेश्वर को सभी सम्मान देते हैं।
लिंगायत और वीरशैव मुख्य रूप से शिव के उपासक हैं। भगवान शिव के उपासकों में भी जाति का भेद नहीं माना जाता। भाजपा ने इसीलिए चुनाव प्रचार की सुनियोजित रणनीति बनायी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नाथ सम्प्रदाय के हैं। गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर कर्नाटक के लोगों में बहुत आदरणीय हैं। इसलिए योगी आदित्यनाथ की राज्य में 35 चुनावी रैलियां कराने की योजना बनी है। बताया गया है कि आगामी 3 मई से 4 मई तक योगी आदित्यनाथ कर्नाटक में रहेंगे। इसके बाद 7 मई से 10 मई तक योगी आदित्यनाथ कर्नाटक में रहकर भाजपा का चुनाव प्रचार करेंगे। चुनाव प्रचार की जो रणनीति बनायी गयी है, उसके तहत श्री योगी ज्यादातर लिंगायत समुदाय की बस्तियों और राज्य के तटवर्ती इलाकों में ही रैलियां करेंगे। श्री योगी का अंतिम कार्यक्रम कर्नाटक की भाजपा इकाई तय कर रही है। योगी आदित्यनाथ भाजपा के स्टार प्रचारक हैं। गुजरात और त्रिपुरा में श्री योगी ने जमकर प्रचार किया था और दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार बनी है। इसी प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कर्नाटक मंे धुंआधार प्रचार करेंगे। लंदन में जिस तरह उन्होंने बसवेश्वर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके अपना रुख स्पष्ट किया है, उससे लगता है कि सिद्धरमैया के लिंगायत ट्रम्प को वे निष्फल कर देंगे। बताया जाता है कि श्री मोदी राज्य में 15 से अधिक रैलियों को संबोधित करेंगे। वे कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का प्रचार पहली मई से ही शुरू कर सकते हैं। भाजपा कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार में कोई कमी नहीं रखना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय मंत्रियों समेत 40 स्टार प्रचारक मैदान में उतारे जाएंगे।
कर्नाटक भाजपा की राज्य इकाई के महासचिव और राज्य से पार्टी की लोकसभा सांसद शोभा करंदलाजे ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी संजीव कुमार को अपने मुख्य प्रचारकों की जो सूची दी है, उसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, सांसद एवं अभिनेत्री हेमामालिनी के नाम शामिल हैं और ये सभी शीघ्र ही कर्नाटक पहुंच जाएंगे। राज्य में 12 मई को मतदान होना है। राज्य विधनसभा की 225 सीटों में 224 के लिए ही चुनाव होना है। एक सीट पर ऐंग्लोइंडियन का मनोनयन किया जाता है। राज्य में सरकार बनाने के लिए 113 विधायकों की जरूरत पड़ती है। भाजपा इस बार 150 के करीब विधायक जुटाना चाहती है। इसके लिए हर प्रकार की रणनीति बनायी जा रही है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य में अब तक जो दौरे किये हैं, उनमें जनता का भारी समर्थन मिला है। कांग्रेस की मौजूदा सिद्धरमैया सरकार से जनता नाराज भी दिख रही है क्योंकि सरकार ने राज्य से गरीबी दूर करने और रोजगार देने के जो वादे किये थे, उनको पूरा नहीं किया गया है। लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने से हिन्दुओं को लग रहा है कि उन्हंे विभाजित करने की साजिश कांग्रेस कर रही है। इस प्रकार भाजपा के पक्ष में धु्रवीकरण हो रहा है। पिछले चुनाव में भाजपा को येदियुरप्पा के अलग होने से नुकसान उठाना पड़ा था लेकिन इस बार उन्हीं को मुख्यमंत्री प्रत्याशी के रूप में पेश किया जा रहा है। इस प्रकार भाजपा 2008 की स्थिति से भी बेहतर नजर आ रही है, जब उसने कर्नाटक में पहली बार अपनी पार्टी की सरकार बनायी थी।
कर्नाटक में तीसरी पार्टी जनता दल(एस) भी मुख्य मुकाबले में मानी जा रही है लेकिन कांग्रेस के नेता ही यह कहने लगे कि भाजपा और जनता दल(एस) में अंदरखाने समझौता हो गया है। इसका कारण बताते हुए सिद्धरमैया कहते हैं कि चामुण्डेश्वरी और बादामी में जनता दल (एस) को मदद पहुंचाने के लिए ही भाजपा ने तगड़े उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। इसी प्रकार सिद्धरमैया कहते हैं कि कई स्थानों पर भाजपा ने इसी प्रकार जनता दल(एस) की मदद की है। अब सिद्धरमैया की बात में कितनी सच्चाई है, यह तो वही जानते होंगे लेकिन जनता दल(एस) भाजपा को अपना हितचिंतक मानने लगा है। जनता दल(एस) के नेता एचडी कुमार स्वामी को भाजपा के ही सहयोग से मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला था, इसलिए भाजपा से निकटता बढ़ाने में देवगौड़ा की पार्टी को कोई दिक्कत भी नहीं होगी। इसी तरह एक समीकरण जद(यू) का भी है। जद(यू) राजग के साथ बिहार में सरकार चला रहा है। केन्द्र में भी वह साझीदार है। कर्नाटक में जद(यू) अलग से चुनाव लड़ रहा है। जद(यू) की कर्नाटक इकाई की अध्यक्ष महिमा पटेल हैं और उन्हांे गत दिनों अपनी पार्टी के 12 उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है लेकिन जद(यू) के बागी नेता शरद यादव ने कांग्रेस का समर्थन करने की बात कही है तो जद(यू) कांग्रेस का भरपूर विरोध करेगा। इस प्रकार भाजपा अपनी तरफ से तो कांग्रेस की नाकामयाबियां गिना ही रही है, उसकी मदद अप्रत्यक्ष रूप से जनता दल(एस) और जद(यू) भी कर रहे हैं।
भाजपा अपनी तरफ से कर्नाटक में पूरे प्रयास कर रही है तो परिस्थितियां भी उसका साथ देने लगी हैं। केन्द्र में लगभग चार साल की मोदी सरकार ने जिस तरह देश-विदेश में नाम रोशन किया है और कुछ राज्यों को छोड़कर जिस तरह पूरे भारत में भगवा रंग दिखाई पड़ने लगा, उससे कर्नाटक भी भाजपा की झोली में आता दिख रहा है। सिद्धरमैया का दो जगह से चुनाव लड़ना भी यही संकेत देता है कि कांग्रेस भाजपा से सशंकित है। (हिफी)