मुबारक साल गिरह। एजेन्सी। परवेज़ मुशर्रफ ने पाकिस्तान पर 1999 से 2008 तक शासन किया था। जब वह पाकिस्तान के आर्मी चीफ थे। उस दौरान उन्होंने भारत के खिलाफ कई साजिशें रची थीं। वह 1965 और 1971 के पाक-भारत युद्धों में लड़ने वाले सेना जनरलों में थे। परवेज़ मुशर्रफ इलाज कराने के लिए मार्च 2016 में देश छोड़कर दुबई चले गए थे। जनरल से असैनिक राष्ट्रपति बने परवेज़ मुशर्रफ का जन्म दरियागंज दिल्ली में 11 अगस्त, 1943 को हुआ था.परवेज़ मुशर्रफ के पिता सैयद मुशर्रफ अंग्रेजों के दौर में सिविल सेवा के अधिकारी थे, जो भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले गए थे। परवेज़ मुशर्रफ उस वक्त 4 साल के थे.परवेज़ मुशर्रफ के पिता का तबादला पाकिस्तान से तुर्की हुआ, 1949 में ये तुर्की चले गए।1957 में परवेज़ मुशर्रफ का पूरा परिवार फिर पाकिस्तान लौटआया। इनकी स्कूली शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक स्कूल में हुई और कॉलेज की पढ़ाई लहौर के फॉरमैन क्रिशचन कॉलेज में हुई। 1961 में परवेज़ मुशर्रफ पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी गए और 1964 में आर्मी ज्वाइन की। 1965 में पहली बार लेफ्टिनेंट के तौर पर लड़ाई के मैदान में उतरे। अपनी जन्मभूमि और पड़ोसी भारत के खिलाफ लड़ाई के लिये वीरता पुरस्कार पाया। 1968 में परवेज़ मुशर्रफ ने शादी कर ली, जिसके बाद फिर से 1971 के युद्ध में भी भारत के खिलाफ उतरे, लेकिन पाकिस्तान ने इस युद्ध में भारत से मुंह की खाई और पूर्वी पाकिस्तान आज़ाद हो गया। जिसके बाद परवेज़ मुशर्रफ स्पेशल सर्विस कमांडो ग्रुप में चले गये। अक्टूबर,1998 में परवेज़ मुशर्रफ को चार स्टार के साथ पाकिस्तान का जनरल और आर्मी चीफ बना दिया गया।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और परवेज़ मुशर्रफ के बीच संबंध बहुत अच्छे चल रहे थे लेकिन परवेज़ मुशर्रफ ने कारगिल में घुसपैठ करवाई की और भारत ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया.तभी पाकिस्तान में परवेज़ मुशर्रफ के बढ़ते प्रभाव को देखकर और कारगिल में पाकिस्तान को हुए नुकसान का आक्षेप लगाकर प्रधानमंत्री शरीफ ने उन्हें पद से हटाना चाहा.परवेज़ मुशर्रफ उस दौरान देश से बाहर कोलंबो में थे.जब उन्हें इस षड्यंत्र की भनक लगी तो वे देश वापस लौटे. वे अभी कराची एअरपोर्ट के ऊपर ही पहुंचे थे कि उनके पायलट को बताया गया कि प्लेन को नीचे उतरने की अनुमति नहीं है. प्लेन में 6 मिनट का तेल और बचा था.प्लेन क्रैश होने की कगार पर था और परवेज़ मुशर्रफ की जान जाने की कगार पर लेकिन तभी आर्मी ने नवाज शरीफ को गिरफ्तार कर लिया। और सेना ने खून की एक बूंद बहाए बिना ही पाकिस्तान की सत्ता अपने हाथों में ले ली औरपरवेज़ मुशर्रफ पाकिस्तान के सर्वेसर्वा बन गये.इन्होंने 1999 में नवाज़ शरीफ की लोकतान्त्रिक सरकार का तख्ता पलट कर पाकिस्तान की बागडोर संभाली और 20 जून, 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे। अमेरिका के साथ वफादारी निभाने की भरसक कोशिश की।
2002 में जनमत संग्रह के जरिए पाकिस्तान का राष्ट्रपति बनकर मुशर्रफ ने अपनी स्थिति 5 सालों के लिए मजबूत कर ली. मुशर्रफ ने 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान की अमेरिका के साथ वफादारी दिखाने की भरसक कोशिश की. मुशर्रफ ने आतंकवाद विरोधी छवि बनाने की कोशिश की और जॉर्ज डब्ल्यू बुश के नॉन-नाटो सहयोगियों में प्रमुख बने रहे.हालांकि उनके दौर में भी पाकिस्तान आतंकवादियों के कहर से बचा नहीं रहा और इस्लामाबाद की लाल मस्जिद में भयंकर आतंकी हमला हुआ, जिसमें 102 लोग मारे गए।
2007 में होने वाले चुनावों को भी मुशर्रफ ने टाल दिया, जिसके बाद लोगों में उनके खिलाफ गुस्सा साफ जाहिर होने लगा. परवेज़ मुशर्रफ के प्रति यह गुस्सा लोकतांत्रिक राजनीति को नजरअंदाज करने, भ्रष्टाचार और राजनीतिक हत्याओं में हाथ होने के शक के चलते उपजा था. राजनीतिक दल उनके खिलाफ एकजुट हो गये. ‘बेनजीर भुट्टो’ और ‘कबायली नेता’ बुगती की हत्या में भी उनका हाथ होने की खबरें आई थीं। लोगों ने एकजुट होकर उनके खिलाफ प्रदर्शन किए और हबीब ज़ालिब की नज्म को परवेज़ मुशर्रफ के लिए नारे के तौर पर पढ़ा, ‘तुमसे पहले जो शख्स यहां तख्तनशीं था, उसको भी अपने खुदा होने पे इतना ही यकीं था।’
परवेज़ मुशर्रफ को महाभियोग का सामना करने से बचने के लिये गद्दी छोड़नी पड़ी।. जिसके बाद वे भागकर इंग्लैण्ड चले आये।18 मार्च, 2016 को परवेज़ मुशर्रफ इलाज कराने के लिए दुबई चले गए थे। इसके बाद बरसों बाद वे पाकिस्तान लौटे. पाकिस्तानी के कुछ टीवी चैनलों पर राजनीतिक विश्लेषक के रूप में दिखने लगे ।
परवेज मुशर्रफ की आत्मकथा ‘इन द लाइन ऑफ फायर – अ मेमॉयर’ 2006 में प्रकाशित हुई थी. किताब अपने विमोचन से पहले ही चर्चा में आ गई थी. इस किताब के लोकप्रिय होने की वजह यह भी है कि परवेज़ मुशर्रफ ने इसमें कई विवादास्पद बातें कहीं हैं. इसमें करगिल संघर्ष और पाकिस्तान में हुए सैन्य तख्तापलट कई अहम घटनाओं के बारे में लिखा गया है।