सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां जिंदगी गर रही तो ये जवानी फिर कहां,ये ख्वाजा मीर ‘दर्द’ का शेर है और अगर किसी व्यक्ति पर यह पूरी तरह फिट बैठता है, तो वो हैं महापंडित राह... Read more
सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां जिंदगी गर रही तो ये जवानी फिर कहां,ये ख्वाजा मीर ‘दर्द’ का शेर है और अगर किसी व्यक्ति पर यह पूरी तरह फिट बैठता है, तो वो हैं महापंडित राह... Read more
यात्रा साहित्य के जनक राहुल सांकृत्यायन की 125वीं जयंती पर श्रद्धांजलि (जन्म- 9 अप्रैल, 1893 मृत्यु- 14 अप्रैल, 1963) सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां जिंदगी गर रही तो ये जवानी फिर... Read more
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