जयंती पर याद किये गए पं0 कमलापति त्रिपाठी
लखनऊ स्वप्निल संसार । पंडित कमलापति त्रिपाठी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार एवं 112वीं जयन्ती समारोह के भव्य समागम में लब्ध प्रतिष्ठ इलेक्ट्रानिक मीडिया के सम्पादक विनोद दुआ को पं0 कमलापति त्रिपाठी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से अलंकृत किया गया।
इस अवसर पर लखनऊ के लगभग दो दर्जन वरिष्ठ पत्रकारों को भी सम्मानित किया गया एवं पं0 कमलापति त्रिपाठी जी द्वारा लिखे गये ग्रन्थ ‘‘बापू और भारत’’ का लोकार्पण भी किया गया।
लखनऊ के हिन्दी संस्थान स्थित यषपाल सभागार में उक्त समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि और वयोवृद्ध कांग्रेस नेत्री श्रीमती मोहसिना किदवई ने कहा कि पं0 कमलापति त्रिपाठी एक सिद्धान्तनिष्ठ राजनेता और मूल रूप से निर्भीक, स्वतंत्र एवं ईमानदार पत्रकार एवं सम्पादक थे। उनमें मानवीय संवेदना और सिद्धान्तनिष्ठा की दृढ़ता निहित थी। वह एक उसूलपसन्द इन्सान थे। जिन्होने राजनीतिक प्रषासक के रूप में बुनियादी सिद्धान्तों से कभी समझौता नहीं किया। वह गांधी की परम्परा के पत्रकार और राजनीतिज्ञ थे जिसने आजादी से पहले और आजादी के बाद भी संघर्षों की मिसाल कायम की।
एक लाख रूपये पारितोषिक सहित पं0 कमलापति त्रिपाठी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से अलंकृत अभिनन्दनीय अतिथि एवं पत्रकार विनोद दुआ ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज की पत्रकारिता अघोषित आपातकाल से गुजर रही है जिसमें लोग खौफजदा हैं, कहना चाहते हैं लेकिन नहीं कह सकते। ऐसे में पंडित कमलापति त्रिपाठी जिस स्वतंत्र पत्रकारिता के कायल थे वह प्रेरणादायक है। हम पत्रकार हैं, राजनीति समझते हैं लेकिन कोई जरूरी नहीं कि हम अच्छे राजनीतिज्ञ बन जायें। हमें सीमाएं समझनी चाहिए। हमें न सरकारी बनना है और न दरबारी। इस दौर में जो चैनल पहले सम्पादकों के हाथ में होते थे वह आज मालिकों के हाथ में हैं। इसलिए हम पत्रकारों को हौसले की जरूरत है। पत्रकारिता और विषेषकर नवोदित सोषल मीडिया आज यह समझने की अपेक्षा रखता है कि स्वत्रंतता उत्तरदायित्व चाहती है। इसे न समझकर सोषल मीडिया की भूमिका लोगों के हाथ में ऐसे उस्तरे की तरह है जिसका कैसे उपयोग किया जाय यह उन्हें पता नहीं।
विशिष्ट अतिथि एवं दिल्ली विष्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश सिंह ने कहा कि पं0 कमलापति त्रिपाठी के प्रखर सम्पादकीय अग्रलेखों का प्रभाव था कि मेरे पिता किषोरवय में सन 42 की क्रान्ति में क्रान्तिकारी गतिविधियों की तरफ उन्मुख हो गये। वह भारतीयता की चेतना से ओतप्रोत और राजनेता थे।
विषिष्ट अतिथि संकट मोचन मन्दिर वाराणसी के महन्थ प्रो0 विषम्भर नाथ मिश्र ने कहा कि पं0 कमलापति त्रिपाठी काषी की संस्कृति के राष्ट्रीय राजनीतिज्ञ क्षितिज पर आदर्श प्रतिनिधि थे।
अध्यक्षीय सम्बोधन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार के0 विक्रमराव ने कहा कि पं0 कमलापति त्रिपाठी पत्रकारिता और राजनीति के समान रूप से पुरोधा थे जिन्होने न केवल आजादी की लड़ाई में योगदान दिया बल्कि देश में सबसे पहले आगे बढ़कर श्रमजीवी पत्रकारों को संगठित भी किया।
समारोह में पं0 कमलापति त्रिपाठी के सम्पादकीय व्यक्तित्व पर मदनमोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के पूर्व निदेषक प्रो0 राममोहन पाठक ने जहां प्रकाष डाला वहीं पं0 कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन के अध्यक्ष राजेषपति त्रिपाठी ने समारोह में अतिथियों का स्वागत किया। समारोह का संचालन प्रो0 सतीष राय एवं धन्यवाद ज्ञापन बैजनाथ सिंह ने किया।
समारोह में लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकारों का अभिनन्दन किया गया जिसमें वरिष्ठ पत्रकार सर्वश्री दिलीप अवस्थी, अतुल चन्द्रा, नवीन जोषी, राजेन्द्र द्विवेदी, रवीन्द्र सिंह, गोविन्द पन्त राजू, सुरेन्द्र दुबे, राकेष पाण्डेय, प्रमोद गोस्वामी, शरद प्रधान, हसीब सिद्दीकी, जोखू तिवारी, प्रदीप शाह कुमायां, सुवीर राय, किषन सेठ, शीतला सिंह, निरंकार सिंह, गोपेष पाण्डेय, आलोक पराड़कर, सुश्री रोली खन्ना शामिल रहे। समारोह में श्री पी0के0 राय बीमार होने के कारण व लखनऊ से बाहर होने के कारण ताविषी जी पुरस्कार ग्रहण नहीं कर सकीं।
वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित करने वालों में ललितेषपति त्रिपाठी, षिवानन्द पाण्डेय, सौरभ तिवारी, अखिलेष त्रिपाठी, अंकित तिवारी, सतीष चैबे, प्रजानाथ शर्मा शामिल रहे। कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष डा0 निर्मल खत्री अस्वस्थ होने के चलते समारोह में शामिल नहीं हो सके। कार्यक्रम को सफल बनाने में पूर्व सांसद श्रीमती अन्नू टण्डन ने अहम भूमिका अदा की।
इन्दिरा गांधी शताब्दी वर्ष में आयोजित कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्जवलन और पं0 कमलापति त्रिपाठी, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, श्रीमती इन्दिरा गांधी जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं राष्ट्रगीत वन्देमातरम से तथा समापन राष्ट्रगान से हुआ।