आतंकवादियों ने दहशत पैदा करने के लिए अब बड़े राष्ट्रों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है। पांच दिन पूर्व अमेरिका के वल्र्ड ट्रेड सेन्टर मेमोरियल के पास ही आतंकवादी ने किराये के ट्रक से 8 लोगों को रौंद दिया था। अब रूस में दो आतंकवादियों ने गोलीबारी की। आतंकियों का मकसद एक तरफ जहां आतंक फैलाना है, वहीं संदिग्ध आतंकवादियों के नाम पर ऐसा माहौल पैदा करना भी है जिससे लोग एक-दूसरे से नफरत करने लगें। अमेरिका में एक ऐसा मामला भी सामने आया है जिसमें बताया गया कि वहां मेयर पद के चुनाव में उतरे एक सिख प्रत्याशी को आतंकवादी कहकर नफरत फैलाई जा रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन इस बात से चिंतित भी हैं।
रूस के उत्तरी काकेशस क्षेत्र में पांच नवम्बर को यातायात चौकी पर अचानक गोलीबारी हुई। इससे वहां भगदड़ मच गयी। कुछ देर के लिए तो लोग समझ ही नहीं पाये कि क्या हो रहा है। बाद में पता चला कि अज्ञात हमलावरों ने गोलियां चलायीं। इसके जवाब में रूस के सुरक्षा बलों ने भी फायरिंग की और दोनों कथित आतंकवादी ढेर हो गये। रूस की समाचार एजेन्सी सिन्हुआ ने राष्ट्रीय आतंकवादरोधी समिति की ओर से जारी बयान के हवाले से बताया कि दो हमलावरों ने मास्को के समयानुसार शाम लगभग साढ़े पांच बजे के एक जांच चौकी पर हमला किया। इस बीच दोनों ओर से हुई गोलीबारी में तीन लोग मारे गये। मृतकों में दो कथित आतंकी और एक पुलिसकर्मी शामिल है। किसी नागरिक के हताहत होने की सूचना नहीं है।
इससे पूर्व अमेरिका के लोअर मैनहटन में एक आतंकवादी ने भाड़े का ट्रक लेकर 8 लोगों को रौंद दिया था। उस कथित आतंकी की पहचान उजबेकिस्तान के नागरिक के रूप में हुई। इन सभी घटनाओं के तार मोसुल में आतंकी सरगना बगदादी के घेराव से जोड़े जा रहे हैंं। इस घटना को अमेरिका के लोग भूल भी नहीं पाये थे कि टेक्सास प्रांत के एक कस्बे में बंदूकधारी ने चर्च में हो रही प्रार्थना सभा पर गोली चलायी। पुलिस के मुताबिक इस हमले में 26 लोग मारे गये। पहले मेनहेटन में जब आतंकी ने ट्रक से 8 लोगों को रौंदा था, तब यही कहा जा रहा था कि अमेरिका में वल्र्ड ट्रेड सेन्टर पर आतंकी हमले के बाद आतंकवाद की दूसरी बड़ी घटना है। अमेरिका में 11 सितम्बर 2001 को वल्र्ड ट्रेड सेन्टर पर आतंकी हमला दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी हमला था और इसमें लगभग तीन हजार लोग मारे गये थे। इसके बाद अमेरिका ने बहुत सख्ती बरती और अपने देश में आने-जाने वालों पर कड़े प्रतिबंध लगायें। हवाई अड्डों पर सुरक्षा जांच और कड़ी कर दी थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का शासन शुरू होने के बाद आधा दर्जन मुस्लिम देशों के नागरिकों के आने पर ही प्रतिबंध लग गया था। हालांकि बाद में अमेरिका की अदालत ने श्री ट्रम्प के फैसले पर रोक लगा दी। इसके बाद भी आतंकवाद को लेकर श्री ट्रम्प का रवैया सख्त बना रहा।
आतंकवादियों ने इसे चैलेन्ज समझा। हालांकि 2001 से 2017 के बीच अमेरिका की तरफ आतंकवादियों ने देखने की जुर्रत नहीं की लेकिन अब लगातार दो वारदातें करके आतंकवादियों ने अपने पंजे अमेरिका के गले तक पहुंचा दिये हैं। मेनहेटन के बाद टेक्सास प्रांत में एक चर्च पर बंदूकधारियों का हमला यही साबित करता है। पुलिस के मुताबिक टेक्सास हमले में 26 लोग मारे गये और कई घायल भी हुए हैं। यह हमला सदरलैण्ड स्पिं्रग्स के विलसन काउंटी इलाके में हुआ। यहां स्थित फस्र्ट बैपटिस्ट चर्च में पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे प्रार्थना सभा हो रही थी। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार हमलावर अचानक प्रार्थना सभा में पहुंचा और गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षा बलों ने हमलावर को भी मार गिराया। गोलीबारी में कई लोग हताहत हुए। सभी घायलों को हेलिकाप्टर की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया। इस प्रकार सरकार ने घायलों को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन इस बीच 26 लोगों की मौत हो गयीं। हमलावर अकेला था अथवा उसके साथी भी आस-पास मौजूद थे, इस बात की जानकारी नहीं हो पायी है क्योंकि इस हमले के बाद चर्च का बाहरी इलाका पुलिस ने अपनी घेरेबंदी में ले लिया लेकिन किसी को पकड़ा गया अथवा नहीं, इसकी जानकारी नहीं मिल सकी।
अमेरिका और रूस में आतंकी हमले होने के पीछे इन दोनों राष्ट्रों की इस्लामी स्टेट (आईएस) के सरगना बगदादी के खिलाफ एकजुट कार्रवाई को माना जा रहा है। सीरिया और इराक के मोसुल में संयुक्त सेनाएं आतंकवादियों का बुरी तरह सफाया कर रही हैंं सीरिया में अमेरिका और रूस अलग-अलग मकसद से लड़ रहे हैंं। हालांकि दोनों देशों का कहना है कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) का सफाया करना है। रूस में राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन का विरोध भी हो रहा है। गत दिनों ही मास्को में पुतिन के खिलाफ जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमें 200 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। रूस के कट्टरपंथी विपक्षी कार्यकर्ता त्याचेस्लाव माल्तसेव ने इस प्रदर्शन का आह्वान किया था। ये कट्टरपंथी श्री पुतिन को राष्ट्रपति पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। उधर, अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का विरोध उदारवादी कर रहे हैं। उनका कहना है कि श्री ट्रम्प देश को कट्टरवाद बनाना चाहते हैं।
इस प्रकार की राजनीति का फायदा आतंकवादी उठाना चाहते हैं। उन्होंने हमले करके दहशत पैदा करने की कोशिश की है और साथ ही एक-दूसरे के प्रति संदेह भी पैदा कर दिया है। अमेरिका के न्यूजर्सी में मेयर पद के चुनाव में उतरे एक सिख उम्मीदवार को आतंकवादी करार देते हुए पोस्टर लगाये जा रहे हैं। न्यूजर्सी के होबोकेन के मेयर पद पर पहली बार भारत मूल के रबिन्दर भल्ला चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ कार के शीशों पर पोस्टर लगे हैं कि ‘अपने शहर में आतंकवाद को मत हावी होने दीजिए। हालांकि श्री रबिन्दर भल्ला के खिलाफ इस प्रकार का प्रचार करने की सीनेटर कोरी बूथर समेत तमाम लोगों ने निंदा की है लेकिन भारतीय मूल के सिखों और अमेरिका के लोगों के बीच नफरत फैलाने का प्रयास तो हो ही रहा है। इसी प्रकार रूस में ब्लादिमिर पुतिन के खिलाफ कट्टरवादी हावी हो रहे हैं और वे चाहते हैं कि सीरिया में रूस अपनी कार्रवाई बंद कर दे। वहां राष्ट्रपति असद के विरोधियों के साथ आईएस के आतंकी भी मारे जा रहे हैं। इसीलिए आतंकवादियों ने अब सीधे बड़े राष्ट्रों को निशाना बनाना शुरू किया है। (हिफी)