हिमाचल प्रदेश में विधान सभा के चुनाव सिर पर आ गये और कांग्रेस अब तक अपना सेनापति ही नहीं तय कर पायी। सेनापति बनने के लिए एक तरफ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जोर आजमाइश कर रहे हैं तो दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखबिन्दर सिंह सुक्खू। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को सुक्खू एक आंख नहीं सुहा रहे हैं और उन्होंने कांग्रेस आला कमान को चिट्ठी तक लिख दी कि यदि सुक्खू को प्रदेश की राजनीति से नहीं हटाया गया तो राज्य में कांग्रेस का बंटाधार हो जाएगा। उधर, सुखविंदर सुक्खू ने आला कमान से कहा कि मुख्यमंत्री को नहीं हटाया गया तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। इन हालात में कांग्रेस आलाकमान पशोपेश में पड़ गया और प्रदेश प्रभारी सुशील कुमार शिंदे को फौरन राज्य के हालात संभालने के लिए भेजा गया। सुशील कुमार शिंदे ने एक फार्मूला पेश किया। इस फार्मूले से फिलहाल दोनों नेताओं के बीच टकराव तो कम हुआ लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ऊना में श्री शिंदे की मौजूदगी में जिस तरह से उपद्रव किया, उससे नहीं लगता कि कांग्रेस एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करना चाहती है। इसी के चलते कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और सुखविन्दर सिंह सुक्खू- दोनों को दिल्ली तलब कर लिया।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खू के बीच तनाव कम करने के लिए सुशील कुमार शिंदे ने एक फार्मूला तय किया। इसके तहत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को ही अगले विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में रखा जाएगा और चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में भी उनकी राय ली जाएगी। सुख विंदर सिंह सुक्खू को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी बरकरार रखी जाएगी और उम्मीदवारों के चयन में मुख्य भूमिका उन्हीं की होगी। कांग्रेस आला कमान ने श्री सुक्खू को विधानसभा चुनाव से दो महीने पहले हटाने को उचित नहीं समझा और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का विकल्प भी फिलहाल नहीं मिला। वीरभद्र सिंह की नाराजगी भी ज्यादा थी क्योंकि सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने इस बीच कई कार्यक्रम बनाए लेकिन मुख्यमंत्री को उनकी भनक तभी लगी जब वे कार्यक्रम होने वाले थे। मुख्यमंत्री वीर भद्र सिंह का यह आरोप भी सही था कि पार्टी के सात विधायकों को उनके खिलाफ शिकायत करने के लिए सुक्खू के इशारे पर भेजा गया था। इसलिए कांग्रेस हाईकमान ने वीरभद्र सिंह को ही पार्टी का अगला नेता घोषित करते हुए उनकी यह मांग ठुकरा दी कि प्रदेश अध्यक्ष पद से सुख विन्दर सिंह सुक्खू को हटा दिया जाए।
इस फार्मूले के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र और युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह को लेकर बवाल खड़ा हो गया। सवाल उठाकि विक्रमादित्य सिंह कहां से चुनाव लड़ेंगे? इसको लेकर शिमला ब्लाक कांग्रेस ने बड़ा फैसला किया है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विधान सभा क्षेत्र शिमला ग्रामीण से विक्रमादित्य सिंह ने चुनाव लडऩे पर सहमति जता दी है। मुख्य मंत्री वीरभद्र सिंह के विधान सभा क्षेत्र शिमला ग्रामीण क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पदाधिकारी भी इस पर तैयार हैं लेकिन फैसला हाईकमान को करना है। मुख्यमंत्री कहते है कि वह इस मामले को हाईकमान के समक्ष जोरदार ढंग से उठाएंगे। शिमला ग्रामीण महा सम्मेलन में विक्रमादित्य ने कहा कि शिमला ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार के लिए बाहरी राज्यों में जाने की जरूरत न पड़े, इसके चलते ग्रामीण क्षेत्र में ही रोजगार के अवसर प्रदान किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं है। क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। इसप्रकार विक्रमादित्य सिंह ने एक तरह से मान लिया कि उनको अपने पिता की विरासत मिल जाएगी। इसीलिए विक्रमादित्य ने कहा कि मुझे शिमला ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र से फीडबैक मिल रहा है कि – सीएम लड़ते हैं तो घर बैठे भी जीत जाएंगे, अगर और कोई लड़ेगा तो सोचने की आवश्यकता है।
कांग्रेस की दूसरी तस्वीर ऊना में दिखाई पड़ी जब सुशीलकुमार शिंदे वहां प्रवास कर रहे थे। उसी समय सदर कांग्रेस की गुटबाजी दिखाई पड़ी। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुशील कुमार शिंदे के कार्यक्रम में ऊना सदर विधान सभा क्षेत्र से पहुंचे चुनाव में टिकट चाहने वालों ने जोर दार नारेबाजी की। चुनाव लडऩे के प्रत्याशी और उनके समर्थक बड़ी संख्या में वहां आ गये। सुशील कुमार शिंदे के मंच पर पहुंचते ही समर्थकों ने अपने-अपने नेता के पक्ष में नारेबाजी शुरू कर दी। युवा कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए इतने जोश में आ गये कि मंच पर बोल रहे नेताओं को अपना भाषण बीच में ही रोकाना पड़ा। ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष हजारी लाल धीमान ने कार्यकर्ताओं को शांत रहने की अपील की लेकिन उनकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया और शिंदे के सामने अनुशासन हीनता स्पष्ट रूप से दिखने लगी। जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र धर्माणी ने जब समझाया तो माहौल कुछ शांत हो सका। कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी का क्रम जारी रखा तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुख विंदर सिंह सुक्खू ने कार्यकर्ताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए थोड़ा सख्त रवैया अपनाया और कहा कि नारेबाजी से किसी को टिकट नहीं मिलता और न मिलेगा। श्री सुक्खू ने कहा कि ऐसे लोगों को टिकट मिलना तो दूर की बात है, उनके खिलाफ अनुशासन हीनता की कार्रवाई भी हो सकती है।
कांग्रेस में प्रदेश प्रभारी सुशील कुमार शिंदे को ऊना सदर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट चाहने वालों ने जगह -जगह रोका और उस दौरान भी जमकर नारेबाजी हुई। कांग्रेस के कई नेता यह कहते सुने गये कि पार्टी में टिकट पाने के लिए इतनी अनुशासन हीनता की जा रही है तो आगामी तीन अक्टूबर को जब
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विलासपुर में रैली करेंगे तो वे इस मुद्दे को भी उठाएंगे। श्री मोदी विलासपुर के लुहणू मैदान में अथवा सवायज स्कूल के मैदान में जनसभा करने को तैयार थे लेकिन प्रशासन ने लुहणू मैदान को फाइनल कर दिया है। प्रधानमंत्री यहां पर एम्स के शिलान्यास के लिए आ रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री जेपी नड्डा वहां तैयारियों के लिए पहुंच चुके है। क्षेत्र में एम्स का प्रचार -प्रसार भाजपा पहले से ही कर रही है। प्रधान मंत्री यह भी कहते हैं कि वे जिस योजना का शिलान्यास करते हैं, उसका उद्घाटन भी शीघ्र ही करते हैं। इसलिए राज्य की जनता कांग्रेस से दूर हटती दिख रही है। मुख्यमंत्री वीर भद्र सिंह और उनके परिवारी जनों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता प्रेम कुमार धूमल ने पिछले दिनों कहा भी था कि सरकार खुद अदालत में है तो वह जनता को न्याय कैसे दिला पाएगी। उन्होंने एक नाबालिग छात्रा के अपहरण और दुराचार के मामले को लेकर यह बात कही थी। इस समय मुख्यमंत्री वीर भद्र सिंह को मजबूत संगठन की जरूरत भी लेकिन उनकी पार्टी बिखरी हुई नजर आ रही है। सुशील कुमार शिंदे का फार्मूला भी कारगर होता नहीं दिख रहा है और कांग्रेस आला कमान की मजबूरी यह कि उसे राज्य में वीर भद्र सिंह से बेहतर जन छबि वाला कोई नेता नहीं मिल रहा है। (हिफी)