पुण्य तिथि पर विशेष-रामकृष्ण खत्री प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ का विस्तार मध्य भारत और महाराष्ट्र में किया था। उन्हें काकोरी काण्ड में 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी गयी। उन्हें पूने में 18 अक्टूबर, 1925 में गिरफ्तार कर लखनऊ लाया गया था। उन्होंने 1925 से लेकर 1935 तक जेल की सजा काटी। हिन्दी, मराठी, गुरुमुखी तथा अंग्रेजी के अच्छे जानकार खत्री ने शहीदों की छाया में शीर्षक से एक पुस्तक भी लिखी थी जो नागपुर से प्रकाशित हुई थी। स्वतन्त्र भारत में उन्होंने भारत सरकार से मिलकर स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों की सहायता के लिये कई योजनायें भी बनवायीं। काकोरी काण्ड की अर्द्धशती पूर्ण होने पर उन्होंने काकोरी शहीद स्मृति के नाम से एक ग्रन्थ भी प्रकाशित किया था। काकोरी शहीद स्मारक के निर्माण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
रामकृष्ण खत्री का जन्म 3 मार्च 1902 को ब्रिटिश राज में वर्तमान महाराष्ट्र के जिला बुलढाना बरार के चिखली गाँव में हुआ। उनके पिता का नाम शिवलाल चोपड़ा व माँ का नाम कृष्णाबाई था। छात्र जीवन में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के व्याख्यान से प्रभावित होकर उन्होंने साधु समाज को संगठित करने का संकल्प किया और उदासीन मण्डल के नाम से एक संस्था बना ली। इस संस्था में उन्हें महन्त गोविन्द प्रकाश के नाम से लोग जानते थे। क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आकर उन्होंने स्वेच्छा से हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के संगठन का दायित्व स्वीकार किया। मराठी भाषा के अच्छे जानकार होने के नाते राम प्रसाद बिस्मिल ने उन्हें उत्तर प्रदेश से हटाकर मध्य प्रदेश भेज दिया। व्यवस्था के अनुसार उन्हें संघ का विस्तारक बनाया गया था।
काकोरी काण्ड के पश्चात् जब पूरे हिन्दुस्तान से गिरफ्तारियाँ हुईं तो रामकृष्ण खत्री को पूना में पुलिस ने धर दबोचा और लखनऊ जेल में लाकर अन्य क्रान्तिकारियों के साथ उन पर भी मुकदमा चला। तमाम साक्ष्यों के आधार पर उन पर मध्य भारत और महाराष्ट्र में हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ के विस्तार का आरोप सिद्ध हुआ और उन्हें दस वर्ष की सजा हुई। पूरी सजा काटकर जेल से छूटे तो पहले राजकुमार सिन्हा के घर का प्रबन्ध करने में जुट गये फिर योगेश चन्द्र चटर्जी की रिहाई के लिये प्रयास किया। उसके बाद सभी राजनीतिक कैदियों को जेल से छुड़ाने के लिये आन्दोलन किया। काकोरी स्थित काकोरी शहीद स्मारक रामकृष्ण खत्री और प्रेमकृष्ण खन्ना के संयुक्त प्रयासों से ही बन सका। 17,18,19 दिसम्बर 1977 को लखनऊ में काकोरी शहीद अ्र्धशताब्दी समारोह 27, 28 फरबरी 1989 को इलाहाबाद में शहीद चन्द्रशेखर आजाद बलिदान अर्द्धशताब्दी समारोह तथा 22,23 मार्च 1989 को नई दिल्ली में शहीद भगतसिंह सुखदेव राजगुरु के बलिदान के अ्र्धशताब्दी समारोह में रामकृष्ण खत्री की उल्लेखनीय भूमिका रही।उनके पाँच पुत्र हुए प्रताप, अरुण, उदय, स्वप्न और आलोक।लखनऊ में कैसरबाग की मशहूर मेंहदी बिल्डिंग के 2 नम्बर मकान में अपने तीसरे पुत्र उदय खत्री के साथ उन्होंने अपने जीवन की अन्तिम बेला तक निवास किया। लखनऊ में ही 18 अक्टूबर 1996 को 94 वर्ष की आयु में उनका देहावसान हुआ।