जयंती
रानी लक्ष्मीबाई – 19 नवंबर, 1835, वाराणसी- 18 जून, 1858- मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता
संग्राम की वीरांगना थीं। बलिदानों की धरती भारत में ऐसे-ऐसे वीरों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने रक्त से देश प्रेम की अमिट गाथाएं लिखीं। यहाँ की ललनाएं भी इस कार्य में कभी किसी से पीछे नहीं रहीं, उन्हीं में से एक का नाम है- झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई। उन्होंने न केवल भारत की बल्कि विश्व की महिलाओं को गौरवान्वित किया। उनका जीवन स्वयं में वीरोचित गुणों से भरपूर, अमर देशभक्ति और बलिदान की एक अनुपम गाथा है।
इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी 19 नवम्बर, 1917, इलाहाबाद; 31 अक्टूबर, 1984, नई दिल्ली न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व
राजनीति के क्षितिज पर भी वे एक प्रभाव छोड़ गईं। श्रीमती इंदिरा गाँधी का जन्म नेहरू ख़ानदान में हुआ था। इंदिरा गाँधी, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की इकलौती पुत्री थीं। आज इंदिरा गाँधी को सिर्फ़ इस कारण नहीं जाना जाता कि वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं बल्कि इंदिरा गाँधी अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए ‘विश्वराजनीति’ के इतिहास में जानी जाती हैं और इंदिरा गाँधी को ‘लौह-महिला’ के नाम से संबोधित किया जाता है। ये भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं।
राष्ट्रीय एकता दिवस
राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल पूरे भारत में 19 नवंबर को मनाया जाता है। यह भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के जन्म दिन की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ज़िला प्रशासन के विभिन्न विभागों के कार्यालय के सदस्य एक ही स्थान पर एक साथ समाज में आम सद्भाव को सुनिश्चित करने की लिए प्रतिज्ञा लेने के लिए मिलते हैं। आधिकारिक तौर पर, हर राष्ट्रीय एकता दिवस पर दिवंगत प्रधानमंत्री की प्रतिमा पर पुष्प श्रद्धांजलि दी जाती है।
केशव चन्द्र सेन – 19 नवम्बर, 1838, कलकत्ता,- 8 जनवरी, 1884, कलकत्ता प्रसिद्ध धार्मिक व सामाज सुधारक, जो ‘ब्रह्मसमाज’ के
संस्थापकों में से एक थे। वे बड़े तीव्र बुद्धि, तार्किक और विद्वान् युवक थे। उन्होंने उत्साहपूर्वक समाज को संगठित करना प्रारम्भ किया और इस कारण वे शीघ्र ही आचार्य पद पर नियुक्त हो गये। केशव चन्द्र सेन ने ही आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती को सलाह दी थी की वे ‘सत्यार्थ प्रकाश’ की रचना हिन्दी में करें। केशव चन्द्र सेन और स्वामीजी के विचार आपस में नहीं मिलते थे, जिस कारण ब्रह्म समाज का विभाजन ‘आदि ब्रह्मसमाज’ और ‘भारतीय ब्रह्मसमाज’ में हो गया।
देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय 19 नवम्बर, 1918- 8 मई, 1993 प्रसिद्ध इतिहासकार थे। इसके साथ ही वे एक जानेमाने मार्क्सवादी दार्शनिक भी थे।
भारत सरकार द्वारा उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था।
सलिल चौधरी 19 नवम्बर, 1923- 5 सितम्बर, 1995 भारतीय फ़िल्म जगत को अपनी मधुर संगीत लहरियों से सजाने-संवारने वाले महान्
संगीतकार थे। उनके संगीतबद्घ गीत आज भी फिजां के कण-कण में गूँजते-से महसूस होते हैं। उन्होंने प्रमुख रूप से बंगाली, हिन्दी और मलयालम फ़िल्मों के लिए संगीत दिया था। फ़िल्म जगत में ‘सलिल दा’ के नाम से मशहूर सलिल चौधरी को सर्वाधिक प्रयोगवादी एवं प्रतिभाशाली संगीतकार के तौर पर जाना जाता है। ‘मधुमती’, ‘दो बीघा जमीन’, ‘आनंद’, ‘मेरे अपने’ जैसी फ़िल्मों के मधुर संगीत के जरिए सलिल चौधरी आज भी लोगों के दिलों-दिमाग पर छाए हुए हैं। वे पूरब और पश्चिम के संगीत मिश्रण से एक ऐसा संगीत तैयार करते थे, जो परंपरागत संगीत से काफ़ी अलग होता था। अपनी इन्हीं खूबियों के कारण उन्होंने श्रोताओं के दिलों में अपनी अलग ही पहचान बनाई थी।
दारा सिंह 19 नवम्बर, 1928, अमृतसर- 12 जुलाई, 2012, मुम्बई अपने ज़माने के विश्व प्रसिद्ध फ्रीस्टाइल पहलवान और प्रसिद्ध अभिनेता थे।
दारा सिंह 2003-2009 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। उन्होंने खेल और मनोरंजन की दुनिया में समान रूप से नाम कमाया और अपने काम का लोहा मनवाया। यही वजह थी कि उन्हें अभिनेता और पहलवान दोनों तौर पर जाना जाता था। उन्होंने 1959 में पूर्व विश्व चैम्पियन जॉर्ज गार्डीयांका को पराजित करके कॉमनवेल्थ की विश्व चैम्पियनशिप जीती थी। बाद में वे अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बने।
मुबारक साल गिरह
ज़ीनत अमान 19 नवम्बर 1951 को जन्मी ज़ीनत अमान को बॉलीवुड की उस हीरोइन के रूप में याद किया जाता है जिसने नायिकाओं की
परिभाषा को बदल कर रख दिया। ज़ीनत अमान ने जब फिल्मों में कदम रखा तब ज्यादातर हीरोइनें इंडियन लुक में नजर आती थीं, लेकिन ज़ीनत ने वेस्टर्न लुक में अपने आपको पेश कर धमाका कर दिया।
सुष्मिता सेन 19 नवंबर, 1975, हैदराबाद हिन्दी फ़िल्मों की अभिनेत्री हैं। इन्होंने 1994 में मिस इंडिया और ब्रह्माण्ड सुन्दरी का खिताब जीता
था। मिस इंडिया स्पर्धा में इन्होंने ऐश्वर्या राय को हराया था।
पुण्य तिथि
वाचस्पति पाठक 5 सितम्बर, 1905- 19 नवम्बर, 1980 का नाम प्रसिद्ध उपन्यासकारों के साथ लिया जाता है। उन्होंने ‘काग़ज़ की टोपी’ नामक कहानी से विशेष लोकप्रियता पाई थी। वाचस्पति पाठक अपने समय के एक महत्वपूर्ण कथाकार तो रहे ही, उल्लेखनीय संपादक भी रहे।उन्होंने अपनी पहचान साहित्यिक आंदोलन के सक्रिय योद्धा के रूप में बनाई।