भारतीय संस्कृति में जल को बहुत अधिक महत्व दिया गया है । सभी उत्सवों और धार्मिक क्रिया-कलापों में जल का उपयोग करते हैं। जल जीवन-रेखा है और अस्तित्व का मुख्य आधार है। विश्व की लगभग सभी सभ्यताएँ नदियों के किनारे विकसित और पल्लवित हुई हैं। ऋगवेद में नदी सुक्त का वर्णन है। संत-महात्माओं ने नदियों को जीवनदायिनी, जीवनपोषिणी और जीवन को संरक्षित करने वाली देवी माँ का दर्जा दिया है।
आज विश्व जल दिवस है। यानी पानी की अहमियत समझने का दिन, पानी के सरंक्षण के लिए समय रहते सचेत होने का दिन। विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के सभी विकसित देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है साथ ही यह जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करता है।ब्राजील में रियो डी जेनेरियो में 1992 में आयोजितपर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई तथा 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा के द्वारा निर्णय लेकर इस दिन को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का निर्णय लिया इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच में जल संरक्षण का महत्व साफ पीने योग्य जल का महत्व आदि बताना था। 1993 में पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया था और संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1992 में अपने ‘एजेंडा 21’में रियो डी जेनेरियो में इसका प्रस्ताव दिया था!
हर साल इस दिन वैश्विक स्तर पर चर्चा होती है पानी को बचाने की फिर भी हर साल स्थिति भयावह होती जा रही है। पूरे विश्व में 80 प्रतिशत से अधिक अपशिष्ट जल बिना स्वच्छ हुए बहकर परिस्थितिकीय तंत्र को प्रभावित कर रहा है, जो पर्यावरण के लिये बहुत नुकसानदायक है। पानी का महत्व भारत के लिए कितना है यह इसी बात से जान सकते हैं कि भाषा में पानी के कितने अधिक मुहावरे हैं। आज पानी की स्थिति देखकर चेहरों का पानी तो उतर ही गया है, मरने के लिए भी अब चुल्लू भर पानी भी नहीं बचा, अब तो शर्म से चेहरा भी पानी-पानी नहीं होता, बहुतों को पानी पिलाया, पर अब पानी रुलाएगा, यह तय है। सोचो तो वह रोना कैसा होगा, जब आँखों में ही पानी नहीं रहेगा? वह दिन दूर नहीं, जब सारा पानी हमारी आँखों के सामने से बह जाएगा और कुछ नहीं कर पाएँगेl लेकिन कहा है ना कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो। विज्ञान और पर्यावरण के ज्ञान से मानव ने जो प्रगति की है उसे प्रकृति संरक्षण में लगाना भी ज़रूरी है। फोटो इंडिया वाटर पोर्टल से साभार