संजोग वॉल्टर। धीरे धीरे सरकारी नौकरीयों में भारतीय मसीहीयोँ का प्रतिशत घटता ही गया। भारतीय मसीहीयोँ के पास दो रास्ते थे टीचिंग या फिर नर्सिंग। इन दोनों ही छेत्रों में भारतीय मसीहियों का अतुलनीय योगदान जो नहीं नाकारा जा सकता है ,पर डॉक्टर,इंजीनियर,पुलिस आदि में प्रतिशत शून्य ही रहा,स्कूलों कालेजों में भारतीय मसीहियों के लिए दरवाजे खुल जा सिम सिम ही रहे। वयापार तो कर नहीं सकते थे,हुनर मंद बनना नहीं चाहा ,सियासत ,में उत्तर भारत में भी पीछे रहे अगर किसी के पास उत्तर भारत में किसी के भी लोकसभा,विधान सभा चुनाव लड़ने की सूची हो भेज सकता है। भले यह चुनाव निर्दल लड़ा हो ? हार जीत तो लगी रही है पर लड़ो तो। …….. चलिए पार्षद,सभासद ही सही कोशिश करने में हर्ज़ ही क्या है?
सियासत में जीरो हो गए कभी भी कोई सबक नहीं सिखा,माले मुफ्त दिल ऐ बेरहम की तर्ज़ पर सब कुछ बिकता रहा ,उत्तर प्रदेश में करीब 800 पत्रकार राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त है जिनमें सिर्फ 04 मसीही हैं। छोटे समूहों ने अपनी पहचान बना ली पर मसीही समाज अपनी पहचान खो बैठा ,04 -05 लोग आते है हल्ला करते है 200 -300 लोगों की सभा को तहस नहस कर कुछ लोगों को जेल भिजवा देते हैं की यह लोग धर्म परिवर्तन कर रहे थे। कमाल है की आज तक इन आरोपों का खंडन करने कोई सामने नहीं आया और न ही किसी ने क़ानूनी सहायता इनको प्रदान करवाई।
मसीही समाज ने खुद को सॉफ्ट टॉरगेट घोषित करवा लिया। जब हवाएं तेज़ होती हैं दूसरे लोग छाता लेकर चलते है की जब बारिश हो तो छाता खोल लें पर मसीही समाज छाता लेकर क्यों चले ? साहब /मेंम साहब का समाज है हल्के में मत लेना अभी पार्थना करेंगे बारिश हवा सब गायब। यह नया दौर है खुद को बदलने का
70 वा साल 15 अगस्त को होगा आज़ादी का। जिनका आज़ादी से कोई सरोकार नहीं जिनके पुरखे अंग्रेजों के मुखबिर कहे जाते हैं वो अब 15 से22 अगस्त तिरंगा लेकर गली गली घूमेंगे हम और आप के बीच में इनकी पैठ हो चुकी ऐसे लोगों को दूर करें। इनके दूसरे साथी मसीही समाज के लोगों लोगों को मारे पीटे और आपका उनका सम्मान सोशल मिडिया से लेकर सार्वाजनिक मंचों तक क्यों करते हैं ?