सोचिए अगर इंटरनेट ना हो, तो आज हम कहां होते? उसी वर्ल्ड वाइड वेब का आज जन्मदिन है. मुबारक़ हो #WWW
एजेंसी। वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) के संस्थापक ‘टिम बर्नर्स ली’ ने इंटरनेट पर अलग-अलग वेबसाइटों को देखने की सुविधा निकाली जिसके कारण वेब जगत में उन्हें “वेब पितामह” कहा जाता है.6 अगस्त 1991 को उन्होंने विश्व व्यापी वेब परियोजना का एक संक्षिप्त सार alt.hypertext न्यूज़ग्रुप (newsgroup) पर पोस्ट किया था। इस तिथि को वेब के इंटरनेट पर एक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सेवा के शुरुआत के रूप में भी याद किया जाता है।वर्ल्ड वाइड वेब और इंटरनेट दोनों दो चीजे हैं परन्तु दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं । वर्ल्ड वाइड वेब जानकारी युक्त पेजों का विशाल संग्रह है जो एक दूसरे से जुड़ा है । जिसे वेब पेज कहते हैं । वेब पेज HTML भाषा में लिखा होता है जो कंप्यूटर में प्रयुक्त एक भाषा है । एक वेब ब्राउजर की सहायता से हम उन वेब पन्नों को देख सकते हैं जिनमें टेक्स्ट, छवि (image), वीडियो, एंवं अन्य मल्टीमीडिया होते हैं तथा हाइपरलिंक की सहायता से उन पन्नों के बीच में आवागमन कर सकते है। विश्व व्यापी वेब को टिम बर्नर्स ली द्वारा 1989 में यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन जो की जेनेवा, स्वीट्ज़रलैंड में है, में काम करते वक्त बनाया गया था और 1992 में जारी किया गया था। उसके बाद से बरनर्स-ली नें वेब के स्तरों के विकास (जैसे की मार्कअप भाषाएँ जिनमें की वेब पन्ने लिखे जाते हैं) में एक सक्रीय भूमिका अदा की है और हाल के वर्षों में उन्होनें सीमेंटिक (अर्थ) वेब (Semantic Web) विकसित करने के अपने स्वप्न की वकालत की है।Internet एक महाजाल है. Internet दुनिया का सबसे बड़ा और व्यस्त नेटवर्क है. Internet को हिंदी में ‘अंतरजाल‘ कहते है. अगर सीधे शब्दों में कहे तो दुनिया के कम्प्युटरों का आपस में जुड़ना ही Internet है. जब यह नेटवर्क (Internet) स्थापित हो जाता है तो हम एक विशाल जाल का हिस्सा हो जाते है और उस जाल से जुडें किसी भी कम्प्युटर में उपलब्ध कोई भी सूचना अपने कम्प्युटर में प्राप्त कर सकते है.
