मुबारक साल गिरह
स्वप्निल संसार। लालू प्रसाद यादव राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष हैं। वे 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। बाद में उन्हें 2004 से 2009 तक केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में रेल मन्त्री का कार्यभार सौंपा गया। जबकि वे 15वीं लोक सभा में सारण (बिहार) से सांसद थे उन्हें बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में रांची स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो अदालत ने पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी। इस सजा के लिए उन्हें बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार रांची में रखा गया था। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के विशेष न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा जबकि उन पर कथित चारा घोटाले में भ्रष्टाचार का गम्भीर आरोप सिद्ध हो चुका था। 3 अक्टूबर 2013 को न्यायालय ने उन्हें पाँच साल की कैद और पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा दी। दो महीने तक जेल में रहने के बाद 13 दिसम्बर को लालू प्रसाद को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिली।
लालू प्रसाद यादव और जनता दल यूनाइटेड नेता जगदीश शर्मा को घोटाला मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद लोक सभा से अयोग्य ठहराया गया। इसके बाद राँची जेल में सजा भुगत रहे लालू प्रसाद यादव की लोक सभा की सदस्यता समाप्त कर दी गयी। चुनाव के नये नियमों के अनुसार लालू प्रसाद अब 11 साल तक लोक सभा चुनाव नहीं लड़ पायेंगे। संसद की सदस्यता गँवाने वाले लालू प्रसाद यादव भारतीय इतिहास में लोक सभा के पहले सांसद हो गये थे ।
बिहार के गोपालगंज में जन्म: 11 जून 1948 यादव परिवार में जन्मे लालू प्रसाद यादवव ने राजनीति की शुरूआत जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन से की जब वे छात्र नेता थे और उस समय के राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी रहे थे। 1977 में आपातकाल के पश्चात् हुए लोक सभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव जीते और पहली बार 29 साल की उम्र में लोकसभा पहुँचे। 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे।
लालू प्रसाद यादव ने 1970 में पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन के महासचिव के रूप में छात्र राजनीति में प्रवेश किया और 1973 में अध्यक्ष बने। 1974 में, उन्होंने बिहार आंदोलन, जयप्रकाश नारायण की अगुवाई वाली छात्र आंदोलन में बढ़ोतरी, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ शामिल हो गए। पुसू ने बिहार छात्र संघर्ष समिति का गठन किया था। आंदोलन के दौरान प्रसाद जनवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता के करीब आए और 1 9 77 में लोकसभा चुनाव में छपरा से जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामित हुए सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने उनके लिए प्रचार किया।। जनता पार्टी ने भारत गणराज्य के इतिहास में पहली गैर-कांग्रेस सरकार बनाई और 29 साल की उम्र में, वह उस समय भारतीय संसद के सबसे युवा सदस्यों में से एक बन गए। निरंतर लड़ने और वैचारिक मतभेदों के कारण जनता पार्टी सरकार गिर गई और 1980 में संसद को भंग कर दिया गया।
लालू प्रसाद यादव 1980 में सांसद का चुनाव हार गए। उन्होंने 1980 में बिहार विधानसभा के लिए विधायक का चुनाव लड़ा और बिहार विधान सभा के सदस्य बने। 1985 में वह बिहार विधानसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए थे। पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु के बाद, लालू प्रसाद यादव 1989 में विपक्षी बिहार विधानसभा के नेता बन गए। उसी वर्ष, लोक सभा के लिए भी चुने गए थे। 1990 तक,लालू प्रसाद यादव बिहार राज्य की राजनीति में ताकत बन गये थे।
बिहार के मुख्यमंत्री
1990 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने एवं 1995 में भी भारी बहुमत से विजयी रहे। 23 सितंबर 1990 को, प्रसाद ने रामथ यात्रा के दौरान समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया, और खुद को धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में प्रस्तुत किया। 1990 के दशक में आर्थिक मोर्चे पर विश्व बैंक ने अपने कार्य के लिए अपनी पार्टी की सराहना की।
लालू प्रसाद यादव मुख्यतः राजनीतिक और आर्थिक विषयों पर लेखों के अलावा विभिन्न आन्दोलनकारियों की जीवनियाँ पढ़ने का शौक रखते हैं। वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। लालू यादव ने एक फिल्म में भी काम किया जिसका नाम उनके नाम पर ही है।
जुलाई, 1997 में लालू यादव ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल के नाम से नयी पार्टी बना ली। गिरफ्तारी तय हो जाने के बाद लालू ने मुख्यमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमन्त्री बनाने का फैसला किया। जब राबड़ी के विश्वास मत हासिल करने में समस्या आयी तो कांग्रेस और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने उनको समर्थन दे दिया।
1998 में केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी। दो साल बाद विधानसभा का चुनाव हुआ तो राजद अल्पमत में आ गई। सात दिनों के लिये नीतीश कुमार की सरकार बनी परन्तु वह चल नहीं पायी। एक बार फ़िर राबड़ी देवी मुख्यमन्त्री बनीं। कांग्रेस के 22 विधायक उनकी सरकार में मन्त्री बने। 2004 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद एक बार फिर “किंग मेकर” की भूमिका में आये और रेलमन्त्री बने। यादव के कार्यकाल में ही दशकों से घाटे में चल रही रेल सेवा फिर से फायदे में आई। भारत के सभी प्रमुख प्रबन्धन संस्थानों के साथ-साथ दुनिया भर के बिजनेस स्कूलों में लालू यादव के कुशल प्रबन्धन से हुआ भारतीय रेलवे का कायाकल्प शोध का विषय बन गया। लेकिन अगले ही साल 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव में राजद सरकार हार गई और 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के केवल चार सांसद ही जीत सके। इसका अंजाम यह हुआ कि लालू को केन्द्र सरकार में जगह नहीं मिली। समय-समय पर लालू को बचाने वाली कांग्रेस भी इस बार उन्हें नहीं बचा नहीं पायी। दागी जन प्रतिनिधियों को बचाने वाला अध्यादेश खटाई में पड़ गया और इस तरह लालू का राजनीतिक भविष्य अधर में लटक गया।
लालू का अन्दाज
अपनी बात कहने का लालू यादव का खास अन्दाज है। बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह बनाने का वादा हो या रेलवे में कुल्हड़ की शुरुआत, लालू यादव हमेशा ही सुर्खियों में रहे। इन्टरनेट पर लालू यादव के लतीफों का दौर भी खूब चला।
चारा घोटाला
1997 में जब केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने उनके खिलाफ चारा घोटाला मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया तो यादव को मुख्यमन्त्री पद से हटना पड़ा। अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बन गये और अपरोक्ष रूप से सत्ता की कमान अपने हाथ में रखी। चारा घोटाला मामले में लालू यादव को जेल भी जाना पड़ा और वे कई महीने तक जेल में रहे भी।
भाजपा के खिलाफ आरोप
5 अगस्त 2004 को यादव ने दावा किया कि एल.के. आडवाणी, जो वरिष्ठ भाजपा नेता और विपक्ष के नेता थे, मुहम्मद अली जिन्ना को मारने की साजिश में आरोपी थे और उन्हें ‘अंतरराष्ट्रीय फरार’ कहा।
28 सितंबर 2004 को, यादव ने तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण मंत्री वेंकैया नायडू को आंध्र प्रदेश में सूखा राहत वितरण समूह में 55,000 टन गेहूं बेची थी। उन्होंने कहा, “सीबीआई की जांच सच जानने के लिए की जाएगी।”
व्यक्तिगत जीवन
1 जून 1973 को लालू प्रसाद यादव का विवाह राबड़ी देवी से हुआ था। लालू प्रसाद यादव नौ बच्चों, दो बेटे और सात बेटियों का पिता है।