22 सितम्बर को पीड़ित युवती के बयानों के आधार पर राजस्थान की अलवर पुलिस ने सुप्रसिद्ध फलाहारी बाबा के खिलाफ यौन शोषण के सबूत जुटा लिए। इन सबूतों में यह साबित हुआ कि गत सात अगस्त को जयपुर में विधि की छात्रा और मध्य प्रदेश के बिलासपुर की रहने वाली युवती फलाहारी बाबा से मिली थी। सबूतों के आधार पर फलाहारी बाबा की गिरफ्तारी की पूरी तैयारी है। लेकिन इसी बीच अलवर के एक प्राइवेट अस्पताल में बाबा भर्ती हो गए। इस अस्पताल के चिकित्सकों ने बाबा को विशेष कक्ष में शिफ्ट कर दिया है। चूंकि कानून की पढ़ाई करने वाली छात्रा ने सोच समझ कर मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिए हैं, इसलिए बाबा को कहीं भी शिफ्ट किया जाए, लेकिन पुलिस तो पहले थाने के लॉकअप में और फिर जेल में शिफ्ट करेगी ही। अभी डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम के बलात्कार का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अलवर के फलाहारी बाबा का मामला सामने आ गया। बाबाओं के ऐसे कृत्यों से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है। आसाराम से लेकर फलाहारी बाबा तक के मामलों में एक बात समान रही है। पीड़ित युवतियों के माता-पिता ऐसे बाबाओं को भगवान के रूप में देखते हैं। उन्हें सपने में भी यह उम्मीद नहीं होती की उनकी बेटियों के साथ बाबा यौन शोषण जैसा कृत्य भी करेंगे। कानून की पढ़ाई करने वाली छात्रा भी अपने माता-पिता के कहने पर ही फलाहारी बाबा से मिलने के लिए अलवर पहुंची थी। इसीलिए यह सवला उठता है कि आखिर ऐसे बाबाओं का समाज क्या करे? क्या धर्म को बचाने का दायित्व इन बाबाओं का नहीं है? यह माना कि सारे बाबा खराब नहीं है। लेकिन जो बाबा खराब नहीं है, उन्हें भी ऐसे बाबाओं के कारण समाज में नीचा देखना पड़ता है। खराब बाबाओं की वजह से ही अब अच्छे बाबाओं को अपने प्रवचनों में विशेष ध्यान देना पड़ रहा है। ऐसा नहीं कि राम रहीम और फलहारी बाबा का मामला उजागर होने के बाद दूसरे बाबाओं के पास भक्तों की कमी हो गई है। भक्त तो आज भी न तो राम रहीम को और न ही फलाहारी बाबा को अपराधी मानते हैं। राम रहीम को जब जेल भेजा गया तो 36 भक्त पुलिस की गोली से मारे गए। 21 सितम्बर को भी जब अलवर पुलिस आश्रम में पहुंची तो सैकड़ों महिलाओं ने फलाहारी बाबा को निर्दोष बताया। पुलिस जहां एक युवती के बयान के आधार पर फलाहारी बाबा को गिरफ्तार कर रही है, वहीं सैकड़ों महिलाएं आज भी बाबा को भगवान मानती है। बाबाओं को भक्तों की इस भावनाओं को समझना चाहिए। जो बाबा धर्म का झंडा लेकर खड़े हैं उन्हें किसी भी युवती को झूठ बोलने का मौका भी नहीं देना चाहिए। आखिर किसी महिला से ऐसे बाबा अकेले में मिलते ही क्यों हैं? बाबाओं को यह समझना चाहिए कि उनकी जरा सी लापरवाही पूरे समाज पर प्रतिकूल असर डालती है। एस.पी.मित्तल)
