सड़क हादसे रोकने का जितना प्रयास हो रहा है वो नाकाफी नजर आता है। मैदान से लेकर पहाड़ों तक सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। पर्वतीय क्षेत्र में सड़क दुर्घटनायें सामान्य बात हो गयी हैं। उतार-चढ़ाव वाले मार्गों पर वाहन चलाना निहायत ही मुश्किल काम है। पर्वतीय क्षेत्र की सड़कों पर वाहन चलाने के लिए उच्च कोटि के मानसिक संतुलन व धैय की आवश्यकता पड़ती है। मानसिक संतुलन बिगड़ा नहीं कि वाहन सैकड़ों मीटर खाई में। खतरनाक पर्वतीय सड़कों पर यात्रियों की जान हमेशा खतरे में बनी रहती है। पर्वतीय क्षेत्र में वाहन चालन हवाई जहाज चलाने से कम खतरनाक नहीं है। पर्वतीय क्षेत्र में चलने वाले वाहनों का पूरी तौर पर फिट व दुरुस्त होना जरूरी है। खराब वाहन चलाना दुर्घटना को मोल लेना है। मैदानी क्षेत्रों में कोई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाये तो उसमें बैठी सवारियों के बचने की उम्मीद रहती है किन्तु पर्वतीय क्षेत्र में कोई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाये तो सवारियों की जान बचाना मुश्किल पड़ जाता है।
पर्वतीय क्षेत्रों में वाहन दुर्घटनाओं की तादाद तेजी से बढ़ रही है। पर्वतीय मार्गों पर वाहनों की भीड़-भाड़ बढऩे के कारण वाहन दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है। वाहन चालकों की अकुशलता, अक्षमता व अदूरदर्शिता के कारण सर्वाधिक वाहन दुर्घटनाएं होती हैं। इन दुर्घटनाओं में अब तक कई बेगुनाह यात्री काल के ग्रास बन चुके हैं। मैदानी भागों में कोई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाये तो घायल सवारियों को शीघ्र अस्पताल पहुंचाकर उनके प्राण बचाये जा सकते हैं लेकिन पर्वतीय मार्गों पर कोई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाये तो वाहन गहरी खाई में लुढ़क सकता है और घायल व्यक्तियों को दुर्घटनास्थल से अस्पताल तक लाने में कई घंटों तक लग सकते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में यात्रा अब सुरक्षित व निरापद नहीं रही। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वाहन चालकों की अनेक कठिनाइयां हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में वाहन चलाने के लिए पर्वतीय मार्गों पर वाहनचलाने का अभ्यास होना चाहिए लेकिन ऐसे चालक जिन्हें सिर्फ मैदानी क्षेत्रों में वाहन चलाने का अनुभव होता है वे पर्वतीय मार्गों पर वाहन चलाने में अपने को सक्षम नहीं पाते हैं। पर्वतीय क्षेत्र में वाहन चलाने की अधिकतम गति निर्धारित है किन्तु गन्तव्य पर शीघ्रातिशीघ्र पहुंचने के चक्कर में प्राय: वाहनों की गति पर कोई नियंत्रण नहीं रहता है।
कई दूरस्थ व दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में जहां चिकित्सालयों का नितांत अभाव है। यदि खुदानखास्ता कोई दुर्घटना हो जाये तो यात्रियों को वहां पर प्राथमिक चिकित्सा तक उपलब्ध नहीं हो पाती। दूरस्थ व अंदरूनी पर्वतीय क्षेत्रों में कई मार्गों की दशा बेहद दयनीय है। ऐसे मार्गों पर वाहन चालन खतरे से खाली नहीं होता है। इन मार्गों पर वाहन हिचकोले लेते नजर आते हैं। बरसात में मार्गों पर मलवा गिरकर वाहन चालक को रास्ता और कठिन बना देता है। सार्वजनिक निर्माण विभाग को इन मार्गों के मरम्मत की चिंता नहीं है क्योंकि विभाग के पास इन कार्यों के लिए बजट उपलब्ध नहीं होता। इस प्रकार पर्वतीय क्षेत्र में पर्यटन को नुकसान परिवहन जनित समस्याओं के कारण भी है। पर्यटन भय व कुशंकाओं की वजह से दुरुस्त, सुंदर, रमणीक पर्वतीय स्थलों का आनन्द नहीं उठा पाते। उन्हें जब इन मार्गों पर अपने प्राणों की असुरक्षा नजर आयेगी तो क्यों कर वे ऐसे जर्जर मार्गों पर यात्रा करना पसंद करेंगे?
नि:संदेह पर्वतीय मार्गों की यात्रा जोखिम भरी है। पर्वतीय मार्गों पर दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के कारगर उपाय नहीं किये गये हैं। पर्वतीय मार्गों पर मार्ग बेहद संकरे हैं, जिन पर एक बार में सिर्फ एक ही वाहन चल सकता है। इन मार्गों पर दूसरे वाहन को पास देना कठिन होता है। इन मार्गों को चौड़ा किया जा सकता है। विस्फोटकों से सड़क के किनारे की पहाडिय़ों को उड़ाकर इन्हें चौड़ा व सुरक्षित बनाया जा सकता है किन्तु ऐसा करने की आवश्यकता किसने समझी? पर्यावरण का मुद्दा भी इसमें आड़े आता है। पर्वतीय मार्गों के किनारे वाहनों के रपट कर नीचे भयंकर खाई में गिरने का खतरा बना रहता है। पर्वतीय मार्गों पर ऐसे कई संवेदनशील स्थल हैं। इन संवेदनदशील स्थलों के किनारे स्तम्भ या दीवाल खड़े कर वाहनों को नीचे खाई में गिरने से रोका जा सकता है। मार्गों के किनारे वृक्ष भी बहुत बचाव करते हैं। वृक्षों को लगाकर कई वाहनों को खाई में गिरने से बचाकर कई यात्रियों की जान बचाई जा सकती है किन्तु विडम्बना है कि मार्गों के किनारे खड़े वृक्ष साफ हो गये हैं। इससे भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। पहाडिय़ों से बड़े-बड़े पत्थर व कंकड़ गिरकर मार्गों में बिखर जाते हैं। मलवा उतर कर सड़कों में आ जाता है जिससे भी वाहनों के दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। कई पर्वतीय मार्गों के किनारे लगे वृक्षों के कारण दौड़ते वाहनों को सुरक्षा प्राप्त होती रहती है। इसलिए पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यावरण की सुरक्षा व पर्वतीय मार्गों की यात्रा निरापद बनाने की दृष्टि से अधिक से अधिक वृक्षों का रोपण किया जाना चाहिए।
पर्वतीय क्षेत्रों में शराब पीकर वाहन चलाने से सबसे अधिक दुर्घटनायें होती हैं। शराबी चालक का अपने वाहन पर नियंत्रण नहीं रहता। वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है। यात्री असमय मृत्यु के शिकार बन जाते हैं। पर्वतीय मार्गों पर टैक्सियों व जीपों के अंधाधुंध संचालन के कारण वाहन दुर्घटनायें अधिक होती हैं। कई पर्वतीय स्थलों पर यात्री सुविधायें उपलब्ध नहीं हैं। इन जीपों व टैक्सियों में सवारियों को ठूंस-ठूंस कर भर दिया जाता है। इन सवारियों की जान हमेशा जोखिम में रहती है। वाहन चालक वाहन पर नियंत्रण नहीं रख पाता। ऐसी जीपों व टैक्सियों पर नियंत्रण का कोई उपाय नहीं है। पर्वतीय मार्गों की बिगड़ती दशा व असुरक्षित वाहनों के कारण यात्रा सुगम व निरापद
नहीं रह पाती। पर्वतीय मार्गों पर सुरक्षित यात्रा के लिए उचित प्रबंध करने होंगे। (हिफी)
