मुबारक साल गिरह भानुरेखा गणेशन उर्फ रेखा हिन्दी सिनेमा की सबसे अच्छी अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है। वैसे तो रेखा ने अपने फघ्ल्मि जीवन की शुरुआत बतौर एक बाल कलाकार तेलुगु फिल्म रंगुला रत्नम से कर दी थी, लेकिन हिन्दी सिनेमा में उनकी प्रविष्टि 1970 की फिल्म सावन भादों से हुई।
रेखा के नाम से मशहूर हिन्दी सिनेमा की सदाबहार अदाकारा भानुरेखा गणेशन की खूबसूरती और बेजोड अदाकारी आज भी बरकार है। निजी जिंदगी हो या पेशेवर जिंदगी, रेखा ने दोनों में ही काफी संघर्ष किया है।
10 अक्टूबर, 1954 को मद्रास (अब चेन्नई) में जन्मी रेखा के पिता जेमनी गणेशन मशहूर तमिल अभिनेता और मां पुष्पांजलि थी । तेलुगू फिल्म रंगुला रत्नम से अभिनय की शुरुआत की थी। फिल्म में उन्होंने बाल कलाकार की भूमिका निभाई थी। रेखा को फिल्मों में आने में दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें अभिनय जारी रखना पड़ा।
कुछ दक्षिण भारतीय फिल्मे करने के बाद रेखा ने बंबई की ओर रुख किया और हिन्दी फिल्मों के काम करना शुरू किया। बंबई उनके लिए एकदम नया था। सांवला रंग और लड़खड़ाती हिन्दी के कारण रेखा को बंबई में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने फिल्म सावन भादो (1970) के साथ आगाज किया और रातों रात मशहूर हो गईं।हिन्दी सिनेमा में अपने पैर जमाए रखने के लिए रेखा ने हिन्दी और अपना रंग संवारने पर काफी मेहनत की।
सांवली से गोरी हुई रेखा के बारे में कयास लगाए जा रहे थे कि उन्होंने सिंगापुर से गोरे होने वाली क्रीम मंगाई थी, लेकिन एक साक्षात्कार में रेखा ने इसे खारिज करते हुए कहा था कि यह सब योग से संभव हुआ। उन्होंने कोई विशेष क्रीम नहीं मंगाई।रेखा, शादी और प्रेमप्रसंगों को लेकर भी सुर्खियों में रही हैं। रेखा का नाम लंबे समय तक अभिताभ बच्चन के साथ जुड़ता रहा। दोनों की जोड़ी पर्दे पर भी काफी लोकप्रिय रही। दोनों ने ईमान धरम, गंगा की सौगंध, मुक़द्दर का सिकंदर और सुहाग ,दो अनजाने में साथ काम किया। यश चोपड़ा की सिलसिला अमिताभ और रेखा की एक साथ आखिरी फिल्म थी। रेखा की अभिनेता विनोद मेहरा से भी शादी की खबरें आई थीं। लेकिन एक साक्षात्कार में रेखा ने विनोद से शादी की बात से इनकार करते हुए कहा था, कोई कुछ भी कह सकता है। विनोद मेरे शुभचिंतक और बहुत करीब हैं। असफल प्रेम संबंधों के बाद रेखा ने 1990 में दिल्ली के एक व्यवसाई मुकेश अग्रवाल से शादी की थी। लेकिन यहां भी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। मुकेश ने शादी के एक साल बाद 1991 में आत्महत्या कर ली थी। अब रेखा मुंबई के बांद्रा के बैंडस्टैंड में अपने बंगले में अकेली रहती हैं।
अकेलेपन के बारे में रेखा कहना है, अकेले रहने का मतलब हमेशा तन्हा रहना नहीं है। हम अपने हिसाब से और अपने खुद के लिए जिंदगी जीते हैं। अभिनय के अलावा रेखा को नृत्य के लिए भी जाना जाता है। नृत्य के लिए 1998 में हिन्दी फिल्मों की सर्वश्रेष्ठ नर्तक के लिए लच्छू महाराज पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उमराव जान में उनके नृत्य की काफी प्रशंसा हुई थी। इसी फिल्म के लिए 1982 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था।
इसके अलावा 1981 में खूबसूरत, 1989 में खून भरी मांग के लिए भी उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार जीता था। 2003 में उन्हें फिल्म फेयर लाइफटाइम अचीमेंट पुरस्कार और श्सैमसंग दिवा पुरस्कार तथा 2012 में आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट इन इंडियन सिनेमा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
रेखा को लिखने-पढ़ने का शौक है। वह कविताएं लिखती हैं। रेखा को उनकी कांजीवरम साड़ियों के लिए भी जाना जाता है। वह अपने कास्ट्यूम खुद डिजाइन करती हैं। उन्हें बागबानी का शौक है। वह ओपरा विनफ्रे की बड़ी प्रशंसक हैं। स्वस्थ और चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए रेखा नियमित योग करती हैं। रेखा शाकाहारी हैं। उनके आहार में अधिकतर सलाद, जौ का पानी, नारियल पानी जैसी चीजें शामिल रहती हैं। जल्द ही रेखा की फिल्म सुपरनानी फिल्म प्रदर्शित होने वाली है। भारतीय सिनेमा में रेखा अदाकारी, खूबसूरती की एक मिसाल हैं। रेखा ने व्यक्तिगत तौर पर संघर्ष करते हुए अपनी मेहनत और लगन के दम पर यह मुकाम हासिल किया है और आज भी वह उसी लगन ने निरंतर आगे बढ़ रही हैं।
यह बॉलिवुड है दोस्तों, यहां हर किरदार खुद में हजारों कहानियां लिए घूमता है एक स्ट्रगलर के अंदर मुश्किलों की राहों के निशान होते हैं तो एक कामयाब सितारे के दिल में उस कामयाबी तक पहुंचने की कहानी. खुद में हजारों कहानियां लिए रंगमंच की ऐसी ही एक किरदार हैं रेखा। आज शोहरत, सफलता और कामयाबी के शिखर पर पहुंची रेखा की जिंदगी पर्दे से शुरू होकर संसद तक जा चुकी है लेकिन इस कहानी में कई ऐसे पड़ाव भी हैं तो प्यार, शक और फरेब की गलियों से होकर गुजरते हैं।
रेखा की जिंदगी में प्यार तो कई बार और कई सूरतों में आया लेकिन जिस स्थाई सहारे और प्यार की उन्हें जरूरत थी वह उनकी जिंदगी से नदारद ही रहा. एक के बाद एक रेखा की जिंदगी में चाहने वाले तो आते गए लेकिन कोई उनका सहारा ना बन सका।
शुरुआत में सांवली और थोड़ी मोटी दिखने वाली रेखा की यह पहली हिंदी फिल्म हिट साबित हुई थी।इसी फिल्म के सेट पर बॉलिवुड में पहली बार रेखा का नाम किसी के साथ जुड़ा। यह नाम था नवीन निश्चल का. हालांकि रेखा की जिंदगी में नवीन निश्चल आए और चले गए। यहां से शुरुआत हुई रेखा की जिंदगी में प्यार के आने-जाने की।
अभिनेता विश्वजीत को अपने प्यार के लिए नहीं मिल सकता। दो शिकारी के सेट पर जब रेखा पर किस सीन को फिल्माया गया था तब रेखा शॉट के बाद बेहोश हो गई थीं। वह इस सीन के लिए तैयार तो नहीं थीं लेकिन फिल्म की जरूरत की वजह से उन्हें यह सीन देना पड़ा। इस फिल्म के दौरान रेखा का नाम विश्वजीत के साथ जुड़ा और चर्चा आई कि दोनों एक साथ काफी समय बिता रहे हैं। लेकिन यह समय था हिन्दी सिनेमा और रेखा के उदय और विश्वजीत के कॅरियर के डूबने का और डूबती नैया पर कौन सैर करना चाहेगा सो रेखा ने कश्ती बदल ली।
विनोद मेहरा को रेखा की जिंदगी का असली प्रेमी कहा जाता है. दोनों की मुलाकात, दोनों का मिलना, दोनों का सार्वजनिक तौर पर एक-दूसरे का साथ देना दुनिया को उनके बीच कुछ होने का सबूत देता है।विनोद मेहरा और रेखा एक दूसरे के प्रेम में इतना खो चुके थे कि उन्हें दुनिया जहां की कोई खबर ही नहीं थी। लेकिन विनोद की मां को रेखा एक बहू के तौर पर पसंद नहीं थीं. इसके बाद जब रेखा ने विनोद मेहरा से मां और प्यार में से किसी एक को चुनने को कहा तो विनोद मेहरा ने मां को चुनना बेहतर समझा.ं कहते हैं सच्चा प्यार आपकी जिंदगी बना देता है. शायद रेखा की जिंदगी में भी कुछ ऐसा ही हुआ. रेखा की जिंदगी के बाकी प्यार भरे नगमों ने जहां उन्हें दर्द के सिवाय कुछ नहीं दिया तो वहीं अमिताभ के साथ उनके अफेयर ने उनकी जिंदगी बना दी. अमिताभ तो रेखा के प्यार में पागल थे लेकिन रेखा ने भी खुद को अमिताभ बच्चन के प्यार में पूरी तरह बदल दिया था।
अमिताभ रेखा के लिए पारस साबित हुए थे. कभी मोटी और सांवली सी दिखने वाली रेखा अमिताभ के प्यार में बॉलिवुड की सबसे सुंदर और सेक्सी अभिनेत्री के तौर पर उभरीं. अमिताभ पर अपने हुस्न का जादू चलवाने के लिए रेखा ने खुद को पूरी तरह बदल लिया था।
अमिताभ और रेखा की केमिस्ट्री में नौ में से पांच फिल्में बॉक्स आफिस पर हिट रहीं. कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान हुए हादसे के बाद अमिताभ रेखा से अलग हो गए थे. सुहाग, मि. नटवरलाल, गंगा की सौगंध, नमक हराम, खून पसीना सहित कई फिल्मों की सफलता के साथ इस जोड़ी ने बुलंदी का वह शिखर छुआ, जिसे आज भी लोकप्रियता का इतिहास माना जाता है.इस जोड़ी का शिखर रही यश चोपड़ा की फिल्म सिलसिला, जिसमें अमिताभ के साथ रेखा और जया बच्चन का त्रिकोण था. फिल्म में जया ने अमिताभ की पत्नी और रेखा ने प्रेमिका का रोल किया था. यही वजह है कि इस फिल्म को बच्चन की निजी जिंदगी से जोड़कर देखा गया और इस जोड़ी के आपसी रिश्तों को लेकर चर्चाओं का बाजार आज भी बुलंद रहता है. 1981 में प्रदर्शित यश चोपड़ा की सिलसिला में यह जोड़ी आखिरी बार परदे पर नजर आई थी. इस जोड़ी के दीवाने तो आज भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि यह जोड़ी एक बार फिर सफलता के इतिहास को दोहराए. इसमें कोई शक नहीं है कि जिस दिन अमिताभ-रेखा एक फिल्म में साथ काम करने के लिए राजी हो गए, वह फिल्म दर्शकों के हुजूम को थिएटरों में ले आएगी.
रेखा की जिंदगी का एक अहम किस्सा बिजनेस मैन मुकेश अग्रवाल का भी है जिन्होंने रेखा से शादी की लेकिन शादी के एक साल बाद ही उन्होंने आत्महत्या कर ली. यह शायद रेखा की जिंदगी में तन्हाई का संकेतक था.जिंदगी के सफर में यूं तो सभी को हमसफर मिले. रेखा को भी कई मिले लेकिन कोई ऐसा हमसफर नहीं मिला जिसके सहारे रेखा अपनी पूरी जिंदगी जी सकें. रेखा को हमेशा एक प्यार की जरूरत थी जो उन्हें संभाल सके जिसके साथ वह घर बसा सकें लेकिन ऐसा हो ना सका. कहा जाता है कि धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी की शादी के समय रेखा ने सोचा कि जब हेमा जी धर्मेन्द्र से शादी कर सकती हैं तो क्यूं ना वह भी अमिताभ बच्चन से उनकी शादी के बावजूद शादी कर लें लेकिन ऐसा हो ना सका। आज रेखा अकेली हैं और उनसे प्यार की कसमें खाने वाले अधिकतर लोगों ने अपना घर बसा रखा है।