अभी कुछ दिन पहले ही आरुषी मर्डर केस का फैसला सुनाया गया था जिसमें आरुषी के माता-पिता डा0 राजेश तलवार और डा0 नूपुर तलवार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। दिल्ली से सटे नोएडा के जलवायु बिहार स्थित घर में 14 साल की आरुषी और तलवार दम्पति के यहां नौकर हेमराज (45) की हत्या हुई थी। चार साल तक तलवार दम्पति जेल में बंद रहे क्योंकि सीबीआई कोर्ट ने इन्हें दोषी माना था लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दम्पति को बरी कर दिया तब सीबीआई की कार्य पद्धति पर सवाल उठा था और कहा गया कि आखिर ये दोनों मर्डर किसने किये? इसी प्रकार अब कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय हुए बहुचर्चित 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में भी सीबीआई की चार्ज शीट पर तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा और द्रमुक की नेता कनिमोड़ी को जेल तक जाना पड़ा था लेकिन अब ये दोनों नेता तथा अन्य अधिकारी भी कोर्ट से बरी हो गये हैं। इस बारे में भी कहा जा रहा है कि
सीबीआई आरोप साबित नहीं कर पायी। सीबीआई का बार-बार फेल होना कई सवाल खड़े करता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी सीबीआई को कभी पिंजड़े में बंद तोते की संज्ञा दी थी। सीबीआई को अपनी छवि सुधारने पर ध्यान देना होगा।
यूपीए सरकार के समय 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आया था और तत्कालीन मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने इसे हमले का प्रमुख अस्त्र भी बनाया था। यह अस्त्र 2014 के लोकसभा चुनाव में भी प्रयोग किया गया था। मामला 2010 का है जब कंट्रोलर एण्ड जनरल आडीटर (कैग) की रिपोर्ट में 2008 में बांटे गये स्पेक्ट्रम पर सवाल उठाये गये थे। रिपोर्ट में बताया गया था कि स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाय तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने पहले आओ, पहले पाओ, का फार्मूला लागू करके बिना सोचे-समझे स्पेक्ट्रम का आवंटन कर दिया। कैग ने कहा कि यदि स्पेक्ट्रम आवंटन में नीलामी करायी जाती तो सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए और मिलते। इसमें इस बात का भी जिक्र किया था कि नीलामी के आधार पर स्पेक्ट्रम बांटे जाते तो यह रकम सरकार के खजाने में जाती। इस मामले पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। दिसम्बर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विशेष अदालत बनाने पर विचार करने के लिए कहा। विशेष अदालत बनायी गयी और 2011 में स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आया। अदालत ने इसमें 17 आरोपियों को शुरुआत दोषी मानकर 6 महीने की सजा भी सुनायी। इस घोटाले से जुड़े मामले में एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रविकांत रुइया, अंशुमान रुइया, लूप टेलीकाॅम के प्रमोटर किरण खेतान, उनके पति आईपी खेतान और एस्सार ग्रुप के निदेशक विकास सरफ भी आरोपी थे। ए. राजा और द्रमुक नेता कनिमोड़ी तो प्रमुख आरोपियों में शामिल थे।
बहुचर्चित 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के पहले मामले में अब पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोड़ी समेत सभी आरोपी तीनों मामलों में बरी हो गए हैं। फैसला आते ही कोर्टरूम तालियों से गूंज उठा। बताया जा रहा है कि सबूतों के अभाव में सभी अरोपियों को बरी किया गया है। फैसला सुनाते वक्त जज ने कहा कि सीबीआई आरोप साबित करने में नाकाम रही है। अब सवाल यह उठता है कि घोटाला हुआ, तो फिर किसने किया? फैसला आने के बाद खुशी जाहिर करते हुए, कनिमोझी ने कहा, मैं अपने उन सभी समर्थकों का धन्यवाद करती हूं, जो इस मुश्किल दौर में मेरे साथ खड़े रहे। डीएमके के वरिष्ठ नेता दुराय मुरुगन ने कहा कि विजय अब शुरू हुई, राजनैतिक उद्देश्यों के साथ यह मामला हमारे ऊपर थोपा गया था। हमारे खिलाफ षड्यंत्र रचे गए थे, लेकिन अब सब कुछ साफ हो गया है। इधर मनमोहन सिंह सरकार में पूर्व वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने कहा कि हमारी सरकार पर लगे बड़े घोटाले का आरोप झूठा था। आज यह साबित हो गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि आज मेरी बात सिद्ध हो गई, कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ, कोई घाटा नहीं हुआ है। अगर कोई घोटाला है, तो झूठ का घोटाला है। विपक्ष और विनोद राय के झूठ का घोटाला। कोर्ट का फैसला आने के बाद विनोद राय को सामने आकर देश की जनता से अपनी गलती के लिए माफी मांगनी चाहिए।
इस मामले की पैरवी कर रहे वकील विजय अग्रवाल ने बताया कि जज ने कहा कि सीबीआई आरोप साबित करने में नाकाम रही है, इसलिए सभी आरोपियों को बरी किया जाता है। सीबीआई ने अभी पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्घ्पणी नहीं की है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा है कि हम फैसले की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। हालांकि सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि सीबीआइ ने अब इस मामले को हाइकोर्ट ले जाने का फैसला किया है।
डीएमके समर्थकों में पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर गजब का उत्साह देखने को मिल रहा था। फैसला आते ही समर्थकों ने कोर्टरूम में ही तालियां बजानी शुरू कर दी थीं। इसके बाद कोर्ट के बाहर मिठाइयां बांटी गईं। कुछ समर्थकों ने कोर्ट के बाहर आतिशबाजी भी की। इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोड़ी के अलावा रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (एडीएजी), यूनिटेक लिमिटेड, डीबी रीयल्टी व अन्य पर आरोप थे। सीबीआई द्वारा पहला आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की सुनवाई छह साल पहले शुरू हुई थी। इससे संबंधित सभी मामलों की सुनवाई विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी कर रहे थे। गौरतलब है कि दो मामले सीबीआइ ने दायर किए हुए हैं, जबकि एक प्रवर्तन निदेशालय ने दायर किया है। सीबीआई द्वारा दायर पहले मामले में ए राजा और कनिमोड़ी के अलावा पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के पूर्ववर्ती निजी सचिव आरके चंडोलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रवर्तक शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के तीन शीर्ष कार्यकारी गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा तथा हरिनायर पर मामला चल रहा था। (हिफी)
