मुबारक साल गिरह स्वप्निल संसार’ वहीदा रहमान प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री हैं। वहीदा रहमान भारतीय फिल्म इतिहास की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों में से एक हैं।
गाइड, प्यासा, चैदहवीं का चाँद, कागज के फूल, साहिब बीबी और गुलाम, तीसरी कसम आदि वहीदा रहमान की उल्लेखनीय फिल्में हैं। वहीदा रहमान का चयन वर्ष 2013 की भारतीय फिल्म हस्ती के शताब्दी पुरस्कार के लिए किया गया था। वहीदा रहमान को यह पुरस्कार गोवा में भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में 20 नवम्बर 2013 को प्रदान किया गयस था।
वहीदा रहमान का जन्म 3 फ़रवरी 1938 में हैदराबाद के परंपरागत मुस्लिम परिवार में हुआ था। बचपन से ही डाक्टर बनने का सपना संजो रखा था वहीदा रहमान ने पर किस्मत को ये मंजूर न था, फेफड़ों में इंफेक्शन की वजह से वह यथोचित शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकी। भरतनाट्यम में प्रवीण वहीदा रहमान को अपने अभिभावकों से अभिनय की प्रेरणा मिली। 1955 में उन्हें एक के बाद एक करके दो तेलुगू फिल्मों में काम करने अवसर मिल गया। फिल्म सी.आई.डी. (1956) में खलनायिका का रोल दे कर गुरु दत्त वहीदा को बंबई (वर्तमान मुंबई) ले आये। सी.आई.डी. की सफलता के बाद फिल्म प्यासा (1957) में वहीदा रहमान को हीरोइन का रोल मिला। फिल्म प्यासा से ही गुरु दत्त और वहीदा रहमान का विफल प्रेम प्रसंग का आरंभ हुआ। गुरु दत्त एवं वहीदा रहमान अभिनीत फिल्म कागज के फूल (1959) की असफल प्रेम कथा उन दोनों की स्वयं के जीवन पर आधारित थी।
गाइड में वहीदा रहमान ने रोज़ी की भूमिका निभाई थी। यह फिल्म 1965 में, विजय आनंद के निर्देशन में आई थी। इस फिल्म में इन्होंने ऐसी औरत का किरदार निभाया था, जो अपने वैवाहिक जीवन से नाखुश पति से अलग होकर एक छोटे से शहर के गाइड राजू (देव आनंद) के साथ रहने का साहस जुटा लेती है।
साठ के नैतिकतावादी दशक में इस तरह की बोल्ड भूमिका स्वीकार करना किसी अभिनेत्री के लिए एक साहस का काम था। रोज़ी के किरदार को वहीदा ने चुनौती के रूप में लिया था। मनमोहक मुस्कान, शालीनता और नफीस आकर्षण वाली वहीदा के लिए अभिनय एक स्वाभाविक क्रिया रही है। फिल्म गाइड में इन्होंने स्वतंत्रचेता स्त्री की भूमिका बड़ी खूबी से निभाई। जो दिखावे के लिए भी अपने खड़ूस पति को खुश करके अपनी आकांक्षाओं और खुशियों की बलि चढ़ाने को तैयार नहीं है। 70 के दशक तक आते आते वहीदा रहमान ने अपने किरदारों के साथ कई तरह के प्रयोग भी करने शुरु कर दिये थे। भारतीय सिनेमा के इतिहास में वहीदा रहमान को एक कंपलीट एक्ट्रेस माना जाता है।
दोनों ही कलाकारों ने फिल्म चौदहवीं का चाँद (1960) और साहिब बीबी और गुलाम (1962) में साथ-साथ काम किया। 10 अक्टूबर, 1964 को गुरुदत्त ने आत्महत्या कर ली थी जिसके बाद वहीदा अकेली हो गई, लेकिन फिर भी उन्होंने कॅरियर से मुंह नहीं मोड़ा और 1965 में गाइड के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड का पुरस्कार मिला। 1968 में आई नीलकमल के बाद एक बार फिर से वहीदा रहमान का कॅरियर आसमान की ऊंचाइयां छूने लगा। साल 1974 में उनके साथ काम करने वाले अभिनेता कमलजीत ने उनसे शादी का प्रस्ताव रखा जिसे वहीदा रहमान ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और शादी के
बंधन में बंध गईं। 2000 उनके जिंदगी में एक और धक्के के रुप में आया जब उनके पति की आकस्मिक मृत्यु हो गई पर वहीदा ने यहां भी अपनी इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करते हुए दुबारा फिल्मों में काम करने का निर्णय लिया और वाटर, रंग दे बसंती और दिल्ली 6 जैसी फिल्मों में अपनी बेजोड़ अदाकारी का परिचय दिया। 1963 में गुरु दत्त और वहीदा रहमान के बीच अनबन हो गयी और उनके बीच दूरी बढ़ गई।
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1964 में गुरु दत्त ने आत्महत्या कर ली। वहीदा रहमान ने 27 अप्रैल 1974 को कमलजीत सिंह, जो कि फिल्म शगुन (1964) में उनके साथ हीरो थे, से विवाह कर लिया। अभिनय के क्षेत्र में बेमिसाल प्रदर्शन के लिए उन्हें साल 1972 में पद्म श्री और साल 2011 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके साथ वहीदा रहमान को दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर अवार्ड भी मिल चुका है। भारत के तीसरे सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्म भूषण के लिए नामित किए जाने पर बॉलीवुड की सदाबहार अभिनेत्री वहीदा रहमान ने सिनेमा उद्योग में और काम करने की उम्मीद जाहिर की है।
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री 1966 फिल्मफेयर पुरस्कार गाइड 1967 बंगाल फिल्मी पत्रकार संघ पुरस्कार तीसरी कसम 1968 फिल्म फेयर पुरस्कार नीलकमल 1971 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार रेशमा और शेरा अन्य 1994 फिल्म फेयर लाइफटाइम एचीवमेंट अवॉर्ड 2006 एनटीआर राष्ट्रीय पुरस्कार 1972 पद्मश्री 2011 पद्म भूषण ।
आज भी वहीदा रहमान फिल्मों में सक्रिय हैं और भारतीय सिनेमा के स्वर्ण काल की याद दिलाती हैं। उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दीं। पति की मृत्यु के पश्चात वहीदा बैंगलोर छोड़कर मुंबई में अपने दो बच्चों के साथ जीवन व्यतीत कर रही हैं। उनका अभिनय सफर जारी है।