पुण्य तिथि पर विशेष –नंदलाल बोस को इंडियन मॉडर्न आर्ट का जनक माना जाता है. 03 दिसंबर 1982 को मुंगेर में जन्मे बोस ने वैसे तो कई मशहूर चित्र बनाए, लेकिन 1930 में दांडी यात्रा को दिखाती काले कागज पर सफेद रेखाओं से उनकी इस कृति को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. उन दिनों यह गांधी के आंदोलन की पहचान बन गई थी.
. नंदलाल बोस को उनकी प्रतिभा और कला के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया है. 1957 में कलकत्ता यूनिवर्सिटी ने उन्हें डी.लिट की उपाधि से भी सम्मानित किया है।
नंदलाल बोस मूलरूप से अपने चित्रों में भारतीय परिवेश को संजोने और दिखाने के लिए जाने जाते हैं. 1922 में वह शांतिनिकेतन के कला भवन में प्रिंसिपल भी नियुक्त हुए.बोस मशहूर चित्रकार अबानिंद्रनाथ टैगोर के शिष्य थे. 1976 में भारत सरकार ने बोस की कृतियों को उन नौ कलाकारों में शामिल किया, जिन्हें देश कला के खजाने का दर्जा देती है.साल 1897 में नंदलाल बोस पढ़ने के लिए कोलकाता भेजे गए. 1902 में हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद 1903 में उन्होंने एक पारिवारिक मित्र की बेटी सुधरीदेवी से शादी की.नंदलाल आगे कला की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन 1905 में कॉमर्स की पढ़ाई के लिए चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज भेजा गया. तमाम और कई बार प्रयास के बावजूद जब वह परीक्षा पास करने में असफल रहे तो आखिरकार परिवारवालों ने उन्हें कोलकाता स्कूल ऑफ आर्ट भेज दिया.एक युवा चित्रकार के तौर पर नंदलाल बोस अजंता की गुफाओं की कृतियों से खूब प्रेरित थे. उन्हें पढ़ाई के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई कलाकारों का सानिध्य प्राप्त हुआ.देश के संविधान की मूल रचना को अपनी कला से सजाने और संवारने का श्रेय भी नंदलाल बोस को ही जाता है.दिल्ली के नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में नंदलाल बोस की 7000 कृतियों को शामिल किया गया है.1966 में 16 अप्रेल को 83 साल की उम्र में नंदलाल बोस का निधन हो गया था। एजेन्सी।