शरद यादव को कोर्ट से राहत
नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने नयी दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में रहने की अनुमति देने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए आंशिक संशोधन करते हुए 12 जुलाई तक राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शरद यादव को वेतन व अन्य भत्ते (हवाई जहाज और रेल टिकट) जैसी सुविधाएं नहीं मिलेंगी। इसके अलावा शीर्ष अदालत की न्यायमूर्ति आदर्श कुमार और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि राज्यसभा से अयोग्य करार दिये जानेवाली शरद यादव की याचिका पर सुनवाई तेज करे।
शरद यादव और अली अनवर को पिछले साल दिसंबर में राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राजद से अलग होकर भाजपा के साथ बिहार में सरकार बनाये जाने पर जदयू के ये दोनों नेता विपक्षी दल के कार्यकर्मों में शामिल होने उनके साथ चले गये थे। इसके बाद ये मामला इतना बढ़ गया कि जदयू ने दोनों नेताओं की सदस्यता खत्म करने की उपराष्ट्रपति से गुहार लगाई जिसे उन्होंने मान लिया और दोनों नेताओं की सदस्यता खत्म कर दी गई।(हिफी)
हार्दिक करेंगे किसानो की राजनीति
जबलपुर। गुजरात में आरक्षण की राजनीति करने वाले हार्दिक पटेल मध्य प्रदेश में किसानों की राजनीति करेंगे। किसान क्रांति सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पाटीदार समाज के नेता हार्दिक पटेल ने कहा है कि वे व्यवस्था परिवर्तन करना चाहते हैं और मध्यप्रदेश में किसानों को जागरूक करने के लिए दो चरणों में यात्रा निकालेंगे।
हार्दिक पटेल ने कहा कि वे विरोध की राजनीति नहीं करते है, समाधान के लिए लड़ रहे है। किसान को अपनी मेहनत का फल नहीं मिल रहा और युवा बेरोजगार है। उन्होंने कहा कि वे किसी पार्टी के विरोधी या समर्थन में नहीं है बल्कि व्यवस्था परिवर्तन चाहते है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के विदर्भ व मराठबाड़ा के बाद किसानो ने सबसे अधिक आत्महत्या कृषि क्षेत्र में कई पुरस्कार पाने वाले मध्यप्रदेश में की है। प्रदेश में किसानों को सही मुआवजा तथा फसल के सही दाम नहीं मिल रहे। उन्होंने कहा कि वे भी किसान के बेटे हैं और सच की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मंदसौर में राहुल गांधी की आमसभा में शहीद किसानों के परिजनों को शासन व प्रशासन ने जाने नही दिया। मध्य प्रदेश पूरी तरफ से कृषि पर आधारित है और उन्होंने किसानों की समस्या के संबंध में मुख्यमंत्री को तीन बार पत्र लिखे पर एक का भी जवाब नहीं आया। (हिफी)
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खट्टर की बेटियों के लिए पहल
चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को गंभीरता से लागू किया है। पावन पर्व 15 अगस्त के दिन लालकिले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बेटी बचाने और पढ़ाने का किया गया आह्वान वर्तमान प्रदेश भाजपा शासनकाल में एक आंदोलन साबित हो रहा है। शासक-प्रशासक से लेकर तमाम सामाजिक संगठन इस आंदोलन से ऐसे जुड़े कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी ‘शाबाश हरियाणा’ बोलना ही पड़ा।
इस मुहिम को आत्मसात करने वाले अफसरों को भी ‘संजीवनी’ मिली है। प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे ने सरकारी कार्यालयों से बाहर जमीनी स्तर पर ऐसा रूप लिया कि इसे सोशल मीडिया पर भी लोगों के बीच ले जाया गया। लोगों द्वारा सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से दिए गए सुझावों का पुलिंदा बांध कर अफसरों की टीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी से मिली। प्रधानमंत्री ने इन प्रयासों की प्रशंसा करते हुए हरियाणा सरकार, अफसरों व सामाजिक संस्थाओं के साथ साथ प्रदेश की जनता को इस कार्य में शामिल होने पर आभार और सार्थक परिणामों के लिए बधाई दी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ राष्ट्रव्यापी अभियान को प्रदेश सरकार धरातल तक लेकर गई। इसके तहत सोशल मीडिया फेसबुक, व्हाट्सअप पर ग्रुप बनाए गए और इस गु्रप के जरिए लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने व केवल बेटियों वाले अभिभावकों जैसे लोगों से सुझावों का आदान-प्रदान का सिलसिला शुरू किया। (हिफी)
त्रिवेन्द्र का लापरवाह डाक्टरों पर शिकंजा
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लापरवाह और भगोड़े डाक्टरों को सख्त चेतावनी दी है कि जरूरत के समय राज्य को स्वास्थ्य सेवाएं न देकर वे महा अपराध कर रहे है। इन डॉक्टरों ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों से कम दरों पर डॉक्टरी की पढ़ाई की और डिग्री लेकर राज्य से बाहर चले गये हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा दी गई चेतावनी के बाद भी यह डॉक्टर राज्य में वापस नहीं आए।
राज्य सरकार से करार के अनुसार इन डाक्टरों को उत्तराखंड में कम से कम 5 साल सेवा देना अनिवार्य था अब सरकार इन डॉक्टरों से एक करोड़ रूपए जुर्माने के तौर पर वसूलने की तैयारी में है। इसके साथ ही सरकार भगोड़े डॉक्टरों की मेडिकल काउंसलिंग सर्टिफिकेट को भी निरस्त करने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा हुआ तो यह डॉक्टर राज्य में मेडिकल का अभ्यास नहीं कर पाएंगे। कई बार निर्देश देने के बाद भी जो डॉक्टर अब तक तैनाती पर नहीं आए है, उनके खिलाफ सीधे तौर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आदेश के बाद अब विभाग ने उन डॉक्टरों को बांड का उल्लंघन करने के कारण 2017 से पहले के डॉक्टरों से 30 लाख रूपए और 2017 के बाद वाले डॉक्टरों से सरकार 1 करोड़ रूपए वसूलेगी। इसके साथ ही मेडिकल रिकॉर्ड सर्टिफिकेट को भी निरस्त कर दिया जाएगा। (हिफी)